Monday, February 21, 2022

ख्वारिज और रवाफिज का अहले सुन्नत वल जमात के साथ खूनी खेल,




 ख्वारिज और रवाफिज का अहले सुन्नत वल जमात के साथ खूनी खेल,


काजी अयाज़ रहमतुल्लाह अपनी किताब " तरतीब उल मदारिक 5/303 " में लिखते है,

राफज़ी हुकूमत बनी उबैद के ज़माने कैरवान के अहले सुन्नत वल जमात बहुत ही परेशान कुन हालात से गुज़र रहे थे, छुप छुप कर जिंदगी गुजारते थे, राफजियों ने हुसैन अल आमी नामी शख्स को इस बात के लिए मुकर्रर कर रखा था के वह भरे बाज़ार में सहाबा किराम रिजवानुल्लाह को गाली दे, कभी कभी वो नबी ए अकरम मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम को भी गाली देता ,सहाबा के नाम शराब की दुकानों कर लटकाए जाते , अगर अहले सुन्नत वल जमात का कोई फर्द हरकत भी करता तो उसकी गर्दन मार दी जाती,

उस ज़माने में जेनाता नामी कबाइल में एक शख्स था जिसकी कुन्नियत अबू यजीद थी, आबिद वा जाहिद था लेकिन ख्वारिज़ के सबसे शदीद फिरका सफरियाह से ताल्लुक रखता था , उसने अपनी जमात को लेकर राफज़ियो के खिलाफ मुहाज खोल दिया ,जब अहले सुन्नत वल जमात ने देखा तो उन्होंने इस खारीजी का साथ दिया क्योंकि ख्वारिज़ अहले सुन्नत वल जमात के नजदीक मुसलमान थे जबकि रवाफिज़ बिल्खुसूस बनी उबैद के रवाफिज़ काफिर थे,

चुनाँचे कैरवान के फुकहा , सुलहा , ऐम्मा वगेरह सभी ने रवाफिज़ की हुकूमत के खात्में के लिए ख्वारिज़ का साथ दिया , जंग की तैयारी शुरू हो गई , अबू यजीद खारजी की कयादत में लोग रवाफिज़ से मुकाबले के लिए निकले , अहले सुन्नत वल जमात के उलेमा वा फुकहा जिहाद का झंडा संभाले हुए थे, अल्लाह रब्बुल इज्जत उन्हे कामयाबी देता रहा , और आखिर में जब महदविया नामी शहर में रवाफिज़ का मुहासिरा कर लिया गया तो अबू यजीद खारजी ने देखा के अब तो हमारी हुकूमत बन्नी तय है, चुनांचे उसने अपनी खारजियत का असली चेहरा जाहिर कर दिया ,

अपनी खास फौज के कहा के," जब तुम रवाफिज़ से मुकाबला आराई के लिए जाना तो उलेमा ए कैरवान का साथ छोड़कर वापस चले आना ताकि रवाफिज़ उनसे अच्छी तरह बदला ले सकें, और ऐसा ही हुआ , रवाफिज़ ने चुन चुनकर कैरवान के उलेमा वा फुकहा और अहले सुन्नत वल जमात के अफ़राद को कत्ल कर दिया और खारीज़ी खबीस बैठकर मज़े लेता रहा "

ये काज़ी अयाज़ रहमतुल्लाह अलैह का बयान था जिसे मैंने निहायत ही इख्तेसार के साथ बयान किया है, आज के दौर में कोई सोचता है के खारजी राय रखने वाले रवाफिज़ के साथ मिलकर बैतुल मुकद्दस फतह कर लेंगे तो ये उनकी भूल है, बैतुल मुकद्दस ज्यों का त्यों रहेगा बस अहले सुन्नत का वहां से सफाया हो जाएगा ,

ख्वारिज़ और रवाफिज़ दोनों का इजातकरदा (Founder) एक ही है और वह अब्दुल्लाह बिन सबा है, इसलिए दोनों के दिल आपस में मिलते हैं

فاعتبروا يا أولى الأبصار

साभार: अबू अहमद कलीमुद्दीन यूसुफ ( जामिया इस्लामियां मदीना मुनाववारा)
हिंदी तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks