Friday, April 30, 2021

मंगनी या मंगनी की रस्म क्यूं ??? सीधे निकाह क्यूं नहीं !!




 मंगनी या मंगनी की रस्म क्यूं ??? सीधे निकाह क्यूं नहीं !!


मुस्लिम समाज में मंगनी की रस्म अदा कर देने के बाद मुसलमान बच्चे और बच्चियां एक दूसरे के साथ बात चीत वा गिफ्ट देना शुरू कर देते हैं,

मुसलमान समाजी महाज़ पर किरदार की अजमत के खैरख्वाह है उन्हे समाज से बुराई खतम करने के लिए बरपा लिया गया है, लेकिन क्या किया जाए अदम जिहालत का , मुसलमां इस कदर रस्म वा रिवाज के दलदल में फंस गया है कि यहूद भी शरमा जाए,

मुसलमान अगर मंगनी की रस्म के बजाए अपने बच्चों का सीधा निकाह कर दिया करें तो समाज में आसानियां वा सहूलियत बढ़ेगी , मेहनत गैर जरूरी तौर पर बरबाद नहीं होंगी और समाज का अखलाकी, इजतेमाई किरदार, पाकीज़गी वा वकार ज़्यादा महफूज़ रहेगा,

मिल्ली हालत अफसोसनाक हैं, बदकिस्मती से इल्म , वकार और अखलाक से आरी, भारत के पसमांदा मुस्लिम समाज में निकाह से पहले मंगनी की गैर इस्लामी, नाकाबिल ए कुबूल और एक अजीब वा गरीब रस्म ईजाद कर दी गई है, मिस्कीन वा फकीर हैं जो मंगनी को निकाह का जुज समझ लेते हैं, बच्चों का सीधे सादा इस्लामी निकाह कर देने के बजाए पसमांदा शौक़ीयों के नए शौक हैं,

खुद को मुसलमान कहने वाले भूखे, नंगे, लालची, जाहिल वा मसाकीन भिकारियो का गिरोह है, पसंद और रिश्ता तय होने के शुरुआती वा बुनियादी मरहले से ही ये जाहिल डाकू घूम घूम कर मुख्तलिफ लोगों के यहां खाते हैं, तोहफे और लिफाफे वसूलते हैं और जहां पैसा ज़्यादा मिल जाता है वहीं गिर जाते हैं, इन भिकारियों का सारा चक्कर पैसे , जहेज़ और लूट मार रहता है,

गैरत वा वकार से खाली भिकारीयों की इस पसमांदा " रस्म मंगनी" का मकसद भी सिर्फ दूसरों को लूटना और वक्त बरबाद करना होता है,जबकि मंगनी जैसी अजीब वा गरीब पसमांदा रस्म की अदायगी किसी इन्सान के पसमांदा और बे हैसियत होने की साफ अलामत है, इसके इलावा इस रस्म के समाजी और अखलाकी नुकसान अलग हैं,

इस्लाम मुकम्मल दीन है, इस्लाम के अपने उसूल वा जाब्ते है, इस्लाम पसमांदा है,जाहिल और रिवायत पसंदों का ऑप्शनल या इख्तियारी मजमून नहीं है जो मर्ज़ी वह कर लो, इस्लाम खुलूस वा अमल चाहता है, सच यही है के इस्लाम से हटे तो पूरी तरह लपेट दिए जाओगे , खूंटे पर भी जगह नहीं मिलेगी, कुछ काम ना आएगा, इस्लाम ही राह ए निजात है,

इस्लाम इंसानों वा इस्लामी समाज में सहूलियत, सादगी और समाजी तावुन का सादा मिजाज़ देता है, नरमी वा सहूलियत फैलाने का हुकम देता है, पड़ोसियों, रिश्तेदारों और आम इन्सानों के साथ एहसान वा हमदर्दी की तलकीन करता है,

इस्लाम या इस्लामी सादगी से हटकर लालच, बेगैरती, ज़बरदस्ती, पसमांदगी जिल्लत और रुस्वाई है,

अल्लाह ताला हर पसमांदगी से महफूज़ रखे,.....आमीन

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com 

Thursday, April 29, 2021

जो दूसरों की दलाली के लिए अपनों से गद्दारी करे उसका यही अंजाम होना चाहिए

 



सुल्तान महमूद गजनवी के पास एक शख्स मोर लाया जिसका एक पैर नहीं था , जब सुल्तान ने उसकी कीमत पूछी तो उस शख्स ने बहुत महंगी कीमत बताई, सुल्तान ने हैरान होकर पूछा के


" इसका एक पांव भी नहीं है फिर भी इतनी ज़्यादा कीमत क्यूं ??"

वह आदमी बोला," जब मैं मोरों का शिकार करने जाता हूं तो इसको साथ ले जाता हूं वहां जाल के साथ इसे बांध देता हूं, फिर ये बहुत अजीब सी आवाज़ निकाल कर दूसरे मोरों को बुला लेता है, और मैं उनका शिकार आसानी से कर लेता हूं"

सुल्तान महमूद गजनवी ने उस आदमी को मोर की कीमत अदा करके उसको जिबाह कर दिया, आदमी ने हैरान होकर पूछा के , ज़ीबाह क्यों कर दिया ??

सुल्तान के तारीखी अल्फ़ाज़ हमेशा याद रखियेगा,

" जो दूसरों की दलाली के लिए अपनों से गद्दारी करे उसका यही अंजाम होना चाहिए "

मनकूल

तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog : Islamicleaks.com

Wednesday, April 28, 2021

ज़िन्दगी





ज़िन्दगी


ज़िन्दगी बदलने के लिए बदलना पड़ता है, लड़ना पड़ता है...!
और आसान करने के लिए, समझना पड़ता है...!!

वक्त आपका है, चाहो तो सोना बना लो, और चाहो तो सोने में गुज़ार दो..!

" अगर कुछ हटकर करना है तो भीड़ से हटकर चलो", भीड़ हिम्मत तो देती है पर शिनाख्त छीन लेती है..!!

" मंज़िल ना मिले तब तक हिम्मत मत हारो और ना ही ठहरो", क्यूंकि पहाड़ से निकलने वाली नहरों ने आज तक रास्ते में किसी से नहीं पूछा...

" समुंदर कितनी दूर है "

साभार: Umair Salafi Al Hindi

Blog: Islamicleaks.com  

Tuesday, April 27, 2021

बीवी का अपने शौहर की दूसरी शादी ना चाहना एक फितरी गैरत है,

 



बीवी का अपने शौहर की दूसरी शादी ना चाहना एक फितरी गैरत है,

कोई भी औरत मुहब्बत में हिस्सेदारी नहीं चाहती, वह दो पैसे कम बर्दाश्त कर लेगी लेकिन ये कभी बर्दाश्त नहीं करेगी के उसका शौहर बिस्तर में जिस तरह उसके साथ तनहाई अख्तियार करता है उसी तरह और औरत के साथ भी रात गुजारे और ये ग़ैरत नेचुरल है..

जो औरतें शौहर को दूसरी शादी की इजाज़त देती हैं वह दरअसल अपनी फितरत और फितरी ग़ैरत पर शरियत को तरजीह देती हैं, और इस फितरी ग़ैरत को खत्म नहीं किया जा सकता ,

नबी अलैहिस सलाम की बीवियों से ज़्यादा नेक तबीयत और मुत्ताकी दिल किस औरत के पास होगा ?? लेकिन वह भी अपनी सौकनों से ग़ैरत रखती थीं,

हज़रत आयशा ने एक रात हुज़ूर को गुम पाया तो फ़ौरन ख्याल आया के कहीं दूसरी बीवी के पास तो नहीं चले गए , लेकिन फिर पाया के आप सजदे कि हालत में हैं यानी नमाज़ में ,

हज़रत आयशा को ये ख्याल क्यूं हुआ के ," कहीं आप दूसरी बीवी के पास तो नहीं चले गए ??" इसी ग़ैरत की वजह से

एक सफर में आप अपनी दो बीवियों के साथ थे, आप आधा वक्त एक बीवी के साथ रहे और आधा सफर दूसरी बीवी (जो कि हज़रत आयशा थीं) के साथ , इत्तेफ़ाक़ से जब हजरत आयशा की बारी थी तो सवारी के बदलने की वजह से आप दूसरी बीवी के साथ सवार हो गए , तो इस वक्त ग़ैरत ही थी के जिस वजह से हज़रत आयशा ने अपना पांव घास में रखा और कहा के

" ए अल्लाह ! मुझ पर कोई सांप मुसल्लत कर दे जो मुझे डस ले ( तेरे नबी ने मेरे मुकाबले में फलां को तरजीह दे दी और उसके साथ चले गए ), और मैं उनसे कहने की भी ताकत नहीं रखती "

अलगर्ज ये फितरी ग़ैरत नबियों की बीवियों के दरमियान में भी थी लेकिन इन्होने अपनी फितरी ग़ैरत पर शरियत को तरजीह दी,

साभार: शैख कमालुद्दीन सनाबीली
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com

Monday, April 26, 2021

क्या आपने मुझे पहचाना??

 



शादी के एक प्रोग्राम में एक साहब ने अपने एक जानने वाले आदमी के पास जाते हैं और पूछते है ," क्या आपने मुझे पहचाना??"


उन्होंने गौर से देखा और कहा ," हां! आप मेरे प्राइमरी स्कूल के स्टूडेंट हो, क्या कर रहे हो आज कल ??"

शार्गिद ने जवाब दिया के ," मैं भी आपकी तरह स्कूल टीचर हूं, और टीचर बनने की ये ख्वाहिश मुझ में आप ही की वज़ह से पैदा हुई,"

उस्ताद ने पूछा ," वह कैसे ??"

शार्गिद ने जवाब दिया , आपको याद है के एक बार क्लास के एक लड़के की बहुत खूबसूरत घड़ी चोरी हो गई थी, और वह घड़ी मैंने चुराई थी, आपने पूरी क्लास को कहा था के , "जिसने भी घड़ी चुराई है वो घड़ी वापस कर दे"

मैं घड़ी वापस करना चाहता था लेकिन शर्मिंदगी से बचने के लिए ये हिम्मत ना कर सका, आपने पूरी क्लास को दीवार की तरफ मुंह करके ,आंखें बंद करके खड़े होने का हुक्म दिया और सबकी जेबों की तलाशी ली, और मेरी जेब से घड़ी निकाल कर भी मेरा नाम लिए बगैर वो घड़ी उसके मालिक को दे दी और कभी मुझे इस अमल पर शर्मिन्दा ना किया, मैंने उसी दिन से टीचर बनने का इरादा कर लिया था,

उस्ताद ने कहा के ," कहानी कुछ यूं है के तलाशी के दौरान मैंने भी अपनी आंखें बंद कर ली थी और मुझे भी आज ही पता चला है के वो घड़ी आपने चुराई थी,"

क्या हम ऐसे उस्ताद बन सकते हैं जो अपने अमाल से बच्चों को उस्ताद बनने की तर्गीब दे सकें ना कि छोटी छोटी गलतियों पर बच्चों को पूरी क्लास के सामने शर्मिन्दा करें,

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com 

Sunday, April 25, 2021

खामोशी से अल्लाह की तरफ दावत देने वाले बनो,

 



खामोशी से अल्लाह की तरफ दावत देने वाले बनो,


बयान किया जाता है कि एक नेक आदमी था , वह अपनी दुकान में काम करने वाले लोगों को हमेशा नसीहत करता था के अगर सामान में कोई खराबी हो तो उसे लोगों के सामने बयान कर दिया करो,

एक दिन एक यहूदी दुकान पर आया , उसने एक ऐबदार सामान खरीद लिया , उस वक्त दुकान का मालिक मौजूद नहीं था , नौकर ने सोचा ये तो यहूदी है और उसे ऐब से आगाह करना कोई ज़रूरी नहीं है।

कुछ देर बाद दुकान का मालिक आया और उसने दुकान में रखे हुए ऐब्दार कपड़े के बारे में पूछा, तो नौकर ने कहा के मैंने उसे एक यहूदी से तीन हज़ार दिरहम के बदले बेच दिया है और मैंने उस यहूदी से उस कपड़े के ऐब के बारे में कुछ नहीं बताया,

दुकान मालिक ने पूछा वो यहूदी कहां गया है ?? नौकर ने कहा कि वो अपने काफ़िले के साथ जा चुका है, दुकानदार ने फौरन वो तीन हज़ार दिरहम की रकम ली और उस काफ़िले के पीछे निकल पड़ा यहां तक की तीन दिन के बाद उस काफ़िले से जा मिला ,

दुकान के मालिक ने यहूदी से कहा , " आपने एक कपड़ा ख़रीदा है उसमे एक ऐब है, इसलिए आप अपना दिरहम वापस ले लें और वह कपड़ा मुझे लौटा दें"

वह यहूदी पूछने लगा," आखिर आपको इस हुस्न ए अखलाक और ईमानदारी पर किस चीज़ ने आमादा किया ??"

दुकान के मालिक ने कहा," मेरा दीन इस्लाम, इसलिए के अल्लाह के रसूल मुहम्मद (Sws) फरमाते हैं ," जो हम में से किसी को धोका दे वह हम में से नहीं है,"

यहूदी ने कहा," सुनो ! वह दिरहम जो मैंने दिए हैं सब नकली हैं, अब मैं तुम्हे इसके बदले तीन हज़ार दिरहम देता हूं, और इससे भी बड़ी चीज़ मैं गवाही देता हूं के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद (Sws) अल्लाह के रसूल हैं,"

हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ ने सच कहा था खामोशी से अल्लाह की तरफ दावत देने वाले बनो, लोगों ने पूछा वह कैसे , "कहा अपने अखलाक के ज़रिए"

सवाल ये है के आपने इस्लाम के लिए क्या किया ??

( كتاب موسوعة الأخلاق و الزهد والرقائق 1/146)

साभार: शेख शाहिद सनाबिली
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi

Saturday, April 24, 2021

परखिए अपने आपको ,




 परखिए अपने आपको ,


एक छोटा सा लड़का दुकान में दाखिल होकर कोने में लगे टेलीफोन केबिन की तरफ बढ़ा, टेलीफोन में सिक्के डालना तो उसके लिए एक अच्छा खासा मसला था ही, बात करने के लिए तो उसे स्टूल पर खड़ा ही होना पड़ा,

दुकानदार के लिए ये मंज़र बड़ा हैरान करने वाला था उससे रहा नहीं गया और लड़के की बात चीत सुनने के लिए उसने अपने कान उधर लगा दिए,

लड़का किसी औरत से बात कर रहा था और उससे कह रहा था,

" मैडम! आप मुझे अपने बगीचे की सफाई सुथराई और देखभाल के लिए नौकर रख लीजिए,"

जबकि औरत का जवाब था," फिलहाल तो मेरे पास इस काम के लिए एक नौकर है"

लड़के ने इसरार करते हुए उस औरत से कहा के ," मैडम ! मैं आपके बगीचे का काम आपके मौजूदा नौकर से आधी तनख्वाह पर करने के लिए तैयार हूं"

उस औरत ने जवाब दिया के वह अपने नौकर से बिल्कुल संतुष्ट है और किसी कीमत पर भी उसे तब्दील नहीं करना चाहती,

अब लड़का मिन्नत समाजत पर उतर आया और आजिजी से बोला," मैडम ! मैं बगीचे के काम के अलावा आपके घर के सामने वाले रास्ते और फुटपाथ की भी सफाई करूंगा और आपके बगीचे को कानपुर का सबसे खूबसूरत बगीचा बना दूंगा,"

और इस बार भी उस औरत का जवाब " नहीं" में था,

लड़के के चेहरे पर एक मुस्कुराहट आई और उसने फोन बंद कर दिया,

दुकानदार जो सारी गुफ्तुगू सुन रहा था उससे रहा ना गया और वो लड़के की तरफ बढ़ा और उससे कहा," मैं तुम्हारी आला हिम्मती की दाद देता हूं, और तुम्हारी लगन, मुस्बत सोचों और उमंगों का एहतेराम करता हूं, मैं चाहता हूं कि तुम मेरी इस दुकान में काम करो"

लड़के ने दुकानदार को कहा ," आपकी पेशकश का बहुत शुक्रिया, मगर मुझे काम नहीं चाहिए, मैं तो बस इस बात की तस्दीक करना चाह रहा था के मैं आजकल जो काम कर रहा हूं उसका मैयार काबिल ए कुबूल है या नहीं ?? और मैं इसी औरत के यहां नौकर हूं जिसके साथ मैं गुफ्तुगु कर रहा था,"

सबक: अगर आपको अपने काम के मेयार का भरोसा है तो फिर उठाइए टेलीफोन और परखिए अपने आपको....!!

अल्लाह ताला सबके लिए आसानी पैदा करे...आमीन

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com 

Friday, April 23, 2021

आज से सिर्फ सौ साल बाद जब इस तहरीर को पढ़ने वाला हर शख्स ज़मीन के अंदर दफन होगा

 



आज से सिर्फ सौ साल बाद जब इस तहरीर को पढ़ने वाला हर शख्स ज़मीन के अंदर दफन होगा , हमारी हड्डियां रेजा रेजा होकर मिट्टी में मिल चुकी होंगी, तब तक हमारी जन्नत और जहन्नुम का फैसला भी मालूम हो चुका होगा , जबकि इस ज़मीन के ऊपर हमारे छोड़े हुए घर किसी और के हो चुके होंगे , हमारे कपड़े कोई और पहन रहा होगा और हमारी मेहनत और मुहब्बत से हासिल गाडियां कोई और चला रहा होगा ,तब हम किसी के ख्यालों ख्याल में भी ना होंगे,


भला आप अपने पर दादा या पर दादी के बारे में कभी सोचते हैं ?? तो कोई हमारे बारे में क्यूं सोचने लगा ???

आज ज़मीन के ऊपर हमारा वजूद, जिसकी बुनियाद पर यहां हमारा हर वक्त का शोर वा शराबा, हटो बच्चों की सदाएं और इन घरों को आबाद करने के लिए, हमारी मेहनत वा मशक्कत, ये सबकुछ हमसे पहले किसी और का था और हमारे बाद यकीनी तौर पर किसी और का होने वाला है,

कोई ऐसा होने से रोक सकता है तो रोक कर दिखाए , इस दुनिया से गुजरने वाली हर नसल बमुश्किल इस पर एक सरसरी सी नज़र ही डाल पाती है,

ख्वाहिशात की तकमील का मौका भला किसी को इस दारुल फना में कहां मिल सकता है ?? हमारी ज़िन्दगी दरहकीकत हमारे तसव्वुरात वा ख्वाहिशात के मुकाबले में बहुत ही छोटी है,

साल 2121 में हम सब पर अपनी अपनी कब्र में इस दुनिया और अपनी ख्वाहिशात की हकीकत मालूम हो चुकी होगी,

हाय अफसोस !!

इस धोखे के घर में कैसी बेवकूफाना ख्वाहिशात और कैसी जाहिलाना मंसूबे हमने बना रखे थे??

मेरे अज़ीज़ दोस्तों भाई और बहनों!! तब हम पर ये हकीकत भी साफ हो जाएगी के," ए काश ! के हमने अपनी तर्जीहात में अपने अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त और मेरे बाप दादाओं वा आल वा औलाद से करोड़ों करोड़ गुना ज़्यादा प्यारे नबी ए करीम मुहम्मद सल्ललाहू अलैहि वसल्लम की वफादारी को सबसे आगे वा राजे रखा होता तो आज सबकुछ दुनिया में छोड़कर आने के बजाए क़ब्र का जाद ए राह और अच्छे आमाल की शक्ल में सदका जारिया भी साथ ला सकते, तब हमें ये भी मालूम हो चुका होगा के दुनिया इस लायक हरगिज़ ना थी के उसके लिए इतना सबकुछ जान, माल, वक्त और तमाम सलाहियतें दाव पर लगा दी जाती,

आज 2021 में ये तहरीर पड़ने वाले बहुत से लोग 2121 में ये तमन्ना कर रहें होंगे,

"رَبِّ ارْجِعُونِ لَعَلِّي أَعْمَلُ صَالِحًا فِيمَا تَرَكْتُ ۚ "

" ए मेरे परवरदिगार! मुझे वापस दुनिया में भेज दे, ताकि मैं जो कुछ वहां छोड़ आया हूं उसमे वापस जाकर नेक आमाल कर सकूं,"

लेकिन इस दरख्वास्त का जवाब बहुत सख्त मिलेगा

"كَلَّا ۚ إِنَّهَا كَلِمَةٌ هُوَ قَائِلُهَا ۖ وَمِن وَرَائِهِم بَرْزَخٌ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ°"

" हरगिज़ नहीं ! ये सिर्फ एक बात है जो ये कह रहा है ( काबिल ए अमल बात नहीं है) अब तो ये कयामत तक इनके पीछे बाड़ लगा दी गई है"

(क़ुरआन सुरह अल मोमिनीन आयत 99-100)

2121 में क़ब्र के अंदर वो ये तमन्ना भी करेगा ,

"يَا لَيْتَنِي قَدَّمْتُ لِحَيَاتِي°"
" हाय मेरी बर्बादी काश ! मैं अपनी ज़िन्दगी के लिए कुछ आगे भेज देता .."

(क़ुरआन सुरह अल फजर आयत 42)

दोस्तों ! मौत का फरिश्ता मेरे और आपके नेक होने के इंतजार में नहीं है,

आइए ! मौत के फरिश्ते के इंतजार के बजाए मौत की तैयारी करें और अच्छे आमाल वाली ज़िन्दगी अख्तियार कर लें,

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com 

Thursday, April 22, 2021

था मान बहुत जिसपे , जुदाई नहीं देता

 



था मान बहुत जिसपे , जुदाई नहीं देता

अब ढूंढ रहा हूं तो दिखाई नहीं देता,

अंधा है जिसे सांस दिखाई नहीं देती,
बहरा है जिसे ज़ख्म सुनाई नहीं देता,

वह शख्स ना बोले तो मुझे लगता है ऐसे ,
जैसे कोई बरसों की कमाई नहीं देता,

मनकूल

Wednesday, April 21, 2021

औरत की कद्र कीजिए,

 




औरत की कद्र कीजिए,


औरत के हमला क़रार पाते ही उसकी नफसियात में निहायत अहम और अजीब किस्म की तब्दीलियां देखने में।आती हैं, लोग बस " उल्टी" को हो एन्जॉय करते हैं जबकि उसके खाने पीने और सोने जागने के मामलात गड़बड़ हो जाते हैं, उसकी पसंदीदा डिशें अब नापसंदीदा हो जाती हैं,उनकी खुश्बू से ही उसे उल्टियां शुरू हो जाती है,

गोया औरत को सिग्नल दे दिया गया है के अब उसकी कुर्बानियों का सिलसिला शुरू हो गया है, उसे उस नई ज़िन्दगी के लिए अपना वह सब कुछ कुर्बान करना पड़ेगा जो कल तक उसके लिए बड़ा अहम था,

इसी के साथ उसके मिजाज़ में भी तब्दीली शुरू होती है और वह डिप्रेशन की मरीज़ बन जाती है, हर एक के गले पड़ती है छोटी बात उसको बड़ी और नाकाबिल ए बर्दाश्त लगती है, अक्सर उसका मूड ऑफ रहता है,

ये तब्दीलियां हर मां में होती हैं यहां तक के मुर्ग़ी भी इस कैफियत में बे मुरव्वत शेर बन जाती है जो अपने दर्बे के पास फटकने वाली हर चीज़ पर हमलावर होती है उसका मूड भी ऑफ़ हो जाता है, और कई कई दिन खाने को जी नहीं चाहता ,

जिसके बाहर ज़िन्दगी नशो नुमा पा रही है अगर उसका हाल ये है तो जिसके अंदर ज़िन्दगी जन्म ले रही है उसकी कैफियत का कोई अंदाज़ा नहीं कर सकता , सिवाए इसके के जो इस कैफियत से गुजरे चुका हो, मसलन सास

इस अरसे मे औरत को केयर और साथ की शख्त ज़रूरत होती है के उसके रवैए की तब्दीली को उसका ऐब ना समझा जाए बल्कि बीमारी समझ कर उसकी बर्दाश्त किया जाए और उसकी दिलजोई का पूरा ख्याल रखा जाए,

खास तौर पर सास का काम है के बेटे को समझाए के,"बेटा ये नॉर्मल रूटीन है बच्चे वाली औरतों के साथ ये सब होता है और जब तुम पेट मे थे तब मेरा भी यही हाल था दो चार महीने की बात है बच्चा जैसे जैसे मैच्योर होता है हालत संभलती जाती है,"

मगर सास ही अक्सर बेटे को भड़काने का सबब बन जाती है," हमने भी बच्चे पैदा किए हैं ,ये कोई निराला बच्चा पैदा नहीं करने लगी, नखरे कर रही है, हम तो खेतों में भी काम करते थे, ये घर का काम भी नहीं कर सकती वगेरह"

यूं औरत की दिलजोई के बजाए उसको उन्हीं दिनों में तलाक भी दे दी जाती है," के हम ऐसी औरत को नहीं रख सकते"

और बड़े मासूम होकर मसला पूछते हैं के," क़ारी साहब बीवी को तलाक दे दी है ,जबकि वो हामिला है तो क्या इस सूरत में तलाक हो जाती है ??"

बेटा तुम गोली मारकर डॉक्टर से पूछते हो के, " डॉक्टर साहब ! मैंने बीवी को गोली मार दी है, जबकि वो हामिला थी, तो क्या इस सूरत में गोली लग गई है"

लेकिन अलमिया ये है के एक औरत सास बनकर औरत की ही दुश्मन बन जाती है,

साभार: Umair Salafi Al Hindi