सब्र
सब्र, बेबसी से बर्दाश्त किए जाने का नाम नहीं, इससे मुराद है के अगर कांटों पर चलो तो नज़र सिर्फ फूलों पर हो अंधेरी रात हर तरफ छाई हो तो दिखाई सिर्फ सुबह का उजाला दे,
जहां सब्र हो वहां मायूसी और परेशानी की कोई जगह नहीं बिल्कुल नहीं,
जबकि, " बेसब्री " का मतलब है के आपका किसी काम के अंजाम पर यकीन ना हो, आप अंजाम देखने मे काबिल ना हो पाएं,
अल्लाह से मुहब्बत करने वाले सब्र का दामन कभी नहीं छोड़ते क्योंकि वो आगाह होते हैं के ," चांद को महीने कामिल बनने के लिए वक्त दरकार होता है, फूल को मुकम्मल बनने और खिलने के लिए पहले कांटों वाली झाड़ी बनना पड़ता है "
दिन का उजाला देखने के लिए रात की सियाही छटने का इंतजार करना पड़ता है, गोया के हर अंजाम को वक्त दरकार है, और वह वक्त सब्र में गुजरेगा तब मुमकिन है के आपका अंजाम बेहतरीन होगा ,
सब्र का दामन थामे रखें, क्योंकि
" अल्लाह सब्र करने वालों से मुहब्बत करता है"
साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks
जबकि, " बेसब्री " का मतलब है के आपका किसी काम के अंजाम पर यकीन ना हो, आप अंजाम देखने मे काबिल ना हो पाएं,
अल्लाह से मुहब्बत करने वाले सब्र का दामन कभी नहीं छोड़ते क्योंकि वो आगाह होते हैं के ," चांद को महीने कामिल बनने के लिए वक्त दरकार होता है, फूल को मुकम्मल बनने और खिलने के लिए पहले कांटों वाली झाड़ी बनना पड़ता है "
दिन का उजाला देखने के लिए रात की सियाही छटने का इंतजार करना पड़ता है, गोया के हर अंजाम को वक्त दरकार है, और वह वक्त सब्र में गुजरेगा तब मुमकिन है के आपका अंजाम बेहतरीन होगा ,
सब्र का दामन थामे रखें, क्योंकि
" अल्लाह सब्र करने वालों से मुहब्बत करता है"
साभार: Umair Salafi Al Hindi
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