Sunday, February 28, 2021

APNA DIL BADA RAKHEN

 



एक शख्स समुंदर के किनारे वाक कर रहा था उसने दूर से देखा के कोई शख्स नीचे झुकता , कोई चीज उठाता है और समुंदर में फेंक देता है,

ज़रा करीब जाता है तो क्या देखता है के हजारों मछलियां किनारे पर पड़ी तड़प रहीं हैं, शायद किसी बड़ी लहर ने उन्हें समुंदर से निकाल कर रेत पर ला पटका था , और वह शख्स उन मछलियों को वापस समुंदर में फेंक कर उनकी जान बचाने की कोशिश कर रहा था,

उसे उस शख्स की बेवकूफी पर हंसी आ गई और हंसते हुए उसे कहा :-" इस तरह क्या फर्क पड़ना है हजारों मछलियां हैं कितनी बचा पाओगे ??"

ये सुनकर वह शख्स नीचे झुका , एक तड़पती मछली को उठाया और समुंदर में उछाल दिया वह मछली पानी में जाते ही तेज़ी से तैरते हुए आगे निकल गई, फिर उसने सुकून से दूसरे शक्श से कहा :-" इसे फ़र्क पड़ा "

ये कहानी हमें समझा रही है के हमारी छोटी से कोशिश से भले मजमूई हालात तब्दील ना हो मगर किसी एक के लिए वह फायदेमंद हो सकती है,,

लिहाज़ा दिल बड़ा रखें और अपनी ताकत वा हैसियत के मुताबिक अच्छाई करते रहें इस फिक्र में मुब्तिला ना हों के आपकी इस कोशिश से मुआशरे (समाज) में कितनी तब्दीली आई,

साभार: Umair Salafi Al Hindi
ब्लॉग: islamicleaks.com

Saturday, February 27, 2021

SAUDI ARAB AUR IKHWANI PROPAGANDA

 



सऊदी अरब और इख्वानी प्रोपगंडा


सऊदी अरब ताकत दिखाकर पेट्रोल का दाम घटा दिया तो कहने लगे, रूस की चापलूसी में किया है,

रूस ने ओपेक प्लस की मीटिंग तलब की और कीमत पर बात चीत करने के लिए अपील की और सऊदी ने इनकार कर दिया, तो कहने लगे : बिन सलमान ज़िद्दी है ये अपने साथ सब को ले डूबेगा

अमेरिका ने कीमत घटने पर सऊदी अरब को चेतावनी दी तो कहने लगे : अब सऊदी कि खैर नहीं

आज अमेरिका खुद सऊदी से मीटिंग की अपील कर रहा है तो कहते नजर आ रहें हैं : अमेरिका की बात तो मानना ही है,

2016 में जब ट्रप सदर बना था तो का रहें थे : अब सऊदी कि खैर नहीं,

लेकिन जब उसने पहला दौरा सऊदी का किया तो कहने लगे : ट्रंप तो सऊदी को चूसने आया है,

सऊदी ने भारत की ऑयल कंपनी से 100 बिलियन डॉलर का मुआहेदा किया तो कहने लगे : सऊदी को कश्मीरियों की कोई फिक्र नहीं,

जब ये मुअहेदा खतम कर दिया तो कहने लगे : ये रियाकारी है,

जब सऊदी अरब ने पिछले साल सियाहती वीज़ा जारी करके 300 रियाल फीस लगाई तो कहने लगे : आल ए सऊद ने बिलाद ए हरमैन को कमाई का जरिया बना लिया है,

जब उमरे वीज़ा पर पाबंदी लगा दी तो कहने लगे : आल ए सऊद ने खाना काबा का तवाफ करने से मुसलमानों को महरूम कर दिया,

जब सऊदी अरब ने कोराना वबाई बीमारी की रोकथाम के लिए पूरे मुल्क में लॉक डाउन कर दिया तो कहने लगे : बिलाद ए मुकद्दस में आल ए सऊद ने सिनेमा खोला तो अल्लाह ने हरमैन को बंद कर दिया

लेकिन जब इसी वबाई बीमारी की वजह से पूरी दुनिया में लॉक डाउन लगा दिया गया तो कहने लगे : ये अल्लाह का अजाब है,

कुछ हफ्तों पहले जब सऊदी अरब ने G20 मुमालिक और दीगर आलमी तंजीम को कोराना वाबई बीमारी से निपटने के लिए एक वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा लेने की दावत दी, जो के अपने अंदाज में दुनिया के अंदर पहली मीटिंग थी तो कहने लगे : ये भी छोटा मुंह और बड़ी बात कर रहा है,

लेकिन जब बाशमूल तहरीकी खलीफा साहब ने सऊदी अरब कि दावत पर लब्बैक कह कर इस नादर मीटिंग में हिस्सा लिया तो कहने लगे : इसका कोई फायदा नहीं है,

हुथियों ने रियाद पर मिसाइल फेंका तो कहने लगे : सऊदी कमजोर है,

जब सऊदी ने हुथिओं के ठिकानों पर हमला करके इनके असलहा ज़ख़ीरा को तबाह कर दिया तो बिलबिला कर कहने लगे : सऊदी येमेनी बच्चों को मारता है,

नोट : सऊदी अरब इसी लिए अपने दुश्मनों कि बातों कि परवाह किए बगैर शान से आगे की तरफ बढ़ रहा है, और दुश्मन ए ममलका दुनिया के सामने उसकी तरक्की को देख कर जल भुन रहें हैं

तर्जुमा : UmairSalafiAlHindi
IslamicLeaks 

Friday, February 26, 2021

AAJKAL SABSE ZYADA DHOKA AUR FAREB IN EHSASON NE DIYA HAI

 



आजकल सबसे ज़्यादा धोका और फरेब इन एहसासों ने दिया है के

" मुझे कोई चाहे "
" मुझे कोई मुहब्बत करे "
" कोई अपना हो "
अपने चाहे जाने की ख्वाहिश सबको होती है लेकिन इसे हासिल करने के पीछे झूठी तारीफ़, खुशनुमा अल्फ़ाज़, और दोहरे रवैए होते हैं, इन ख्वाहिशात को छोड़ दें,
हम लोगों को कायल करते हैं के हमसे मुहब्बत करे, क्योंकि हमें मुहब्बत चाहिए होती है,
यूं लोगों के पीछे मुहब्बत का काशकोल लेकर फिरने से बेहतर है के अपने वजूद को खुदसे मुकम्मल करे,
इतनी बमकसद ज़िन्दगी गुजारें की कभी तन्हाई ना हो, खुद के साथ जिएं, खुद से मुहब्बत करें, फिर आपको कभी किसी से मुहब्बत की भीख मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी,
बहन अजरा नफीस

Thursday, February 25, 2021

EK BAHEN KI TARAF SE YE SAWAL AAYA HAI ??

 



अस्सलामू अलैकुम वारहमतुल्लाही वाबरकातहु

अभी एक बहन की तरफ से ये सवाल आया है ??
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर्रहीम
आपकी खिदमत में तीन सवाल करना चाहती हूं, मगर सवाल करने से पहले मैं अपने बारे में कुछ बताना चाहती हूं जो इस तरह है:
मै एक तलाकशुदा मुस्लिम औरत हूं मेरी उम्र तकरीबन चौबीस या पच्चीस साल है, मैं एक बच्ची की मां भी हूं, बच्ची की उम्र तकरीबन पांच या छह साल है फिलहाल मां बाप के घर पर रहती हूं
अकीदे के ऐतबार से सलफी मन्हज पर हूं, अलहम्दुलिल्लाह बा हया, बा पर्दा और नेक सीरत वा मां बाप की इंतेहाई दर्जा फर्माबरदार हूं, दुनियावी तालीम बीएससी तक और जामिया उर्दू अलीगढ़ से मुअल्लिम तक है, दीनी तालीम सिर्फ जाती मुताले के ज़रिए हासिल की है, आगे मजीद दुनियावी वा दीनी तालीम हासिल करके खवातीन के शोबे में दीनी ख़िदमात अंजाम देने की दिल में बेइंतेहा तड़प रखती हूं,
मैं अपने खानदान में अकेली अहले हदीस हूं, मेरे घर के सभी लोग हनाफी देवबंदी है और मेरे अहले हदीस होने के सबब मेरे वालीदैन मुझसे बहुत नाराज़ रहते है खुसूसी तौर से मेरी मां मुहतरमा तो मुझसे इस क़दर नाराज़ रहती है के वो मुझको यहां तक कह देती है के:- " जा ! तू कहीं जाकर ज़हर खा कर मर जा "
मैंने दीनी ऐतबार से तमाम हुज्जत के तौर पर अपने मां बाप के अकीदे को दुरुस्त करने की तमामतर कोशिशें कर के देख लिया मगर इसके बावजूद भी मेरे मां बाप के अकीदे को दुरुस्त नहीं करा सकी हूं, इस पर मुझे अफसोस भी होता है और दिल गमगीन भी रहता है, मेरे मां बाप का ये कहना के :-
" तुम अपना अकीदा बदलो, अपना इस्लामी तौर तरीका बदलो, और मजीद इल्म हासिल करने की आरजू को खतम करके हमारी मर्ज़ी के मुताबिक खामोशी के साथ निकाह करके इस घर से चली जाओ, और अगर अपना अकीदा नहीं बदल रही हो तो, तुम्हारा अकीदा तुम्हारे साथ तुम जानो मगर अपनी तालीम सीखने की ज़िद छोड़कर हमारी मर्ज़ी के मुताबिक शादी करके इस घर से चली जाओ, अगर तुम ऐसा नहीं करती हो कहीं जाकर ज़हर खाकर मर जाओ , या अगर तुम अपनी ज़िद नहीं छोड़ोगी तो मैं ज़हर खाकर मर जाऊंगी, गर्ज़ ये के ना तुमको अपनी मर्ज़ी के मुताबिक निकाह की इजाज़त है और ना आगे मजीद पढ़ने की इजाज़त दी जाएगी"
मेरे मां बाप मुझसे एक बात और कहते हैं के :- जाओ तुम अपनी मर्ज़ी का लड़का तलाश करके निकाह कर लो, हम निकाह तो कर देंगे मगर हमारी बद्दुआ से कैसे बचोगी ?? अपनी मर्ज़ी से निकाह करके , हमारे दिल को चोट पहुंचा कर जाओगी, जाओ ज़िन्दगी में कभी कामयाब नहीं हो सकती, हम भी देखेंगे के :- तुम और पढ़ लिख कर क्या उखाड़ लोगी "
मेरा कहना है के :- " मैं अपना अकीदा , अपना इस्लामी तौर तरीका, अपनी नमाज़ का तरीका नहीं बदलूंगी, और ना ही अपना दीन का इल्म हासिल करने की आरज़ू को छोडूंगी और ना ही खुदकुशी करके मरूंगी, और आपको भी खुदकुशी करके नहीं मरने दूंगी, रही बात निकाह की तो मैं किसी मुशरिक वा बिदती मुकल्लिद (धार्मिक अंध भक्त) से निकाह नहीं करूंगी, अगर मेरा निकाह होगा तो सिर्फ मुवाहहिद आदमी के साथ जो मुझे मेरी मर्ज़ी के मुताबिक दीन और दुनिया दोनों का इल्म सीखने में मेरी भरपूर मदद करे और ये निकाह भी मैं आप दोनों की मर्ज़ी से ही करूंगी, मुझे मेरा मनहज भी महबूब है और आप दोनों भी ??
में आप दोनों को अपनी नज़र मे हकीर नहीं समझ रही हूं और ना है मैं आपको चोट पहुंचाना चाहती हूं,?? बस मैं तो यही चाहती हूं के आप मुझे मेरी मर्ज़ी के लड़के के साथ निकाह करके खुशी खुशी अपनी दुआएं देते हुए इस घर से रुखसत कीजिए , और अगर आप मेरा निकाह मेरी मर्ज़ी से नहीं करना चाहते हैं तो मैं निकाह ही नहीं करूंगी, बस आप लोग मुझे मजीद तालीम सीखने की इजाज़त तो कमसे कम दे दीजिए ??"
सवाल-1
क्या मैं अपने मां बाप को खुश करने के खातिर अपने मनहज को छोड़कर मनहज अहनाफ वा बिदात को कुबूल करते हुए उनकी मर्जी के मुताबिक किसी भी बिदाती वा मुशरिक मुकल्लीद के साथ निकाह कर लूं तो मुझपर कोई।गुनाह तो नहीं होगा ??
सवाल -2
क़ुरआन वा हदीस की रोशनी में कौन हक पर है ?? मैं या मेरे मां बाप ?? मै अपनी मां को ऐसी बातें सुनकर डर जाती हूं के कहीं मैं उनकी नाफरमानी तो नहीं कर रही हूं ??
सवाल -3
मेरे मां बाप का ये कहना के :- " जाओ तुम अपनी मर्ज़ी का लड़का तलाश करके निकाह कर लो, हम निकाह तो कर देंगे मगर कभी हमारी तरफ पलट कर भी मत आना और हमारी बद्दुआ से कैसे बचोगी ?? अपनी मर्ज़ी से निकाह करके हमारे दिल को चोट पहुंचा कर जाओगी, जाओ ज़िन्दगी में कभी कामयाब नहीं हो सकती, हम भी देखेंगे के :-" तुम और पढ़ लिख कर क्या उखाड़ लोगी ??"
तो अगर मैं अपने वालिद की इजाज़त के साथ इस तरह का निकाह कर लूं तो क्या मेरा ये निकाह करना दुरुस्त होगा, क्या मुझे मेरे मां बाप की बद्दुआ तो नहीं लगेगी ??
नोट: मेरा पहला निकाह भी बिदत और शीर्क करने वाले घर में हुआ था,
मेरे इस मसले का हल कुरआन वा हदीस की रोशनी में बयान करके मेरी रहनुमाई फरमाएं, नवाजिश होगी
वालैकुम अस सलाम वारहमतुल्लही वा बरकताहू
अल्लाह की बंदी,
साभार: शेख मकबूल अहमद सलफी
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi

Wednesday, February 24, 2021

ZAINDAGI KE TAJURBAAT

 



जिन्दगी के तजुर्बात

अगर लोग मुझसे पूछें के तुमने अपनी जिंदगी में क्या कुछ सीखा तो मेरा जवाब होगा के मैंने अब तक की अपनी ज़िन्दगी से यही सीखा के :-

1-  दुनिया क़र्ज़ है जो दोगे वहीं लौटकर आएगा,

2-  देर सवेर मजलूम को मदद जरूर मिलेगी

3- रात के आखिरी पहर की दुआएं रायगा नहीं जाती,

4- ज़िन्दगी किसी भी वक्त खत्म हो सकती है मगर हम इससे गाफिल रहते हैं,

5- मीठी ज़बान, हंसता मुस्कुराता चेहरा  और सखावत वा फय्याजी यही असल अखलाक है,

6- दुनिया का सबसे मालदार इन्सान वह है जिसके पास सेहत वा तन्दरूस्ती  और अमन वा अमान की दौलत हो,

7-  जिन्दगी खतम हो जायेगी मगर जिन्दगी की मसरूफियात खत्म नहीं होगी,

8- लोगों को पहचानने का सबसे बहतरीन जरिया उनके साथ सफर करना है,

9- जो ज्यादा फलसफे बघारता है और मैं मैं की ज़बान बोलता है वह अंदर से खोखला होता है,

10- आज जो कब्रों में दफन हैं उनकी जिंदगी में भी बहुत सारी मसरूफियात  थी और वह बहुत कुछ करना चाहते थे मगर मौत ने अचानक सारी आरजूओं और तमन्नाओं पर पानी फेर दिया,

ऐ अल्लाह ! जिन्दगी में ज्यादा से ज्यादा नेकियां करने की तौफीक़ दे और नेक अमाल पर हमारा खात्मा फरमा और जो कब्रों में दफन हैं उनपर रहमत वा अनवार की बारिश बरसा"

अरबी से मनकूल

साभार: मौलाना शाहिद सनाबिलि

हिन्दी तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi

Tuesday, February 23, 2021

SHAUHARON KE LIYE 10 NASEEHAT

 




शौहरों के लिए नसीहतें

इमाम अहमद बिन हम्बल रहमतुल्लाह अलैह के अपने बेटे को खुशगवार अजदवाजी ज़िन्दगी(Sucessful Married Life) के लिए 10 कीमती नसीहतें,
इमाम अहमद बिन हम्बल रहमतुल्लाह ने अपने साहबजादे को शादी की रात 10 नसीहतें फरमाई, हर शादीशुदा मर्द को चाहिए के गौर से पढ़े और अपनी ज़िन्दगी में अमली तौर पर इख्तियार करे,
" मेरे बेटे ! तुम घर का सुकून हासिल नहीं कर सकते जब तक के अपनी बीवी के मामले में इन दस आदतों को ना अपनाओ,
लिहाज़ा इन्हे गौर से सुनो और अमल का इरादा करो"
पहले दो, तो ये के औरतें तुम्हारी तवाज्जोह चाहती हैं और चाहती है के तुम उनसे वाजेह अल्फ़ाज़ में मुहब्बत का इज़हार करते रहो
लिहाज़ा वक्तन फवक्तन अपनी बीवी को अपनी मुहब्बत का एहसास दिलाते रहो और वाजह अल्फ़ाज़ में उसको बताओ के वह तुम्हारे लिए किस कदर अहम और महबूब है, इस गुमान में ना रहो के वह खुद समझ जाएगी ( रिश्तों को इज़हार की जरूरत हमेशा रहती है)
याद रखो अगर तुमने इस इज़हार में कंजूसी से काम लिया तो तुम दोनों के दरमियान एक तल्ख दराड आ जाएगी जो वक्त के साथ बढ़ती रहेगी और मुहब्बत को खतम कर देगी,
3- औरतों को सख्त मिजाज़ और ज़रूरत से ज़्यादा मुहतात मर्दों से कोफ्त होती है,
लेकिन वह नरम मिजाज़ मर्द की नरमी का बेजा फायदा उठाना भी जानती हैं, लिहाज़ा इन दोनों सिफात में एतेदाल से काम लेना ताकि घर में तावाजुन( Balance) कायम रहे और तुम दोनों को ज़हनी सुकून हासिल हो,
4- औरतें अपने शौहर से वही तवाक्को रखती हैं जो शौहर अपनी बीवी से रखता है,
यानी इज़्ज़त, मुहब्बत भरी बातें, ज़ाहिर खूबसूरती, साफ़ सुथरा लिबास और खुशबूदार जिस्म, लिहाज़ा हमेशा इसका ख्याल रखना,
5- याद रखो घर की चारदीवारी औरत की सल्तनत है जब वो वहां होती है तो गोया अपनी ममलकत के तख्त पर बैठी होती है,
उसकी इस सल्तनत में बेजा मुदाखिलत (interfere) हरगिज़ ना करना और उसका तख्त छीनने की कोशिश ना करना, जिस हद तक मुमकिन हो घर के मामलात उसके सुपुर्द करना और उसमे तसर्रुफ की उसको आज़ादी देना,
6- हर बीवी अपने शौहर से मुहब्बत करना चाहती है लेकिन याद रखो इसके अपने मां बाप बहन भाई और दीगर घर वाले भी है जिनसे वह ला ताल्लुक नहीं हो सकती और ना ही उससे ऐसी तावक्को जायज है,
लिहाज़ा कभी भी अपने और उसके घर वालों के दरमियान मुकाबले की सूरत पैदा ना होने देना क्यूंकि अगर उसने मजबूरन तुम्हारे खातिर अपने घरवालों को छोड़ भी दिया तब भी वह बेचैन रहेगी और ये बेचैनी बिलाखीर तुमसे उसे दूर कर देगी,
7- बिलाशुबह औरत टेढ़ी पस्ली से पैदा की गई है और उसी में उसका हुस्न भी है,
ये हरगिज़ कोई नुक्स नहीं वह ऐसे ही अच्छी लगती है जिस तरह भौवें गोलाई में खूबसूरत मालूम होती है,
लिहाज़ा इसके टेढ़ेपन से फायदा उठाओ और उसके इस हुस्न से लुत्फ अंदोज हो, अगर कभी इसकी कोई बात बुरी भी लगे तो उसके साथ सख्ती और तल्खी से उसको सीधा करने की कोशिश ना करो वरना वो टूट जाएगी, और उसका टूटना बिलआखिर तलाक तक नौबत ले जाएगा,
मगर उसके साथ साथ ऐसा भी ना करना के उसकी हर गलत और बेजा बात मानते ही चले जाओ वरना वो मगरूर हो जाएगी जो उसके अपने लिए ही नुकसानदेह है,
लिहाज़ा मोतदल मिजाज़ रहना और हिक्मत से मामलात को चलाना,
8- शौहर की ना कदरी और नाशुक्री अक्सर औरतों की फितरत में होती है,
अगर सारी उम्र भी उस पर नवाजिश करते रहो लेकिन कभी कोई कमी रह जाए तो वह यही कहेगी तुमने मेरी कौनसी बात सुनी है आज तक,
लिहाज़ा उसकी इस फितरत से ज़्यादा परेशान मत होना और ना ही इसकी वजह से उससे मुहब्बत में कमी करना , ये एक छोटा सा ऐब है उसके अंदर, लेकिन इसके मुकाबले में उसके अंदर बेशुमार खूबियां भी है,
बस तुम उन पर नज़र रखना और अल्लाह की बंदी समझकर उससे मुहब्बत करते रहना और हुकूक अदा करते रहना,
9- हर औरत पर जिस्मानी कमज़ोरी के कुछ दिन आते हैं, उन दिनों में अल्लाह ताला ने भी उसको इबादात में छूट दी है, उसकी नमाजें माफ कर दी हैं और उसको रोजों में उस वक्त तक ताखीर की इजाज़त दी है जब तक वह दोबारा सेहतयाब ना हो जाए ,
बस इन दिनों में तुम उसके साथ वैसे ही महरबान रहना जैसे अल्लाह ताला ने उस पर मेहरबानी की है,
जिस तरह अल्लाह ने उस पर से इबादात हटा ली वैसे ही तुम भी उन दिनों में उसकी कमज़ोरी का लिहाज करते हुए उसकी ज़िम्मेदारियों में कमी कर दो, उसके कामकाज में मदद करवा दो और उसके लिए सहूलियत पैदा करो,
10- आखिर में बस ये याद रखो के तुम्हारी बीवी तुम्हारे पास एक कैदी है जिसके बारे में अल्लाह ताला तुमसे सवाल करेगा , बाद उसके साथ इंतेहाई रहम वा करम का मामला करना,
साभार/तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi

Monday, February 22, 2021

GHAMANDI INSAAN JANNAT ME DAAKHIL NAHIN HOGA




 "जिसके दिल में ज़र्रा बराबर भी तकब्बुर (घमंड) होगा वह जन्नत में दाखिल नहीं होगा "

एक आदमी ने कहा :-" इन्सान चाहता है के उसके कपड़े अच्छे हों और जूते अच्छे हों"
मुहम्मद साहब ने फरमाया:-" अल्लाह खुद जमील है और जमाल को पसंद करता है, तकब्बुर हक़ को कुबूल ना करना और लोगों को हकीर (नीच) समझना है "
(सही मुस्लिम हदीस 265)
साभार: Umair Salafi Al Hindi

Sunday, February 21, 2021

JHOOTE AUR MAKKAR LOG

 



झूठे और मक्कार लोग !


मुसलमानों ने अपनी किस किस चीज़ की हिफाज़त की ??

क़मरी तारीख़ गुम ,जिसका तैय्युन अल्लाह ताला ने तख़लीक़ ए कायनात के रोज़ ही कर दिया है के महीना कब 29 का होगा और कब 30 का , सुरा तौबा आयत 36, सुरा यूनुस आयत 5, सुरा बकरह आयत 189,

अरबी ज़बान की तो कोई फ़िक्र ही नहीं की, क़ुरआन मजीद हिन्दी में पढ़ा जाने लगा, आज उर्दू को बचाने की जुगत लगी हुई है ?? उनसे किसी भी इस्लामी सरमाया की हिफाज़त ना हो सकी ??

किताब वा सुन्नत तो बेशक महफूज़ वा मुदावविन हैं, लेकिन क्या मुसलमानों ने उनके रंग में अपनी ज़िन्दगी गुजारने और अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में उन्हें उतारने की फिक्र की ??

ईमान वा अकीदा और अमल वा अखलाक में किताब वा सुन्नत से कितने दूर हैं ??

मस्जिद में अल्लाह अल्लाह , बाहर की दुनिया में गैर अल्लाह ? शादी ब्याह हिंदुआना वा मुश्रिकाना ??

हराम सूद को तो पहले ही हलाल कर लिया गया है, अब जिनाकारी को भी सनद ए जवाज़ फराहम किया जा रहा है,

तिलक, घोड़ागाड़ी ,कैश, शाज ओ सामान और जबरी दहेज ना मिलने पर बेटों की शादी में इतनी ताखीर के बूढ़ा हो जाए , जानवरों से बदतर ज़िन्दगी गुजारने के लिए बच्चे मजबूर हो जाएं, खुले सांड की तरह घूमते फिरते रहें लेकिन उन्हें कोई परवाह , कोई गैरत नहीं, मगर उनके आंगन में झूठी शराफत का शजर लगता है ??

सोना दहा जाए और कोयले पर छाप/मारामारी, इनका वजूद तो दुनिया के बदतरीन लोगों के निशाने पर है लेकिन क्या किया जाए के शादी में अहले हदीस, वहाबी, हनाफि देवबंदी और सुन्नी गैर सुन्नी की आवाज़ उठायेंगे जबकि कलमा याद नहीं, इतना भी इल्म नहीं के हराम और हलाल में कैसे फर्क किया जाता है ??

ऐसे में तुझे कौन नहीं रौंदेगा ?? फिर भी ये लोग रहमान की रहमत के उम्मीदवार बैठे हैं ?? झूठे और मक्कार लोग !!

साभार : Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks.com

Saturday, February 20, 2021

YAHUDI ISAAIYON KA GIRJAGHAR

 



हज़रत उममे सलमा और हज़रत उम्में हबीबा ने नबी ए अकरम मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से एक गिरजा का ज़िक्र किया जिसको उन्होंने हब्शा (इथोपिया) के मुल्क में देखा था उसमे जो मूर्तियां देखी थी वो बयान की,


इस पर रसूल अल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया के:-" ये ऐसे लोग थे अगर इनमें का कोई नेक आदमी मर जाता था तो इसकी क़ब्र पर मस्जिद बनाते और उसमे ये बुत रख लेते, ये लोग अल्लाह के नज़दीक सारे मखलूकात में बदतर हैं "

(सही मुस्लिम हदीस 1181 इंटरनेशनल किताब 5 हदीस 21)

साभार: Umair Salafi Al Hindi 

Friday, February 19, 2021

RISHTON KI BUNIYAD KYA HAI ?

 



रिश्तों की बुनियाद क्या है ?

मैंने अपने आप से सवाल किया,

खून के रिश्ते ? रिश्तेदारियां ? दोस्ती के बंधन या ताल्लुक ??

नहीं !!! असल रिश्ते दरअसल एहसास के रिश्ते है, बंधन कोई भी हो, अगर एहसास नहीं तो कुछ भी नहीं,

ये एहसास ही तो है जो अपनों को गैर और गैरों को अपना कर देता है, रिश्ता जात और फिरकों का मोहताज नहीं होता,

दूसरों की छोटी छोटी खुशियों, ज़रूरतों, और चाहतों का एहसास ही दरअसल तहायात कायम वा दायम रहने वाले रिश्तों का सुतून है,

एहसास खतम रिश्ता खत्म 

Thursday, February 18, 2021

थोड़ा थोड़ा करते करते अच्छा खासा बाट दिया।


 


थोड़ा थोड़ा करते करते अच्छा खासा बाट दिया।

रफ्ता रफ्ता कतरा कतरा मैंने दरिया बांट दिया।
इतना तो मत तंज़ करो मेरी इस खस्ताहाली पर।
जितना पाकर तुम नाज़अ हो, मैंने उतना बांट दिया।
आखिर को क्या नाम दूं मैं यारों की इस दिलदारी को।
अपना हिस्सा बांध कर रखा ,मेरा हिस्सा बांट दिया।
अपनी बरबादी में अपना जुर्म भी शामिल है प्यारे।
आधा लोगों ने लूटा था मैंने आधा बांट दिया।
राज़ की बातें , दर्द के किस्से, टूटे दिल के अफसाने।
लफ़्ज़ों के इस खेल में ज़ख्मी, मैंने क्या क्या बांट दिया।
साभार: सिराज आलम

Wednesday, February 17, 2021

नया एक रिश्ता पैदा क्यूं करें हम।

 



नया एक रिश्ता पैदा क्यूं करें हम।

बिछड़ना है तो झगड़ा क्यों करें हम।

खामोशी से अदा हो रस्म दूरी।
कोई हंगामा बरपा क्यूं करे हम।

ये काफी है के हम दुश्मन नहीं हैं।
वफादारी का दावा क्यूं करें हम।

वफ़ा , इखलास , कुर्बानी , मुहब्बत।
अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूं करें हम।

हमारी ही तमन्ना क्यों करो तुम।
तुम्हारी ही तमन्ना क्यों करें हम।

किया था अहद जब लम्हों में हमने।
तो सारी उम्र एफा क्यूं करें हम।

नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी।
तो फिर दुनिया की परवाह क्यूं करें हम।

ये बस्ती है मुसलमानों की बस्ती।
यहां कार मसीहा क्यूं करें हम।