Sunday, July 25, 2021

रसूम ए शब ए बरात

 



रसूम ए शब ए बरात


शब ए बरात में तमाम एहतमाम यानी घरों की सफाई वा आराइश , नए और उम्दा खाने और उनके साथ उम्दा किस्म की खुशबूदार बत्तियों से घरों को मुआत्तर करना दरअसल इस वजह से किए जाते हैं के इस दिन मरे हुए लोगों की रूहें तसरीफ लाती हैं, और रात भर घरों में रहकर सुबह सवेरे आलम ए अरवाह की तरफ रुखसत हो जाती हैं,

चुनांचे इन्ही रूहों का इस्तकबाल करने के लिए घरों को संवारने रोशनियों से सजाते और फातिहा में उनकी पसंदीदा खाने की चीज़ें पेश करते हैं जो जिंदगी में उन्हे पसंद रही हो,

रूहों के आने का ये तसव्वुर सरासर हिंदुआना अकीदा है के " पितृपक्ष " वगेरह के मौके पर पूर्वजों की आत्माएं आती हैं, और उन्हे पिंड नज़र किया जाता है जिससे उन्हें शांति मिल जाती है और वापस हो जाती हैं, ये पिंड उनके नाम से नदी में डाल दिया जाता है,

इस्लामी नुक्ता ए नजर से रूहों की वापसी का अकीदा सरासर गलत है, इंसान के मर जाने के बाद दोबारा लौटकर उसकी रूह दुनिया में नहीं आ सकती,

अहनाफ के उलेमा के नजदीक भी यही राय है, एक हनाफि आलिम का कौल है,

" बाज़ लोग ये अकीदा रखते हैं के शब ए बरात वगेरह में मुर्दों की रूहें घरों में आती हैं और देखती हैं के किसी ने हमारे लिए कुछ पकाया है या नहीं, जाहिर है ऐसे अमल किसी दलील से साबित नहीं हो सकता "

(इसलाह उल रूसूम पेज 132)

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks