मुल्क-ए-शाम की फ़ज़लियत
सरज़मीं शाम ईमान वालों की सरजमीं है। प्यारे हबीब आप सल्ल० ने फ़रमाया मैंने देखा मेरे तकिये के नीचे से किताब का एक हिस्सा मुझसे छीना जा रहा है। मेरी नज़रों ने उसका ताबकूब किया, मुझसे वापस लिया जा रहा मेरी नज़रें उसको देख रही और उधर से बहुत नूर फुट रहा था। मैंने देखा किताब का वह हिस्सा शाम में रख दिया गया है। जब फ़ित्ने आम होंगे तो ईमान शाम में होगा।
सैयदना अब्दुल्लाह इब्ने उमर रज़ि० फरमाते हैं आप सल्ल० ने फ़रमाया ऐ अल्लाह हमारे शाम में हमें बरकतें नसीब फ़रमा। हमारे यमन में हमें बरकतें नसीब फरमा। बिलादे शाम और बिलादे यमन वो मुबारक सरज़मीं है, जिसमें बरकतों के लिये आप सल्ल० ने अपने रब से सवाल किया है।।
(सहीह बुखारी)
आप सल्ल० ने फ़रमाया शाम के लिए खुशहाली है। सहाबाओं ने अर्ज़ किया या रसुल्लुलाह किस वजह से, आपने फरमाया रहमान के मलाइका मुल्क ए शाम पे अपने पर फैलाये हुवे हैं। अपने परों से मलाइका ने ढंका हुवा है। सरज़मीं मुल्क ए शाम बेहतरीन बन्दों के लिए बेहतरीन सरज़मीं हैं।
(तिर्मिज़ी)
सैय्यदना अब्दुल्लाह से रिवायत है उन्होंने कहा या रसूलुल्लाह आप सल्ल० आप मुझे बताइये मैं किस इलाके में जाऊं आपने फ़रमाया बेहतरीन वह लोग होंगे, जो मुल्क ए शाम की तरफ हिज़रत करेंगे।।
(मुसनद अहमद और अबू दाऊद)
प्यारे नबी आप सल्ल० ने फ़रमाया जब अहले शाम बिगड़ जाए और उन में फसाद बरपा हो जाए, तो फिर तुम्हारे अंदर खैर नहीं है और याद रखना मेरी उम्मत का एक गिरोह " ला इलाहा इल्लल्लाह " के लिए हमेशा हक़ पर रहेगा वह अहले हक़ होगा, जो उनको तकलीफ पहुँचाना चाहे और जो उनको रुस्वा करने की प्लानिंग करना चाहे वह खुद रुस्वा होगा। उनको कोई तकलीफ नहीं दे सकेगा। यह हक़ पर बाक़ी रहेंगे। यहाँ तक की क़यामत क़ायम हो जायेगी और इनका हक़ पर बाकी होना अल्लाह की तरफ से मदद पाने की मुराद क्या है , इन्हें दलील के मैदान में कोई हरा नहीं सकेगा। हक़ इनके साथ होगा।
(तिर्मिज़ी)
आप सल्ल० ने फ़रमाया अनक़रीब अमरीसराह होगा की तुम लश्करों के मज़मुएं बन जाओगे। एक लश्कर मुल्क ए शाम में होगा और एक लश्कर यमन में होगा और एक लश्कर इराक़ में होगा। इब्ने हवाला ने अर्ज़ किया कि अल्लाह के रसूल आप सल्ल० कोनसे लश्कर की तरफ जाऊं, मेरे लिए किस लश्कर की तजवीज़ आप रखते हैं।जब मुसलमान इस तरह लश्कर में होंगे आप सल्ल० ने फ़रमाया तुम मुल्क ए शाम के लश्कर को लाज़िम पकड़ना क्योंकि वह अल्लाह की सरज़मीं है। अल्लाह का पसंदीदा खितबा है , वह अपने पसंदीदा बन्दों को इसकी तरफ लायेगा, हाँ अगर तुम वहां न जा सके तो यमन के लश्कर की तरफ जाना। अल्लाह तआला ने शाम और अहले शाम की हिफाज़त की जमानत मुझे दी है।
(अबू दाऊद)
सैय्यदना सलमा से रिवायत है कि मैं आप सल्ल० के साथ बैठा हुवा था, एक आदमी आया और आकर कहने लगा या रासुल्लुलाह आप सल्ल० लोगों ने घोड़ों की लगाम छोड़ दी, हथियार ढाल दिए, और यह कहने लग गए की अब कोई जेहाद बाकी न रहा, किताल ख़त्म हो गया। आप सल्ल० ने फ़रमाया वह झूट बोल रहे हैं , किताल तो अभी शुरू हुवा है , मेरी उम्मत में एक गिरोह हक़ के साथ किताल करता रहेगा और अल्लाह कुछ लोगों के दिलों को फेर देगा और उनके ज़रिये उनको फायदा पहुंचाएगा, यहाँ तक की आखरी लम्हात आ जायेंगे और अल्लाह का वादा पूरा होगा, घोड़ों की पेशानियों पर क़यामत तक के लिए खेर रख दी है। आप सल्ल० ने फ़रमाया मुझ पर वह्य की जा रही है कि मैं जल्द तुम लोगों से जुदा हो जाऊंगा, तुम मेरे बाद आपस में लड़ोगे, अहले ईमान मुल्क ए शाम का रुख करेंगे । उनका घर मुल्क ए शाम होगा।।
(नसाई)
अब्दुल्लाह अम्र बिन आस से रिवायत है कि आल सल्ल० ने फ़रमाया ज़मीन वालों में सबसे बेहतर वह लोग वो लोग होंगे जो इब्राहिम अलैहि० की जज़ा यानी मुल्क ए शाम की तरफ हिज़रत करेंगे।
(अबू दाऊद)