दीनदार औरत से शादी की जाए
हज़रत अबू हुरैरा फरमाते हैं के नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया," किसी औरत से शादी चार वजूहात में से किसी एक की बुनियाद पर की जाती है, वह मालदार होती है, वह ऊंची जात की होती है, उसकी खूबसूरती की बिना पर , या वो दीनदार होती है, तुम दीनदार औरत को तरजीह दो "
(बुखारी किताबुन निकाह हदीस 5090)
नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने दीनदार औरत से शादी करने की तरगीब दिलाई है इसलिए के जो औरत दीनदार होगी, कुरआन पढ़ी होगी, नमाज़ रोज़े की पाबंद होगी, अल्लाह और उसके रसूल की इताआत गुजार होगी तो शौहर और अपने ससुराल और शौहर के रिश्तेदारों की इज़्ज़त करेगी,शौहर के दुख दर्द में काम आयेगी, उसके दुखों में कमी करेगी,
लेकिन जो औरत मालदार होगी अपने साथ गाड़ी फर्नीचर, फ्रिज और दूसरी चीजें लाएगी तो वह चौधरानी मर्द की बात कहां मानेगी ??
इसी तरह जो औरत ऊंची जात की होगी वह मर्द को जलील वा रुसवा किए रखेगी, और जो औरत हुस्न वा जमाल वाली होगी उसके नाजों नखरे मर्द कैसे पूरे कर सकेगा !! वह तो मर्द की तकलीफों में इज़ाफा करती चली जायेगी इसलिए नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने दीनदार औरत को तरजीह देने का हुक्म दिया है,
नेक और स्वालेह बीवी जन्नत होती है अगरचे बदशकल हो और बदफित्रत औरत मर्द के लिए अजाब है अगर्चे वह खूबसूरत हो,
साभार: Umair Salafi Al Hindi
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