Monday, February 24, 2020

औरत बचाओ मुहिम






डॉक्टर हामिला औरत को बहुत ज़्यादा Calcium खिला रहें हैं Ca और Iron के Suppliments को हिक्मत में कुष्ता कहते हैं इन से बचे...

अक्सर प्रेगनेंट औरत और नमलूद बच्चों को शादीद परेशानी का शिकार होते देखा है, इस पोस्ट में उसी की वजह साफ तौर पर बयान कर दी गई है

औरत बचाओ मुहिम

एक दोस्त का सवाल

आज कल डिलीवरी नॉर्मल क्यूं नहीं होती है ? जबकि आज कल मॉडर्न हॉस्पिटल्स वा मॉडर्न टेक्नोलॉजी मौजूद है..

जब किसी औरत को उम्मीद होती है तो वह फौरन लेडी डॉक्टर के पास भी जाती है, 9 महीने उसके अंडर चेकअप रहती है, उसकी लिखी हुई दवा भी खाती है, उसकी महंगी फीस भी चुकाती है, मगर जब डिलीवरी का वक़्त आता है तो फिर Case नॉर्मल क्यूं नहीं होता ??

9 महीने लगातार Folic Acid और Calcium की गोलियां खाने और Venofer की ड्रॉप्स लगवाने के बावजूद, डिलीवरी के वक़्त खून की कमी क्यूं हो जाती है ???

मेरे प्यारे अजीजों !

इस सवाल का जवाब कुछ इस तरह है के, डिलीवरी नॉर्मल ना होने की सबसे बड़ी वजह Muscular Tissues
का सख्त होना है और ऋतुबत तैलीय यानी Lymphatic Liquid का कम होना है,

याद रखें,

औरत के जिस्म में जितनी लचक Flexibility होगी बच्चे के उतने है चांस नॉर्मल के होंगे,और जितने सख्त होंगे उतना ही ऑपरेशन का चांस ज़्यादा होगा

ये सब वजह औरत के जिस्म के Muscular Tissues को सख्त और रास्तों को तंग कर देते हैं और उनके अंदर की ऋतुबात तैलीय Lymphatic Liquid कम हो जाती है जो Lubrication का काम करती है, फितरत और नेचर के खिलाफ जब हम चलेंगे तो फितरत हमें सजा जरूर देगी, यानी फितरत से खिलाफवर्जी की सजा कि वजह से हमें ऑपरेशन से गुजरना पड़ता है, जबकि

बहुत मॉडर्न हॉस्पिटल्स है, महंगे डॉक्टर है, महंगे दवा और महंगे इंजेक्शन,air conditioning कमरे

याद रखें

इन सब चीज़ों का फितरत से कोई ताल्लुक नहीं हो सकता, पैसे का लालच और होश वा इंसानियत से दूरी, मरीज़ की ज़िन्दगी और सेहत से ज़्यादा मरीज़ की जेब पर नजर का होना दूसरी बड़ी वजह है, औरत का आसानी पसंद होना और ये ख्याल की हमल हो जाने के बाद काम नहीं करना, सारा दिन खाली बैठे रहना muscular tissue और खुसुसन Ovari के Muscles को नरम और flexible बनाने के बजाए stiff और सख्त बना देता है,

खाली सारा दिन लेते रहने के बजाय अगर कुछ खास एक्सरसाइज खुसुसन आखिरी महीनों में की जाए,। या घर के काम काज किए जाएं जैसे झाडू देना , डस्टिंग करना

इससे Ovari की muscles को हरकत मिलेगी , जिससे हरारत पैदा होगी जो नरम करेगी

खुराक में जब हम Folic Acid या Venofer के इंजेक्शन लगाएंगे तो ये लोहा होने की वजह से जिस्म के Muscles को इंतेहाई सख्त करेगा क्योंकि ये Muscles की खुराक है, जिससे रास्ता खुलने के बजाय और तंग होगा, उसकी जगह अगर,

मुरब्बा हरड़
मुरब्बा अमला
सेब
पालक साग
कलेजी,
दूध
अंडा
शहद
घी
मनकी
आडू
लौंग
दालचीनी
बादाम और
जाफ रान का इस्तेमाल किया जाएं तो उससे जिस्म को कुदरती Folic Acid और खून भी ज़्यादा मिकदार में मिलेगा, और जिस्म के Muscular Tissues सख़्त होने के बजाए ताकतवर और नरम होंगे और खूबसूरत बच्चे पैदा होंगे इनशा अल्लाह ,

दूसरी तरफ Calcium की गोलियां याद रखें हड्डियों को सख्त कर देती है, 9 महीने लगातार Calcium की गोलियां खाने से मां और बच्चे की हड्डियां सख्त....

तो आप अंदाजा कर लें के Muscular Tissues भी सख्त , हड्डियां भी सख्त , इसी लिए कभी कभी कह दिया जाता है के बच्चे का सर बढ़ा हुआ है, मां की हड्डी बड़ी हुई है इसलिए ऑपरेशन ही होगा,

भाई 9 महीने अंधा धुंध Calcium की गोलियां खिला खिला कर आपने नॉर्मल डिलीवरी का चांस छोड़ा ही कब है,

क्यूंकि इससे कमाई ज़्यादा है ऑपरेशन से तो पैसे बनने है, नॉर्मल से क्या मिलना है, अगर कुदरती Calcium यानी
दूध
दही
अंडे
घी , खिलाया जाता तो गारंटी से कहता हूं कभी Calcium की कमी ना आती और हड्डियां मजबूत तो होती मगर बढ़ती ना, सख्त ना होती,

हा ! दुकान की सेल जरूर काम हो जाती, कमिशन जरूर कम हो जाता, मेडिकल स्टोर की सेल कम हो जाती, क्यूंकि अमली तौर पर हमारा अल्लाह पर यकीन ज़ीरो है, तकरीरों और बात चीत में 100 फीसद है,

डिलीवरी नॉर्मल ना होने की एक बड़ी वजह, जैसा के मैंने बताया है हड्डियों का सख्त होना,

Muscular tissue का सख्त हो कर उनमें लचक का कम होना और उसमे रूतुबत तैलीय की कमी का होना है, जो Lubrication का काम करती है , इन सब के लिए आखिरी माह सदियों से आजमाया हुआ फॉर्मूला जो हमारी माएं इस्तेमाल करती आ रही थी,

एक तो जिस्मानी वर्जिश और दूसरी अहम चीज देसी घी, छुआरा और जाफ्रान का इस्तेमाल था, दूध में डालकर जिसमें फौलाद कैल्शियम गंधक यानी हरारात अधिक मिकदार में होती है इसका छोड़ देना, और सारा दिन औरतों का बिस्तर पर पड़े रहना और कैल्शियम फोलिक एसिड की गोलियां खाना और Venofer के इंजेक्शन लग वाना है,.

फिर डिलीवरी के रोज़ और दौरान वो ज़ुल्म वा सितम होता है, अल्लाह की पनाह , एक तो शर्म वा हया की धज्जियां उड़ा दी जाती है, जिस्म दिखाया जाता है,

फिर पैसों का लालच और हिर्स में हम उस हद तक गिर चुके हैं के, नॉर्मल केस को कट लगवाकर जेबों पर डाका डाला जाता है,

एक और ज़ुल्म जिसकी तरफ बतौर खास तवज्जो दिलाना चाहता हूं के बच्चा जब मां के पेट में होता है तो उसका दर्जा हरारत 80 से 90 डिग्री तक होता है, लेबर रूम में Air Condition होने की वजह से एक तो मां के अजलात सर्दी से सिकुड़ते है, ये साइंस का उसूल है के सर्दी से चीज़ सिकुड़ती और हरारत से फैलती है,

कमरे में 16 डिग्री का तापमान रहने से रहम सिकुड़ेगा या फैलेगा ?

यकीनन सिकुडेगा तो ये चीज़ नॉर्मल डिलीवरी में फायदेमंद है या रुकावट ?? यकीनन जवाब है रुकावट

मगर, नाज़ुक मिजाज़ डॉक्टर को गर्मी लगेगी लिहाज़ा मरीज़ जाए भाड़ में या मौत के मुंह, हद तो ये है के डॉक्टर तो डॉक्टर है लेकिन रूम का सफाई वाला अमला और उसका नखरा और उसका रुआब अल्लाह की पनाह, वा आसमान पर होता है

मगर सलाम है हमारी उन माओ और बहनों को जो लेबर रूम में अंगीठियां जलाकर पसीने पसीने हो कर फितरी अमल को पाए तकमील तक पहुंचाती थी घर में ही,

इस सिलसिले में एक और मसला बच्चे का सांस उखड़ना और incobeter में डालना ,

प्यारे भाई, जब बच्चा एक दम से 80-90 डिग्री तापमान से एक दम 16 डिग्री के तापमान पर आएगा तो उसकी सांस ना उखड़ेगा तो और क्या होगा ??

फिर दर्द के इंजेक्शन लगवाने की सज़ा बल्कि भैंसों वाले इंजेक्शन पाबंदी के बावजूद लगवाए जाते हैं, जो औरत को सारी ज़िन्दगी कमर दर्द की सूरत भुगतना पड़ती है वह एक अलग कहानी है,

फिर एक एक दिन का गिनना और एक दिन भी ऊपर या नीचे ना जाने देना के ग्राहक किसी और दुकान का रुख ना कर जाए,

इस सिलसिले में सिर्फ इतना अर्ज़ करूं के फल जब पकता है तो खुद बखुद नीचे गिरता है, दर्दें कुदरती और फित्री होना चाहिए, याद रखें फितरत इंसान की दोस्त है दुश्मन नहीं,

मस्नुई दर्द के ग्राहक दूसरी दुकान ना चला जाएं के खौफ से भैंसों वाले टीके लगाएंगे, जो फितरत के साथ भयानक मज़ाक है फिर नतीजे तो भुगतने पड़ेंगे, सजा तो ज़रूर मिलेगी, फितरत किसी को माफ नहीं करती

फिर याद रख लें, बच्चों के अंदर जितने केसेस खून की कमी के आ रहें है वह सब के सब मसनुई Folic acid और मसनुई Calcium की वजह से हैं, क्यूंकि इससे तली का Spleen फाल डिस्टर्ब होता है जिससे वह Anaemia का शिकार हो जाते हैं ,

मुख्तसर

फितरत से जितना दूर हटेंगे इतनी हमें सज़ा ज़्यादा मिलेगी इस मौजू पर बहुत है कहने को शायद इतना भी हज़म ना हो दुकानदारों को,

लेकिन मेरे प्यारे भईयों

ये हमारी माओ बेटियों और शरीक ए हयात का मसला है !!!!

इस पोस्ट को इतना शेयर कीजिए के ये " औरत बचाओ मुहिम " बन जाए

लेखक : अब्दुल्लाह भाई
हिंदी तर्जुमा : Umair Salafi Al Hindi
Via Islamicleaks