असल में लोग ये समझते हैं कि इज़राइल इतना ताकतवर है कि उसने तमाम अरब मुल्कों की मिलीजुली फ़ौजों को अकेले हर दिया था ,जबकि ये बिल्कुल झूठा प्रोपेगंडा है क्योंकि ये जंग अरब और इज़राइल के बीच नहीं थीं बल्कि अरब vs इज़राइल + युएस +यूके + फ्रांस + कनाडा + आस्ट्रेलिया + वेस्टर्न युरोप थी ,इज़राइल के पास युएस +यूके + फ्रांस के जदीद हथियार थे इन मुल्कों के बजट से निकला पैसा था CIA + MI6 + SDECE जैसी दुनिया की कुख्यात इंटेलिजेंस एजेंसियों के एजेंट और उनकी पूरी मशीनरी थी ,ऐसे में अरब बेचारे क्या कर सकते थे ,
ये दौर जदीद टेक्नोलॉजी का है एक अकेला बंदा टेक्नोलॉजी के दम पर एक हज़ार पर भारी पड़ सकता है ,इसलिए मैं इन जंगों में हार जाने पर अरबों को नहीं कोसता बल्कि उनकी लीडरशिप की तारीफ़ करता हूं कि वो ये जानते थे कि उनका मुकाबला सिर्फ़ इज़राइल से नहीं बल्कि जदीद टेक्नोलॉजी से लैस पूरी वेस्टर्न दुनिया से था उसके बावजूद उन्होंने लड़ने की हिम्मत दिखाई थी ,उनकी जगह हम बर्रे सग़ीर के तुर्रम खां होते तो कभी इतनी हिम्मत ना दिखा पाते बस चिल्ल पों मचाकर गुलामी कुबूल कर लेते ...
Syed Asman Mustafa Kazmi की पोस्ट