Sunday, January 30, 2022

टूटे हुए इंसान को हर अपनाईयत से बात करने वाला मसीहा लगने लगता है

 



टूटे हुए इंसान को हर अपनाईयत से बात करने वाला मसीहा लगने लगता है, और इस जज्बे में खोकर हम अपना सब कुछ उसे सुना देते हैं जो खालिस उस जात के लिए था जो बिन कहे सब जानता था,

मगर इंसान मिट्टी से बनाए इन पुतलों से हमदर्दी पाने के खातिर इतना झुक जाता है के फिर उठना मुमकिन नहीं होता ,

और जिससे गम बांटता है वह हकीर समझ लेता है, मोहतात रहें इन नरम दिल लहजों से , बड़े सफफाक होते हैं!!!
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