Monday, January 31, 2022

लोगों की शादियों में सैकड़ों लोग शामिल होते हैं

 



लोगों की शादियों में सैकड़ों लोग शामिल होते हैं, लोगों के इंतेकाल में सैकड़ों लोग शामिल होते हैं लेकिन जब वो जिंदगी के किसी मोड़ पर परेशानियों से घिर जाता है तब उसका साथ देने के लिए दो चार लोग होते हैं जिनसे समस्या हल नहीं होती, अगर यही शादी में बारात के रूप में या रिश्तेदारों के रूप में जो भीड़ आती है ये लोग रक्तदान या ईलाज के वक्त हॉस्पिटल में क्यों नही आते, थाने चौकी के मसलों के वक्त या माली तौर पर परेशानी के वक्त सपोर्ट क्यों नही करते, ये रिश्तेदारों की भीड़ सिर्फ़ शादी में मुर्ग मुसल्लम खाने के लिए ही है क्या ?

अगर लोग अहद कर लें कि हम परिवार में जिस भी निकाह में शामिल होंगे उनका तमाम जिंदगी ख्याल रखेंगे किसी भी दिक्कत परेशानी में साथ खड़े रहेंगे तो बहुत से लोगों की बहुत सी परेशानियां दूर हो सकती है, एकता में सबकी भलाई है अपने परिवार व रिश्तेदारों से बनाकर रखें एकजुट रहें नही तो आज जो लोग परेशानियों में मुब्तिला हैं वैसी परेशानी आपको भी घेरेगी।
हमारे घर परिवार के लोग ही हमे बचपन से अपने लोगों से नफरत करना सिखाते हैं अगर हम अपने परिवार की बातों को इग्नोर करके अपने नबी की बातों को मानना शुरू कर दें तो सबकी जिंदगी और आखिरत दोनो बन जाएगी।
In Sha Allah

Sunday, January 30, 2022

टूटे हुए इंसान को हर अपनाईयत से बात करने वाला मसीहा लगने लगता है

 



टूटे हुए इंसान को हर अपनाईयत से बात करने वाला मसीहा लगने लगता है, और इस जज्बे में खोकर हम अपना सब कुछ उसे सुना देते हैं जो खालिस उस जात के लिए था जो बिन कहे सब जानता था,

मगर इंसान मिट्टी से बनाए इन पुतलों से हमदर्दी पाने के खातिर इतना झुक जाता है के फिर उठना मुमकिन नहीं होता ,

और जिससे गम बांटता है वह हकीर समझ लेता है, मोहतात रहें इन नरम दिल लहजों से , बड़े सफफाक होते हैं!!!
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Saturday, January 29, 2022

हस्सास (Sensitive) तबियत लोगों के भी अजीब मसाइल होते हैं

 




हस्सास (Sensitive) तबियत लोगों के भी अजीब मसाइल होते हैं, दूसरों के लिए खुद की मसरूफियात तर्क करके उनको वक्त देने वाले ये लोग छोटी छोटी बातों को ना सिर्फ महसूस करते हैं बल्कि कहीं ना कहीं हर बात के जिम्मेदार खुद को महसूस करते हैं,

कोई नज़र अंदाज़ करे !!
सख्त लहजे में बात करे !! गोया हर तरह की बात को गहराई में जाकर सोचने लग जाते हैं, दूसरों को खुश करने के लिए अपने दुख दर्द को भी फरामोश कर देते हैं,
फिर एक वक्त आता है के अपनी कद्र वा कीमत खो देते हैं,भला ऐसे लोगों की क़दर की जा सकती है जो हर वक्त मयस्सर हों !!
जो हमारी खुशी गमी में अपने एहसासात को रद्द करते हुए हमारे साथ शामिल होते हैं, ऐसे लोगों को बेवकूफ तसव्वुर किया जाता है, भला कोई चीज हो या इंसान बगैर जद्दोजेहद के मयस्सर आ जाए हमें तो उसकी क़दर हम थोड़ी ना करते हैं,
हम तो उन चीजों और इंसानों के पीछे भागने के आदी हैं जो हमारी पहुंच से दूर हों, जिनको हमारे एहसासात हमारे साथ की कदर ना हो, हम भी उन्ही के पीछे जलील वा ख्वार होना पसंद करते हैं मगर जो खामोशी से हमारे साथ साय की तरह रहते हैं, हमारी परवाह करते हैं उनको नजरंदाज करना अपना फर्ज समझे , सराबों के पीछे भागते भागते हकीकत को झुटला देते हैं,
फिर यही हस्सास तबियत लोग अंदर ही अंदर खुद को अजीयत देना गवारा तो कर लेते हैं मगर एक हर्फ ए शिकायत तक ज़बान पर नहीं लाते, खुशियों भरी जिंदगी गुजारने के लिए कभी कभी खुदगर्ज होना पड़ता है मगर हस्सास फितरत लोगों के अख्तियार में कहां होता है के वह बेहिस होकर जिंदगी गुजारें,
Umair Salafi Al Hindi

Friday, January 28, 2022

अल्लाह की आजमाइश

 




अल्लाह की आजमाइश

जब कभी आप पर दुनिया तंग होने लगे तो याद कर लिया करें ..

वह सात बच्चों के बाप थे, तीन बेटे और चार बेटियां, उनका पहला बेटा दो साल और चंद माह की उम्र में फौत हो गया, दूसरा बेटा पंद्रह माह में चल बसा, तीसरा बेटा सत्रह माह में फौत हो गया,

उनकी पहली बेटी की शादी हुई वह 28 बरस में दुनिया से रुखसत हो गई, उनकी दूसरी बेटी की शादी हुई वह 21 बरस में अल्लाह को प्यारी हो गई, फिर उनकी तीसरी बेटी की शादी हुई वह भी 27 बरस में इस जहां ए फानी से कूच कर गई,

उन्होंने अपने तमाम बेटे और बेटियों को अपनी आंखों के सामने दुनिया से रुखसत होते देखा, और उनकी रहलत के वक्त सिर्फ एक बेटी दुनिया में रह गई थी,

क्या आपने जान लिया के ये कौन थे ???

अल्लाह के हबीब आखिरी नबी मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम थे, जब कभी आपको किसी सख्त आजमाइश या दिल चीर देने वाले गम का सामना हो तो अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की आजमाइश को याद कर लिया करें...

Umair Salafi Al Hind

Thursday, January 27, 2022

वो कहने लगी, ये बताओ मुहब्बत मासूम होती है या चालाक ??


 


वो कहने लगी, ये बताओ मुहब्बत मासूम होती है या चालाक ?? मैं उसके इस सवाल से हैरान रह गया , पता नहीं क्यों वह हर बार मेरा इम्तिहान ले लेती थी,

मैंने बहुत सोच कर जवाब दिया , देखो मुहब्बत बहुत सयानी और चालाक होती है, वह हंसने लगी और बोली, " नहीं सरकार ! मुहब्बत बहुत ही भोली और मासूम होती है , कब किससे हो जाए "

मैंने लंबी सांस ली और बोला ," देखो मुहब्बत के बारे में हर किसी की अजीब मन्तक है, कोई कहता है मुहब्बत एक बार होती है, और कोई कहता है इंसान को भटकने से ही महबूब हासिल होता है, "

पता है , कभी सोचना !!

मुहब्बत किसी यूनिवर्सिटी की लड़की को किसी जमादार से क्यों नहीं होती ?? मुहब्बत कभी किसी पढ़े लिखे लड़के को किसी भिकारन से क्यों नहीं होती ??

अच्छा ये सोचना , मुहब्बत किसी डॉक्टर या किसी अफसर को किसी बेवा या जिस्मफरोश औरत से क्यों नहीं होती जिसका कोई सहारा नहीं होता ?? तुमने कभी देखा है कितने मुहब्बत के दावेदार मुहब्बत को अंजाम तक पहुंचाते हैं,

अच्छा चलो , ये बताओ तुमको कभी किसी अनपढ़ गंवार मजदूर से मुहब्बत क्यों नहीं हुई ??

पता है, हर शख्स देखभाल कर ही अपना महबूब चुनता है , ये अब कहने की बातें हैं के मुझे शक्ल से कोई सरोकार नहीं,

आजकल की मुहब्बत में दर्जे हैं, और ये सच है के मुहब्बत कभी अपना दर्जा छोड़कर किसी दूसरे निचले दर्जे वाले से नहीं होती, हां हालात वा वाकयात का फर्क जरूर आ सकता है, वह ऐसे के एक अमीर लड़का एक खूबसूरत भिकारन से दो नंबरी इश्क करेगा , लेकिन सिर्फ अपने मतलब की हद तक और इस दौर में हर शख्स ही मुहब्बत के नाम पर औरत जात को भिकारन बना देता है लेकिन कुछ लोग सच्ची मुहब्बत करते हैं, लेकिन वहां पर औरत जात धोका दे जाती है,

इसी तरह दूसरी तरफ एक हुस्न परस्त लड़की एक खुबरू नौजवान से बीस नंबरी तक बड़ा महकता इश्क करेगी लेकिन वह इश्क सिर्फ वक्त गुजारी टाइमपास ही होगा, और ये वो हकीकत है जो कभी इश्क आशिकी के फसानों में कम और इस हकीकत में ज्यादा मिलेगी,

ये भी होता है के किसी को बिना देखे उसके लहजे से आवाज से,उसके अंदाज से हो जाती है मुहब्बत लेकिन, ए मेरे इश्क ! ये बात भी सच है के जब परदे उठते हैं तो ये मुहब्बत के नब्बे फीसद केस हवा में तहलील हो जाते हैं,

कहीं अब्बा नहीं मानता तो कहीं मुआशरा !!

बस, ए मेरे इश्क एक बात हमेशा याद रखना , या तो किसी के होना , या फिर किसी के ना होना ,और जिसके होना ,फिर उसके या अपने होने तक बस उसके ही होकर रहना , अगर तुम्हारा चाहने वाला अपना लहजा बदल ले तो उसकी खुशी की खातिर उससे दूर हो जाना ,

क्योंकि जब लहज़ा बदल जाए तो वजाहत कैसी ??

मनकूल

तर्जुमा :Umair Salafi 

Wednesday, January 26, 2022

ख्वारिज के दिल में हज़रत अमीर मुआवीया का बुग्ज था तो हज़रत अली से भी बुग्ज में मुब्तिला हो गए और हज़रत अली को शहीद कर दिया ,

 



ख्वारिज के दिल में हज़रत अमीर मुआवीया का बुग्ज था तो हज़रत अली से भी बुग्ज में मुब्तिला हो गए और हज़रत अली को शहीद कर दिया ,

तो पता चला जिस तरह आग और पानी इकट्ठा नहीं हो सकते उसी तरह एक दिल में हज़रत मुआविया का बुग्ज और हजरत अली से मुहब्बत इकट्ठी नहीं हो सकती,

सबाइयों ने हज़रत मुआविया से बुग्ज रखा तो उन्ही सबाईयों ने हज़रत हसन को जहर देकर शहीद किया और हज़रत हुसैन को कूफा बुलाकर शहीद किया ,

तारीख गवाह है जिसके दिल में हज़रत मुआविया का बुग्ज रहा उसके दिल में हज़रत अली की मुहब्बत आ ही नहीं सकी,

Tuesday, January 25, 2022

हज़रत अमीर मुआवीया का तकवा

 




हज़रत अमीर मुआवीया का तकवा

अबी मजलिज से रिवायत है के हज़रत अमीर मुआवीया निकले , अब्दुल्लाह बिन जुबैर और इब्न सफवान ने जब आपको देखा तो खड़े हो गए , तो हज़रत अमीर मुआवीया ने कहा, " तुम दोनो बैठ जाओ इस लिए के मैने सुना है के अल्लाह के रसूल से के आप फरमाते थे जिसको खुश लगे या पसंद आए ये के खड़े रहें लोग उसके सामने तस्वीर की तरह तो वह अपनी जगह ढूंढ ले दोजख में "

(किताबुल अदब, तिरमिजी )

सुभानल्लाह, तकवा, परहेजगारी और खुसू वा खुजू की बहतारीन मिसाल, बावजूद इसके के हज़रत अमीर मुआवीया ने अमीर शाम थे लेकिन अपने सामने किसी का झुकना तो बड़ी दूर की बात किसी का खड़ा रहना भी गवारा ना किया ,

ये आजिजी ही तो है जो इंसान के दिल से तकब्बुर को खींचकर निकाल देती है,

आज के इस दौर में हमारे हुक्मरानों के लिए हज़रत अमीर मुआवीया की जिंदगी बहतरीन नमूना हैं जो अपने लिए जरा सी ताज़ीम और खिलाफ सुन्नत बात को भी गवारा ना किया करते थे,

और अम्र बिल मारूफ वा नही अनिल मुनकर के इतने मुश्ताक के जलीलुल कदर सहाबा से जब खिलाफ शरह बात देखी तो फौरन उनको रोक दिया ,

साभार: अब्दुल खालिक भट्टी
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks 

Monday, January 24, 2022

मुझे चेहरे पढ़ने आते हैं ??, मैने उसको हंस कर कहा ,

 



मुझे चेहरे पढ़ने आते हैं ??, मैने उसको हंस कर कहा ,

कहने लगी, " बिलकुल तुम्ही तो जादूगर हो !", मैने कहा " हां ! बिलकुल मुझे जादूगर ही समझो "

पता है सबसे ज्यादा अजाब इंसान के लिए क्या होता है ?, किसी को हद से जान लेना

ये सुनकर बोली, " मैं तो तुमको मुकम्मल जानती हूं ? तुम्हारे बारे में एक एक बात जो तुम बोलते भी नहीं", मैं हंस कर चुप कर गया क्योंकि मुझे मालूम था के सबकुछ एक जैसा नहीं रहता क्योंकि हर इंसान के पास अपना रास्ता चुनने का हक है, मैं कैसे किसी को रोक सकता था,

हर इंसान ही जादूगर होता है जो मुहब्बत से रिश्तों को जोड़े रखता है, जिन रिश्तों में मुहब्बत होती है ना उनमें दिल से दिल को राह होती है, जब एक शख्स को तकलीफ होती है तो दूसरे सख्स को फौरन पता चल जाता है,

लेकिन एक वक्त ऐसा आता है के चाहे आप किसी स्टेचर पर जिंदगी की बाजी लड़ रहें होते हैं या अकेले वीरान कमरे में, कोई हाल नहीं पूछता क्योंकि जाने वाला अपनी मंजिल चुन चुका होता है,

आपके आंसू और अजियत उसके लिए बेमायने हो चुके होते हैं, अगर गलती से बर्दाश्त का दामन छोड़कर अपनी तकलीफ का उनको बता दें तो सिर्फ Get Well Soon का लफ्ज़ कह दिया जाता है,

तो फिर इंसान यही सोचता है के क्यों बताया जाए किसी को, जाने वाला जा चुका है, उसको ख्वाब दिखाने वाला और उनको ताबीर देने वाला मिल चुका है, इसलिए अपनी जात को उस शख्स के सामने बार बार Degrade ना करें, जिसके लिए कभी आप जादूगर थे क्योंकि उसका soulmate अब कोई और है,

आप सिर्फ जोकर !!

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks 

Sunday, January 23, 2022

अल्लाह ने किसी को जना नहीं है और ना ही किसी से जना गया है





जिस अहमक (जाहिल) ने भी ये तस्वीर बनाई है उसे " खालिक" (पैदा करने वाला ), और " विलादत " ( जन्ने वाला ) का फर्क ही नहीं मालूम,


उर्दू में जब अल्लाह को " पैदा करने वाला" कहा जाता है तो ये " खालिक" यानी बनाने वाले के माने में होता है, और जब मां बाप को " पैदा करने वाला" कहा जाता है तो ये " वालिद और वालिदा " यानी जन्ने " वाले के माने में होता है,

अल्लाह यानी " खालिक" है लेकिन वालिद नहीं है, सुराः इखलास में है,
{ لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ}

" अल्लाह ने किसी को जना नहीं है और ना ही किसी से जना गया है "

(कुरआन सूरह इखलास आयत 3) 

Saturday, January 22, 2022

कभी जिंदगी कितनी तंग लगने लगती है,

 



कभी जिंदगी कितनी तंग लगने लगती है,लोग हमें इतना महदूद कर देते हैं के हमारा खुद की जात में सांस घुटने लगता है, और किसी को हमदर्द पाकर कुछ कह लो, कोई शिकवा वा शिकायत तो सुनने को मिलता है


दफा करो!
छोड़ दो उनको, उनके हाल पर !
तुम अपनी जिंदगी जिओ !
रिश्तेदार होते ही ऐसे हैं !

और दिल का बोझ कम होने की बजाए बढ़ जाता और उलझन ज्यादा उलझ जाती है,

अगर जिंदगी बगैर रिश्तों के अच्छी गुजर सकती थी, तो अल्लाह ने रिश्ते क्यों बनाए ??

अगर लोगों के बगैर हम पुरसुकून रह सकते हैं तो अल्लाह ने इतने लोग क्यों बनाए ?? अजनबियों से इतने प्यारे ताल्लुक क्यों बनाए ??

जब ये मशवरा देते हो के दूसरों को उनके हाल पर छोड़ दो, तो जब कोई तुमको तुम्हारे हाल पर छोड़ता है तब तुम क्यों तड़पते हो ??

दूसरों को कहते हो के तुम बहुत हशशाश बन रहे हो,जब वह बेहिश हो जाए तो उसे जीने क्यों नहीं देते ??

कोई दुख सुनाए तो...तो सुनते क्यों नहीं!!

Umair Salafi Al Hindi

Friday, January 21, 2022

हम परफेक्ट नहीं होते !

 



हम परफेक्ट नहीं होते !


एक तरफ हम किसी की बहतारीन याद होते हैं, तो दूसरी तरफ कोई हमारा नाम लेते ही सर से पांव तक सुर्ख हो जाता है,

कोई हमारी कुर्बत के लिए तरसता है, तो कोई हमारे साए से भी दूर रहना चाहता है,

कोई भी इंसान सिर्फ अच्छा या सिर्फ बुरा नहीं होता ,

हम किसी के लिए एक मिसाल, और किसी के लिए एक सबक और किसी के लिए अजाब होते हैं,

हम परफेक्ट नहीं होते !!

मनकूल 

Thursday, January 20, 2022

समुंदर सबके लिए एक जैसा ही होता है

 



समुंदर सबके लिए एक जैसा ही होता है, लेकिन कुछ लोग उसमे से मोती तलाश कर लेते हैं, कुछ मछलियां पकड़ लेते हैं ...!!

और कुछ को समुंदर से खारे पानी के सिवा कुछ नहीं मिलता ...!!!
बादल से बरसने वाला पानी एक जैसा ही होता है, उपजाऊ ज़मीन उसी पानी से सब्जा ऊगा लेती है, सहरा की रेत उसी पानी से अपनी प्यास बुझा लेती है और वही पानी चिकने पत्थरों को महज़ छू कर गुजर जाता है,
अल्लाह की रहमत हर दिल के लिए एक जैसी है, अब ये हम पर है के , हम पर इसका कितना रंग चढ़ता है,
" और अल्लाह का रंग सब रंगों से बेहतर है "
अपना खुद का मुहासबा कीजिए
Umair Salafi Al Hindi

Wednesday, January 19, 2022

वो कहते है कुछ नही था ज़मिन व आसमान नही था सब जगह गेस ही गेस थी अचानक एक विसफोट हुवा और कायनात तशकिल पा गयी

 



वो कहते है कुछ नही था ज़मिन व आसमान नही था सब जगह गेस ही गेस थी अचानक एक विसफोट हुवा और कायनात तशकिल पा गयी ,,

लेकिन जब उनसे पुछा गया कि वो विसफोट किसने किया ?
तो साईंस इस सवाल पर घुटने टेक देता है ,,और वो कहते हुवे निकल जाते है कि बस हो गया ,,
जबकी इस सवाल का जवाब कोई नही दे सका ना दे सकेगा सिवाए कुरान के कुरान कहता है
اَوَ لَمۡ یَرَ الَّذِیۡنَ کَفَرُوۡۤا اَنَّ السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضَ کَانَتَا رَتۡقًا فَفَتَقۡنٰہُمَا
यानी - क्या काफिरो ने ये ख्याल ना किया कि ज़मिन आसमान बन्द थे तो हमने उन्हे खोला ( सुराह अम्बिया आयत 30)

तो रतका कहते है खोलने को ,,फेलाव को ,जुदा करने को
वो कहते है बस युही जुदा हो गये अरे नादानो आयत ने बता दिया कि उसको खोलने वाला वो है जिसने तुम्हे ये बताया कि कायनात से पहले गेस ही गेस थी
ثُمَّ اسْتَوَىٰ إِلَى السَّمَاءِ وَهِيَ دُخَانٌ
यानी -फिर आसमान कि तरफ कस्द फरमाया और वहा धुआँ था ( सुराह हाममिम सज्दा आयत 11)

तो दोस्तो ये एडवन हर्बन और न्युटन यही कुरान से इल्म ले लेकर अपनी रिसर्च का नाम देकर नास्तिको को बेवकुफ बना रहे है और नास्तिक उनके चक्कर मे या ज्यादा पढे लिखे नाम निहाद मुस्लिम कुरान से दुर हो रहे है ..

Tuesday, January 18, 2022

शादी जिंदगी का मकसद नहीं है, एक हिस्सा है जिंदगी का ,...




 शादी जिंदगी का मकसद नहीं है, एक हिस्सा है जिंदगी का ,...


क्या आप इसी लिए पैदा हुए हैं के बस किसी अच्छे इंसान से शादी हो गई और जिंदगी का मकसद पूरा हो गया...?? और अगर इसमें ताखीर हो गया या कोई पसंद का इंसान ना मिला तो उसे जिंदगी का End ही समझ लिया ??

खुद को खत्म कर लिया , या नाशुक्री और डिप्रेशन में जिंदगी गुजार दी ..??

मोमिन तो ऐसा नहीं होता !!

मोमिन तो बड़े मकसद के लिए जीने वाला होता है, उसकी सोच तो इससे बहुत आगे की होती है,फिर कैसे हो सकता है के वह इस सब में उलझा रहे , और उन्ही फिक्रों में खुद को घुला दे, जिंदगी को बर्बाद कर दे, अल्लाह से शिकवे नाराजगी का इज़हार करता रहे..

" Life isn't a fairy tale ۔۔۔ जिसका End ये हो के शहजादा शहजादी की शादी हो गई और वह हंसी खुशी रहने लगी"

अल्लाह का प्लान आपके प्लान से मुख्तलिफ भी हो सकता है ?? क्या आप ज्यादा इल्म वाले , अकल वाले हैं या वह गायब वा जाहिर का जानने वाला, हकीमुल खबीर है ???

मानते हैं ना उस रब की हिकमतें आपकी सोच से भी बलातर हैं... फिर क्यों नहीं उस पर भरोसा करते ?? क्यों नहीं उसके सुपुर्द अपने मामलात करते ??

कितने ही मामलात आपके ऐसे थे जो बजाहिर तकलीफदेह थे, पर वह कुछ अरसे की बात थी, अल्लाह ने उन हालात से कितनी खैर निकाली,कितना कुछ सिखाया, कितना कुछ अता किया ,

और कितने ही मामलात ऐसे थे जो बजाहिर आपको बहतारीन लगते थे, कितनी ही चीज़े कितने ही इंसान ऐसे थे, जो आपको बहुत अच्छे लगते थे पर उनके जरिए कितना नुकसान पहुंचा आपको, कितना छुपा शर मिला आपको..

हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम या हज़रत मरयम अलैहिस्सलाम की मिसाल देखें, उनसे इफ्फत और पाकीजगी सीखे, क्या वह किसी गलत राह पर चले ??

क्या अपनी जिंदगी उन्होंने उन छोटी छोटी फिक्रों में गुज़ार दी, क्या उनकी जिंदगी का सिर्फ यही मकसद था ?

हज़रत आसिया , हज़रत नूह, हज़रत लूत के आज़वाज की मिसाल देखें, क्या उन्होंने इस गम में अपनी जिंदगी बर्बाद कर दी के उनके आज़वाज (Spouse) उनकी तवक्को के मुताबिक या उन जैसे नहीं, वह दीन में उनके मददगार नहीं ??

वह उस सबसे बलातार थे, उनकी जिंदगियां अपने रब के नाम थी, उनका मकसद रब की रज़ा , उसके दीन की सरबुलंदी था, तभी उनके साथ अल्लाह की मदद थी

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks