Wednesday, June 30, 2021

जहां सब्र हो वहां मायूसी और परेशानी की कोई जगह नहीं बिल्कुल नहीं,

 सब्र


सब्र, बेबसी से बर्दाश्त किए जाने का नाम नहीं, इससे मुराद है के अगर कांटों पर चलो तो नज़र सिर्फ फूलों पर हो अंधेरी रात हर तरफ छाई हो तो दिखाई सिर्फ सुबह का उजाला दे,





जहां सब्र हो वहां मायूसी और परेशानी की कोई जगह नहीं बिल्कुल नहीं,

जबकि, " बेसब्री " का मतलब है के आपका किसी काम के अंजाम पर यकीन ना हो, आप अंजाम देखने मे काबिल ना हो पाएं,

अल्लाह से मुहब्बत करने वाले सब्र का दामन कभी नहीं छोड़ते क्योंकि वो आगाह होते हैं के ," चांद को महीने कामिल बनने के लिए वक्त दरकार होता है, फूल को मुकम्मल बनने और खिलने के लिए पहले कांटों वाली झाड़ी बनना पड़ता है "

दिन का उजाला देखने के लिए रात की सियाही छटने का इंतजार करना पड़ता है, गोया के हर अंजाम को वक्त दरकार है, और वह वक्त सब्र में गुजरेगा तब मुमकिन है के आपका अंजाम बेहतरीन होगा ,

सब्र का दामन थामे रखें, क्योंकि

" अल्लाह सब्र करने वालों से मुहब्बत करता है"

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks 

Tuesday, June 29, 2021

उस्मान ! इफ्तारी हमारे साथ करना

 



" उस्मान ! इफ्तारी हमारे साथ करना !!"


हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर फरमाते हैं के एक सुबह हज़रत उस्मान ने लोगों से बयान किया ,"

"إِنِّي رَأَيْتُ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فِي الْمَنَامِ اللَّيْلَةَ، فَقَالَ: يَا عُثْمَانُ، أَفْطِرْ عِنْدَنَا"

" बेशक गुजिश्ता रात मैंने ख्वाब में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा है, आपने फरमाया : उस्मान ! इफ्तारी हमारे साथ करना "

चुनांचे इस रोज़ हज़रत उस्मान ने रोज़ा रखा और आपको रोजे की हालत में शहीद कर दिया गया !!

(मुस्ताद्रक हाकिम : हदीस 4554, सहिह)

~ Muhammad Shahed

Blog: Islamicleaks

Monday, June 28, 2021

आज अमेरिका व यूरोप की जो भी चमक दमक है

 



लिखने के लिए तो इतना कुछ है कि ज़िन्दगी कम पड़ जायेगी, फैक्ट मैटीरियल कम नहीं होंगे। फिर भी जो कुछ हो सकता है वो लिखता रहूंगा।


आज अमेरिका व यूरोप की जो भी चमक दमक है वो ज़ायोनिस्ट यहूदी बैंकर्स और मल्टी नेशनल कॉरपोरेट की ज़ाती मिल्कियत है इसमें अमेरिकी अवाम का कुछ भी नहीं है। चंद एक अमीर खानदानों की शानो-शौकत को ऐसे दिखाया जाता है जैसे हर अमेरिकी और यूरोपियन नागरिक दोलत की रेलमपेल में लबरेज़ हो।

सरकार 75 ट्रिलियन से ज़्यादा की कर्ज़दार है और अमेरिका के तमाम कुदरती वसायल पर यहूदी पूंजीपति काबिज़ हैं। रेल, सड़क व हवाई ट्रांसपोर्ट टोटल प्राइवेट है। फिल्म इंडस्ट्री प्राइवेट, खेती ज़राअत तमाम कुछ बड़े लैंडलॉर्ड की मिल्कियत है।

अमेरिका की पच्चीस करोड़ अवाम पर कुछ गिनती के खानदानों का शिकंजा कसा है अवाम को बेहयाई, फहाशी में डुबो दिया गया है। तमाम आबादी मल्टी नेशनल कॉरपोरेट की बंधुआ मज़दूर बन चुकी है।

पच्चीस करोड़ अवाम को बैंकों का मकरूज़ बना दिया गया है। फैमिली सिस्टम तबाह है मैरिज इन्स्टीट्यूशन्स बरबाद हो चुके हैं। वूमेन लिबर्टी के नाम पर औरतो की अस्मतदरी का बाज़ार गर्म है।

पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कहा था कि अमेरिकी अवाम की आधी से ज़्यादा आबादी बिना शादी के पैदा हुई नाजायज़ औलादें हैं।

क्रिमिनल और मेंटली डिस्टर्ब लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। जेलें क़ैदियों से भरी हुई हैं। डिप्रेशन का माहौल अमेरिकी अवाम में आम हो चुका है इसी वजह से आये दिन कोई सिरफिरा गन लेकर पब्लिक प्लेस में पंहुचता है और फायरिंग करके बेगुनाहों को मार डालता है।

ना मरने वालों को पता होता कि उन्हें क्यों मारा गया है और ना मारने वाले को पता होता है कि वो क्यों लोगों को मार रहा है। वहां इन्सानियत रो रही है और हम दूर के ढोल से मरऊब होकर अपने यहां भी वही खोखली चमक दमक लाना चाहते हैं।

Muhammad Shaheen

Blog: Islamicleaks 

Sunday, June 27, 2021

हाइपर-कैपनिया 'Hypercapnia

 



हाइपर-कैपनिया 'Hypercapnia' बीमारी बहुत अधिक समय तक मास्क पहने रहने की वजह से बढ़ रही है, इस बीमारी में इंसान के फेफड़ों में कॉर्बनडाइऑक्साइड का स्तर ज़्यादा बढ़ जाता है, जिससे मरीज़ ठीक से सांस नही ले पाता, उसकी मांसपेशियों में, सर में दर्द रहने लगता है, गम्भीर हालत में मरीज़ बेहोश हो सकता है या उसकी मृत्यु तक हो सकती है !!


कोविड की वजह से जिस मास्क के पहनने को दुनियाभर के देशों में अनिवार्य किया जा रहा है, इसी मास्क से हमारे फेफड़े खराब हो रहे हैं, दरअसल नाक के मास्क से कवर रहने की वजह से इंसान की सांस में उसी की छोड़ी हुई कॉर्बनडाइऑक्साइड वापस चली जा रही है, जिससे फेफड़े उत्तरोत्तर ख़राब होते जा रहे हैं.
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भारत मे मौजूदा ऑक्सीजन संकट के पीछे बड़ी वजह ये हो सकती है कि पिछले वर्ष कई महीनों तक नगरीय और महानगरीय इलाकों में कामकाजी लोगों ने अनिवार्य रूप से मास्क पहना है, जिससे उनके फेफड़ों पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

आज देश का कामगार, मजदूर, बुजुर्ग और महिलाओं की आबादी का एक बड़ा हिस्सा लम्बे समय तक मास्क पहनने की वजह से हाइपर-कैपनिया से ज़्यादा या थोड़ा, किसी हद तक पीड़ित ज़रूर है, वरना पिछले साल तो कोरोना फैलने के बावजूद लोगों की सांसें इस क़दर नही फूली थीं.

क्योंकि उससे पहले सारे देश को मास्क की अनिवार्यता कभी नहीं थी, सो लोगों के फेफड़े भी ठीक थे......

डॉ विश्वरूप रॉय चौधरी पर विश्वास न कीजिये... ख़ुद गूगल या यूट्यूब पर दूसरे स्रोतों से Hypercapnia के बारे में जानकारी हासिल कीजिए

आप खुद विश्वास करेंगे कि किस तरह साधारण कोरोना को प्राणघाती कोरोना, कोविड प्रोटोकॉल ने ही बना दिया है !!

Saturday, June 26, 2021

गुफ्तुगु एक ऐसा अमल है जिससे इंसान लोगों के दिल में उतर जाता है,

 



गुफ्तुगु एक ऐसा अमल है जिससे इंसान लोगों के दिल में उतर जाता है,

या
लोगों के दिल से उतर जाता है,
किसी भी इंसान का अंदाज ए गुफ्तगू उसकी सख्शियत का आइना होता है, हम अक्सर मजाक में तंज कर जाते हैं,सच के नाम पर लोगों के दिल छलनी कर देते हैं, दरहकीकत सच कड़वा नहीं होता, हमारे सच सुनाने का अंदाज कड़वा और तल्ख होता है,
खूबसूरत नरम लहजे दिलों में बस जाते हैं जिसे लोग खुशी से सुनना चाहते हैं, नरम लहजे में की गई तल्ख सच बहुत असर अंगेज होती है,
साभार: बहन Saba Yosuf Zai
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
ब्लॉग: islamicleaks

Friday, June 25, 2021

वह हदीस जिसको जब अबू इदरीस अल खौलानी बयान करते तो घुटनों के बल गिर पड़ते थे,

 



वह हदीस जिसको जब अबू इदरीस अल खौलानी बयान करते तो घुटनों के बल गिर पड़ते थे,

ऐ मेरे बंदों ! मैने अपने ऊपर जुल्म को हराम करार दिया है,इसलिए मैने तुम्हारे दरमियान भी जुल्म को हराम करार दिया है, पस तुम आपस में एक दूसरे पर ज़ुल्म ना करो,
ऐ मेरे बंदों ! तुम सब गुमराह हो मगर उस शख्स के जिसको मैं हिदायत बख्शू, पस तुम मुझसे ही हिदायत चाहो, मैं तुम्हे हिदायत दूंगा,
ऐ मेरे बंदों ! तुम सब भूखे हो (यानी खाने के मोहताज हो), मगर उस शख्स के जिसको मैं खिला दूं, पस तुम सब मुझसे खाना मांगों, मैं तुम्हे खिलाऊंगा,
ऐ मेरे बंदों ! तुम सब नंगे हो ( यानी सतरपोशी के लिए कपड़े के मोहताज हो ),मगर उस शख्स के जिसको मैंने पहनने के लिए दिया , पस तुम सब मुझसे लिबास मांगों, मैं तुम्हे पहनाऊंगा ,
ऐ मेरे बंदों ! तुम रात दिन गुनाह करते हो और मैं तमाम गुनाहों को माफ करता हूं, पस तुम सब मुझसे ही मगफिरत तलब करो, मैं तुम्हे माफ कर दूंगा ,
ऐ मेरे बंदों ! तुम हरगिज मेरे नुकसान तक नहीं पहुंच सकते के तुम मुझको नुकसान पहुंचा सको, और हरगिज तुम मेरे नफा को नहीं पहुंच सकते के तुम मुझे नफा पहुंचा सको,( यानी तुम मुझे नफा नुकसान पहुंचाने पर कादिर नहीं )
ए मेरे बंदों ! अगर तुम्हारे अगले और पिछले इंसान और जिन्नात मिलकर तुम में से किसी एक निहायत परहेजगार आदमी के दिल की तरह हो जाएं तो इसे मेरी बादशाही में कोई ज्यादती नहीं होगी,
ए मेरे बंदों ! अगर तुम्हारे अगले और पिछले इंसान और जिन्नात मिलकर तुम में से किसी बदकार आदमी के दिल की तरह हो जाए तो इससे मेरी बादशाही में कोई कमी नहीं कर सकती,
ए मेरे बंदों ! अगर तुम्हारे अगले और पिछले इंसान और जिन्नात मिलकर एक खुले मैदान में खड़े हों और मुझसे फिर मांगें और मैं हर एक को उसके मांगने के मुताबिक दूं तो मेरा ये देना उस चीज से जो मेरे पास है इतना ही कम करती है जितना के एक सूई समुंदर में डालकर उसके पानी को कम करती है,
ऐ मेरे बंदों ! यकीनन ये तुम्हारे अमाल हैं जिनको मैं तुम्हारे लिए गिनकर रखता हूं,फिर मैं तुम्हे उनका पूरा पूरा बदला दूंगा , पस जो शख्स भलाई पाए तो उसे चाहिए के वह अल्लाह की तारीफ करे, और जो शख्स इसके अलावा पाए पस वह अपने नफ्स को ही मलामत करे,
(हदीस ए कुदसी, रवाह मुस्लिम, तिरमिजी, इब्न माजा)
" जो नेकी करेगा वह अपने जाती भले के लिए और जो बुराई करेगा उसका वबाल उसी पर है, फिर तुम सब अपने परवरदिगार की तरफ लौटाए जाओगे "
(कुरआन 45:15)
" जो शख्स नेक काम करेगा वह अपने नफा के लिए और जो बुरा काम करेगा उसका वबाल उसी पर है, और आपका रब बंदों पर ज़ुल्म करने वाला नहीं "
(कुरआन 41:46)
अल्लाह ताला हमारे गुनाहों को माफ फरमा..आमीन
साभार: Umair Salafi Al Hindi

Thursday, June 24, 2021

शुमाल सीरिया का इलाका है जहां नहर फुरात बहती है,

 



शुमाल सीरिया का इलाका है जहां नहर फुरात बहती है, ये उन चार नहरों में से एक है जिन्हे जन्नती नहर कहा जाता है, इसकी शुरुआत तुर्की का इलाका है, तुर्की उर्दुगानी हुकूमत ने सीरिया की सियासी अब्तरी और तबाही का फायदा उठाते हुए नहर पर डैम बना लिया और पानी को रोक दिया , सीरियाई लोग बूंद बूंद को तरस रहे हैं,

अल्लाह हिदायत दे... आमीन
साभार: डॉक्टर अजमल मंजूर मदनी
Blog: islamicleaks

Wednesday, June 23, 2021

दीनदार औरत से शादी की जाए




 दीनदार औरत से शादी की जाए


हज़रत अबू हुरैरा फरमाते हैं के नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया," किसी औरत से शादी चार वजूहात में से किसी एक की बुनियाद पर की जाती है, वह मालदार होती है, वह ऊंची जात की होती है, उसकी खूबसूरती की बिना पर , या वो दीनदार होती है, तुम दीनदार औरत को तरजीह दो "

(बुखारी किताबुन निकाह हदीस 5090)

नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने दीनदार औरत से शादी करने की तरगीब दिलाई है इसलिए के जो औरत दीनदार होगी, कुरआन पढ़ी होगी, नमाज़ रोज़े की पाबंद होगी, अल्लाह और उसके रसूल की इताआत गुजार होगी तो शौहर और अपने ससुराल और शौहर के रिश्तेदारों की इज़्ज़त करेगी,शौहर के दुख दर्द में काम आयेगी, उसके दुखों में कमी करेगी,

लेकिन जो औरत मालदार होगी अपने साथ गाड़ी फर्नीचर, फ्रिज और दूसरी चीजें लाएगी तो वह चौधरानी मर्द की बात कहां मानेगी ??

इसी तरह जो औरत ऊंची जात की होगी वह मर्द को जलील वा रुसवा किए रखेगी, और जो औरत हुस्न वा जमाल वाली होगी उसके नाजों नखरे मर्द कैसे पूरे कर सकेगा !! वह तो मर्द की तकलीफों में इज़ाफा करती चली जायेगी इसलिए नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने दीनदार औरत को तरजीह देने का हुक्म दिया है,

नेक और स्वालेह बीवी जन्नत होती है अगरचे बदशकल हो और बदफित्रत औरत मर्द के लिए अजाब है अगर्चे वह खूबसूरत हो,

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks

Tuesday, June 22, 2021

दोस्तों के नाम एक खुला खत

 


दोस्तों के नाम एक खुला खत

जैसे जैसे दुनिया नाम निहाद तरक्की के जीने पर चढ़ रही है वैसे वैसे लोगों के अंदर अखलाकी गिरावट और फिक्र जवाल आता जा रहा है, चाहे वो समाजी उमूर हों या घरेलू मामलात हर तरफ धुवां धुवां नज़र आ रहा है,

एक दरिंदगी की जंजीर है जिसमे लोग जकड़े जा रहें हैं, एक आग सी है जो दुनिया में फैलती जा रही है, और सबका मकसद यही है के मुस्लिम कौम का वजूद तो रहे लेकिन ये अपने वजूद के बावजूद " बे वजूद" हो जाएं

मगर मुस्लिम हैं के तर्ज ए जिन्दगी के पीछे ऐसे भागे चले जा रहें हैं जैसे भूखे खाने पर और प्यासा पानी पर, हालांकि ये पानी नहीं बल्कि "सराब"(वो रेत जो दूर से पानी नज़र आए) है, आज लोग इस निजाम ए जिन्दगी से तंग आकर इस्लाम के साए में जगह ले रहे हैं, मगर इस कौम की खोपड़ी उलट गई है के उसी हलाकत के गार मे जा रहें हैं,

अजदावाजी ताल्लुकात को ही ले लीजिए मगरिबी तहजीब के मारे हुए लोगों के नज़दीक मां बहिन और बीवी में कुछ फर्क नहीं पाया जाता , इसी तरह कुत्ते और शौहर के दरमियान कुछ फर्क नहीं है बल्कि कई वजूहात की बिना पर कुत्ते को शौहर पर फजीलत हासिल है, और मगरिब के मारे हुए लोगों ने " मुहब्बत" के ऐसे ऐसे अंदाज इजात किए हैं के अल्लाह की पनाह !!

इस मौके पर मुझे मेरे उस्ताद का सुनाया हुआ एक शेर याद आता है के

" सिखाएं हैं मुहब्बत के नए नए अंदाज मगरिब ने,
हया पर पटकती हैं इज़्ज़तें और इस्मते फरयाद करती हैं"

मुमकिन है इस बात से किसी को इत्तेफाक ना हो मगर ये एक हकीकत है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता ,मुझे मालूम है के ये तूल कलामी (लंबी बात ) मेरे बाज़ अहबाब पर गिरां बार साबित हो रही होगी, लेकिन ये परेशान दिल के कुछ ख्यालात हैं,

आखिर में इस शेर पर बात को खत्म करता हूं के

" उठा कर फेंक दो बाहर गली में ,
नई तहजीब के अंडे हैं गंदे"

साभार: Ata Ur Rahman
तर्जुमा : Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks 


Monday, June 21, 2021

बदसूरत औरत नेक सीरती की वजह से मर्द की जन्नत बन गई,

 



बदसूरत औरत नेक सीरती की वजह से मर्द की जन्नत बन गई,


मेरी उमर पच्चीस साल थी जब मैं अमेरिका आया , यहां आए हुए पंद्रह साल हो गए थे अच्छे वह दिन थे जब कानूनी वीजा न होने के बावजूद जॉब मिल जाती थी, ग्रीन कार्ड के लिए पेपर मैरिज का आम रिवाज था अमेरिकी औरतें डॉलर्स के लालच में कुछ मुद्दत तक कागजों में बीवी होती थी और ग्रीन कार्ड मिलते ही तलाक हो जाती, मगर कई बदनीयत औरतें तलाक से मुकर जाती, नौबत झगड़े तक पहुंची तो ग्रीन कार्ड मंसूख करवाने का कह कर ब्लैकमेल करतीं, बच्चे पैदा करतीं,शौहर की कमाई पर ऐश करतीं और उनकी गर्दन का तौक बन जाती,

इस किस्म के वाकयात ने मुझे खौफजदा कर रखा था , वैसे भी जाली शादी से अल्लाह का खौफ लाहक था जमीर वाला इंसान बड़ा ख्वार होता है, जुमा की नमाज के लिए मस्जिद चला जाता,

एक रोज इमाम ए मस्जिद जिसका ताल्लुक मिस्र से था अपना मुद्दा बयान किया तो इन्होंने किसी अमेरिकी मुसलमान औरत से हकीकी शादी करने का मशवरा दिया और बताया कई औरतें इस्लाम कुबूल करती हैं और उन्हें शादी के लिए मसाइल दरपेश होते हैं, इस्लाम कुबूल करने वाली औरतों में सियाह फाम कौम की अक्सरियत है, उन्होंने मुझे एक सियाह फाम औरत का रिश्ता बताया जिसे कुबूल ए इस्लाम की सजा में ईसाई मां बाप ने घर से निकाल दिया और वह मस्जिद के करीब किसी मुसलमान फैमिली के घर एक किराए के कमरे में मुकीम है और इस्लामी स्कूल में जॉब करने लगी है अगर तुम उसे सहारा दे दो तो अल्लाह भी राज़ी होगा और तुम्हारी रिहाइश कानूनी भी हो जायेगी,

मैंने उस औरत को देखने की ख्वाहिश जाहिर की ,इमाम साहब ने कहा मगरिब की नमाज के बाद आ जाना मैं उससे तुम्हारी मुलाकात करवा दूंगा , तमाम रात सोचता रहा कि अगर सियाह फाम औरत से शादी करली तो खानदान वाले जलील कर देंगे के तुम्हे अमेरिका में कोई गोरी लड़की नहीं मिली थी, काली ही करना थी तो हिंदुस्तान में क्या कमी थी जैसे जुमले कानों में गूंजने लगे , खाला की लड़की का कद छोटा होने की वजह से रिश्ता का इंकार कर दिया था , अब कोई जीने नहीं देगा , नफ्स ने परेशान और अमेरिकी कानून ने सूली पर लटका दिया ,

दूसरे रोज नमाज़ ए मगरिब के बाद इमाम साहब मस्जिद से लगे बावर्ची खाने में ले गए जहां वो औरत मेज़ पर बैठी हमारा इंतजार कर रही थी, उसने सियाह बुरका पहन रखा था , इमाम साहब ने तारूफ करवाते हुए कहा ये सिस्टर सफिया हैं, सलाम के बाद उसने नकाब उठाया तो मेरा दिल धड़ाम से सीने से बाहर आने को था अगर मैं कुर्सी को ना थाम लेता , दुबली पतली निहायत सियाह और कुबूल ए सूरत कहना भी दुरुस्त न होगा , अल्लाह की तखलीक थी लिहाजा कोई बुरी बात भी मुंह से नहीं निकाल सकता था , चंद मिनट की दुआ सलाम के बाद लड़खड़ाते कदमों से घर आ गया ,

हम हिन्दुस्तानी मर्दों को रंगत का एहसास कमतरी क्या कम है जो सूरत भी भली ना मिले , खाला की लड़की हूर लगने लगी, अल्लाह ने मुझे अच्छे कद वा कामद और सूरत से नवाज रखा था , दिल और दिमाग़ की जंग में आखिर जीत दिमाग की हुई, सोचा घर वालों से खुफिया शादी कर लूं ग्रीन कार्ड हासिल करते ही तलाक दे दूंगा , उन दिनों ग्रीन कार्ड एक साल के दौरान मिल जाता था ,

इमाम साहब से हां कर दी और यूं एक हफ्ता बाद जुमा के दिन हमारा निकाह कर दिया गया , मैं साफिया को लेकर अपने फ्लैट में आ गया , दिल पर जबर करके शब वा रोज गुजरते गए , सफिया को मेरी सर्द मोहरी का अंदाजा हो गया था मगर उसने हर्फ शिकायत ना कहा , हम दोनो अपनी जॉब पर चले जाते और शाम को लौटते,

वह अमेरिकी तर्ज का खाना पकाती , मेरे सामने मेज़ पर सजाती, घर में तमाम काम करती , उसके होंटों की जुंबिश से जिक्र ए इलाही की महक आती रहती, कोई फिजूल बात या बहस न करती ,मेरे उखड़े लहज़े पर खामोश रहती,

नमाज़, पर्दा, कुरआन, मेरी खिदमत, खामोशी ,सब्र वा शुक्र इन सब को देखकर मेरा दिल घबरा जाता था, सूरत के इलावा और कोई बुराई हो तो मैं उसे तंग कर सकूं जो कल को तलाक का सबब बन सके , मगर कुछ ऐसी बात हाथ न लग सकीं, मुझे उससे मुहब्बत न हो सकी,हां अलबत्ता खुद पर गुस्सा आने लगा के मैंने एक नेक सीरत औरत को धोका दिया है, शादी के चार महीने बाद मेरी जॉब चली गई,नई जॉब के लिए कोशिश शुरू कर दी और उसमे दो महीने का वक्त बीत गया , इस दौरान सफीया अकेली कमाने वाली थी, मुझ बेरोजगार को घर बैठा कर खिलाती थी, महनत करती और मुझे भी हौसला देती, एक मैं था की शर्मिंदगी से उसे किसी दोस्त के यहां दावत पर ले जाने से कतराता था,

उन्ही दिनों एक करीबी दोस्त का बीवी से झगड़ा चल रहा था और नौबत तलाक तक पहुंच गई, उसकी बीवी खूबसूरत थी मगर मगरूर और बदज़बान , मेहमानों के सामने शौहर को जलील करती, उसकी बदौलत दोस्त को ग्रीन कार्ड मिला था , नखरों का ये आलम के मेहमानों के सामने टांग पर टांग रखे अपने शौहर की तरफ देखकर कहती,

" ये जानते हैं मैं किस किस्म के माहौल से आई हूं ? "

यानी अपने मायके की इमारत का रुआब डालती, वह गरीब जी हुजूरी में घर बचाता था , दोस्त को समझाने गया तो बोला

" यार ! घर औरत बनाती है और बचाती है जिस घर की बुनियाद लालच पर हो उसे लाख सहारा दो दीवारें गिर जाती हैं,ग्रीन कार्ड जहन्नुम बन गया है मेरे लिए ,मेरे ससुराल वालों को डॉक्टर दामाद चाहिए था , ये लोग भी पाकिस्तान से यहां शिफ्ट हुए हैं और मैं भी, फर्क इतना है की इनके यहां डॉलर बोलते हैं और मैं किराए के घर से ताल्लुक रखता हूं, पाकिस्तान जाना पसंद नहीं करती और कभी चले भी जाएं तो जाते ही गाड़ी का तकाजा करती है जबकि मेरे भाई के पास मोटर साइकिल है और मुझे टैक्सी पर हर जगह जाना पड़ता है"

" हिंदुस्तान में हो या अमेरिका में इस औरत ने मुझे जलील कर दिया है, डॉक्टर की बेगम तो बन गई मगर मेरी बीवी नही बन सकी, यार हम दोनों ने ग्रीन कार्ड के लालच में शादी की है मगर तुम खुशनसीब हो जिसे नेक औरत मिली है, इस्लाम उसकी पसंद है जबकि हमें इस्लाम नापसंद करता है, जमाल और माल़ ने मुझे कहीं का नहीं रखा , तुम कमाल की कद्र करो उसी में जमाल है, भाभी की कद्र करो और मुझे भी माफ कर दो जिसने तेरी शादी पर मजाक उड़ाया था "

दोस्त की हालत ज़ार ने मेरे दिल की शमां रोशन कर दी , जमीर को झिंजोडा और घर जाते ही मैंने पहली बार मुस्कुरा कर साफिया की तरफ देखा , उसने हैरत से अमेरिकी अंदाज में कहा, " जॉब मिल गई?" नहीं तुम मिल गई हो !!

अल्लाह ने हमें एक बेटा दिया , उसकी पैदाइश और ग्रीन कार्ड मिलने के बाद वालीदाइन को असल सूरत ए हाल से आगाह किया , अब ग्रीन कार्ड मिलने की सूरत में हिंदुस्तान आ सकता हूं मगर मैं नहीं हम तीनों, मां बाप को वक्ति दुख हुआ मगर पोते का सुनकर खून से जोश मारा और हमारी आमद के मुंतजिर रहने लगे , जॉब भी मिल चुकी थी एक महीने की छुट्टी पर वतन गए , सफीया ने आदत के मुताबिक बुरका ओढ़ रखा था , दिल्ली से गांव जाने में पांच घंटे लगते हैं, घर पहुंच कर सफिया के साथ वही सुलूक हुआ जिसका मुझे यकीन था , उसे हिंदी नहीं आती थी मगर चेहरों की जबान कौन नहीं जानता , वो सब्र करती रही लेकिन एक लफ्ज़ शिकायत ना कहा ,वालिद ने मेरे वालीमे और पोते के अकीके की ख्वाहिश पूरी की, मां और बहन की बनिस्बत भाई और बाप ने सफिया को कुबूल कर लिया और उसकी सीरत को सराहा ,

मां भी खामोश थी मगर भाभी ने सबके सामने कह दिया," तेरी बीवी को बुरका ओढ़ने की क्या जरूरत है, और इसकी तरफ कौन देखेगा ?? नकाब तो हुस्न छुपाने के लिए ओढ़ते है !!"

इस जुमले के दो रोज बाद हम दिल्ली के हवाई अड्डे पर थे, मैं अपनी बकामाल बीवी को और जहन्नुम में नहीं रख सकता था , हिंदुस्तान में अकसरियत को जमाल वा माल़ की हवस है, लड़की का रिश्ता लेने जाते हैं तो बड़ी मासूमियत से कहते हैं के," हमें कुछ नहीं चाहिए , ना हुस्न और ना दहेज का ही लालच है, बस लड़की नेक और फरमा बरदार हो, "

लड़की देखते ही इरादा बदल जाता है और फिर कभी लौट कर उस घर नहीं जाते , लड़के से ज्यादा लड़के के घरवालों को हुस्न वा माल़ का लालच होता है,

सफिया ने अपनी सीरत से मेरा दिल मोह लिया मगर मेरे घरवालों को कायल ना कर सकी, भाभी जैसी बदजबान को उस घर में मकाम हासिल है मगर सफीया अपनी सूरत की वजह से वहां एक महीने भी खुश ना रह सकी, ग्रीन कार्ड का लालच जहन्नुम भी है और जन्नत भी, मेरे दोस्त के लिए जहन्नुम साबित हुआ और मेरे लिए जन्नत , मगर इस जन्नत को पाने के लिए कुर्बानी तो देनी पड़ती है,

मैंने सूरत पर सीरत को तरजीह देते हुए अपना दीन वा दुनिया बचा लिया ,आज मेरे तीन बच्चे हैं और मां के हमराह इस्लामी स्कूल जाते हैं, बेटियां अपनी मां की सूरत पर हैं,

मैं दुआ करता हूं के , ए अल्लाह ! मेरी बेटियों को मुझ जैसा लालची शौहर मत देना जिसकी निकाह की बुनियाद ग्रीन कार्ड है ना की अल्लाह का खौफ,

( मोमिन औरतों की करामात)

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks

Sunday, June 20, 2021

दिलों का सुकून सिर्फ अल्लाह की याद में है




 मैंने अक्सर लोगों को ये कहते हुए सुना है के हमारा इबादत में दिल नहीं लगता , सुकून नहीं मिलता , हमने इस लिए इबादत करनी छोड़ दी,


ये सुनकर दुख होता है क्योंकि अल्लाह फरमाता है के ," दिलों का सुकून सिर्फ अल्लाह की याद में है"

जब उसने हमारा सुकून अपने पास रख लिया हुआ है तो हम क्यों भटकते रहते हैं ?? हम क्यों इतने प्रैक्टिकल हो गए हैं के उसकी इबादत करने में भी अपना मतलब तलाश करते हैं ??

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks