टूटे हुए इंसान को हर अपनाईयत से बात करने वाला मसीहा लगने लगता है, और इस जज्बे में खोकर हम अपना सब कुछ उसे सुना देते हैं जो खालिस उस जात के लिए था जो बिन कहे सब जानता था,
मगर इंसान मिट्टी से बनाए इन पुतलों से हमदर्दी पाने के खातिर इतना झुक जाता है के फिर उठना मुमकिन नहीं होता ,
और जिससे गम बांटता है वह हकीर समझ लेता है, मोहतात रहें इन नरम दिल लहजों से , बड़े सफफाक होते हैं!!!
मगर इंसान मिट्टी से बनाए इन पुतलों से हमदर्दी पाने के खातिर इतना झुक जाता है के फिर उठना मुमकिन नहीं होता ,
और जिससे गम बांटता है वह हकीर समझ लेता है, मोहतात रहें इन नरम दिल लहजों से , बड़े सफफाक होते हैं!!!
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