Wednesday, April 7, 2021

ज़रा सी रंजिश पर ना छोड़ किसी भी अपने का दामन

 



एक सुनार के इंतकाल के बाद उसका खानदान मुसीबत में पड़ गया , खाने के भी लाले पड़ गए ,


एक दिन उसकी बीवी ने अपने बेटे को नीलम का एक हार देकर कहा, " बेटा ! इसे अपने चाचा की दुकान पर ले जाओ, कहना के बेचकर कुछ पैसे दे दें "

बेटा वह हार लेकर चाचा के पास गया, चाचा ने हार को अच्छी तरह देखकर और परख कर कहा ," बेटा ! मां से कहना के मार्केट अभी बहुत मंदा है, थोड़ा रुककर बेचना अच्छे दाम मिलेंगे "

और उसे थोड़े से रुपए देकर कहा के ," तुम कल से मेरी दुकान पर आकर बैठना"

अगले दिन से वह लड़का रोज़ दुकान पर जाने लगा और वहां हीरों और जवाहरात की परख का काम सीखने लगा , एक दिन वह बड़ा माहिर बन गया,

लोग दूर दूर से हीरों और जवाहरात की परख करवाने आने लगे, एक दिन उसके चाचा ने कहा," बेटा ! अपनी मां से वह हार लेकर आना और कहना के अब मार्केट में बहुत तेज़ी है अच्छे दाम मिल जाएंगे"

मां से हार लेकर उसने परखा तो पाया के वह हार तो नकली है, और उसे घर पर ही छोड़कर दुकान लौट आया ,

चाचा ने पूछा," हार नहीं लाए ?"

उसने कहा," वो तो नकली था !!"

तब चाचा ने कहा ," जब तुम पहली बार लेकर आए थे उस वक्त मैंने उसे नकली बता दिया होता तो तुम सोचते के आज हम पर बुरा वक्त आया तो चाचा हमारी चीज़ को भी नकली बताने लगे , आज तुम्हे खुद इल्म हो गया तो पता चल गया के हार नकली है"

" सच ये है के इल्म के बगैर इस दुनिया मे हम जो भी सोचते, देखते और जानते हैं सब ग़लत है, और ऐसे ही गलतफहमी का शिकार होकर रिश्ते बिगड़ते हैं,"

ज़रा सी रंजिश पर ना छोड़ किसी भी अपने का दामन
ज़िन्दगी गुज़र जाती है, अपनों को अपना बनाने में,.!!

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks