Tuesday, April 27, 2021

बीवी का अपने शौहर की दूसरी शादी ना चाहना एक फितरी गैरत है,

 



बीवी का अपने शौहर की दूसरी शादी ना चाहना एक फितरी गैरत है,

कोई भी औरत मुहब्बत में हिस्सेदारी नहीं चाहती, वह दो पैसे कम बर्दाश्त कर लेगी लेकिन ये कभी बर्दाश्त नहीं करेगी के उसका शौहर बिस्तर में जिस तरह उसके साथ तनहाई अख्तियार करता है उसी तरह और औरत के साथ भी रात गुजारे और ये ग़ैरत नेचुरल है..

जो औरतें शौहर को दूसरी शादी की इजाज़त देती हैं वह दरअसल अपनी फितरत और फितरी ग़ैरत पर शरियत को तरजीह देती हैं, और इस फितरी ग़ैरत को खत्म नहीं किया जा सकता ,

नबी अलैहिस सलाम की बीवियों से ज़्यादा नेक तबीयत और मुत्ताकी दिल किस औरत के पास होगा ?? लेकिन वह भी अपनी सौकनों से ग़ैरत रखती थीं,

हज़रत आयशा ने एक रात हुज़ूर को गुम पाया तो फ़ौरन ख्याल आया के कहीं दूसरी बीवी के पास तो नहीं चले गए , लेकिन फिर पाया के आप सजदे कि हालत में हैं यानी नमाज़ में ,

हज़रत आयशा को ये ख्याल क्यूं हुआ के ," कहीं आप दूसरी बीवी के पास तो नहीं चले गए ??" इसी ग़ैरत की वजह से

एक सफर में आप अपनी दो बीवियों के साथ थे, आप आधा वक्त एक बीवी के साथ रहे और आधा सफर दूसरी बीवी (जो कि हज़रत आयशा थीं) के साथ , इत्तेफ़ाक़ से जब हजरत आयशा की बारी थी तो सवारी के बदलने की वजह से आप दूसरी बीवी के साथ सवार हो गए , तो इस वक्त ग़ैरत ही थी के जिस वजह से हज़रत आयशा ने अपना पांव घास में रखा और कहा के

" ए अल्लाह ! मुझ पर कोई सांप मुसल्लत कर दे जो मुझे डस ले ( तेरे नबी ने मेरे मुकाबले में फलां को तरजीह दे दी और उसके साथ चले गए ), और मैं उनसे कहने की भी ताकत नहीं रखती "

अलगर्ज ये फितरी ग़ैरत नबियों की बीवियों के दरमियान में भी थी लेकिन इन्होने अपनी फितरी ग़ैरत पर शरियत को तरजीह दी,

साभार: शैख कमालुद्दीन सनाबीली
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com