इन्सान बड़ा ही गहरा होता है, एक ही वक्त में अपने दिल में ना जाने कितने राज़, दर्द, दुख, और अपनी उम्र की कितनी दास्तानें छुपाए फिरता है,
बुलंद कहकहों में आंखों के किनारों में छुपी नमी को बहुत महारत से अंदर पीता है,
हर लम्हा बदलते मौसम की ज़द में आकर कितने रंग बदलता है, और उदास आंखों में दुनिया भर के ज़ख़्म लिए मुस्कुराता है,