Sunday, February 14, 2021

"अम्र बिल मारूफ नही अनिल मुंकर् "

 



"अम्र बिल मारूफ नही अनिल मुंकर् "

क़ुरआन में जहां कहीं भी दावत ओ तबलीग़ के लिए लफ्ज़ आएं हैं वहां आपको
"अम्र बिल मारूफ नही अनिल मुंकर् " का हुकम मिलेगा।
अम्र बिल मारूफ से मुराद अच्छे कामों का हुकम, और अनिल मुनकर से मुराद बुराई से रोकना,
ये अल्लाह का ऐसा कानून है जो सब ईमान वाले मर्द और औरत पर वाजिब है के अच्छाई का हुकम दें और बुराई से रोकें,
किसी भी जमात, पार्टी, फिर्का की दावती सरगर्मी को जांचने के लिए इस पैमाने पर फिट होना बहुत ज़रूरी है के वो जमात इस फरीजे को अंजाम दे रहें हैं या नहीं??
हम समाज को देखकर समझ सकते हैं कि आज बुराइयों का बोलबाला है चाहे वो दीनदार पढ़ी लिखी फैमिली हो या अनपढ़ फ़ैमिली सब लोग रस्म में जाहिलियत में डूबे हुए हैं,
निकाह सादगी से मस्जिद मे करके अच्छे काम की दावत दी लेकिन शाम होते ही 200-300 बारातियों के साथ बारात ले जाकर बुराई को फरोग देते हैं, इसी तरह और भी रस्में निभाकर अपने हिन्दू आबा वा अजदाद के होने का सबूत दे देते हैं, क्या यही है असल तबलीग़
बाप गया हुआ है तबलीग़ के लिए दूसरे शहर और यहां बेटा पड़ोस की लड़की भगा लाया,
घर के बगल मे शिर्क हो रहा है और बाप बेटा मस्जिद में दीन और ईमान की बात कर रहें हैं, मुसलमानों होश में आओ तबलीग़ के असल मतलब को समझो,
हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लहु अलैहि वसल्लम ने सिर्फ बुराई से रोकने पर ही मुसीबत उठाई लोगों ने पत्थर फेंके, अबू लहब ने ऊंट कि ओझडी आपके ऊपर डाली, क्यों ??
क्यूंकि आपने उनसे बुराई को छोड़ने को दावत दी,
खैर कोई बात किसी से ढकी छुपी नहीं है कि आज तबलीग़ की क्या हालत है चाहे वो तब्लीग़ी जमात का हाल हो या कोई और जमात का लगभग हर जमात की यही हाल है,
और ये बात भी याद रखिए जब तक ये फरीजा पूरी तरह अंजाम नहीं दिया जाएगा, दीन पर दुनिया भारी पड़ती रहेगी, और हमारा समाज पस्ती की गहराइयों में पहुंच जाएगा,
अल्लाह ताला का फरमान है:
" तुम खैर उम्मत हो जिसे लोगों की इसलाह और रहनुमाई के लिए बरपा लिया गया है, तुम भलाई का हुकम देते हो और बुराई से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान रखते हो"
(सूरह आल ए इमरान आयत 110)
जबतक हम बुराई से नहीं रुकेंगे या रोकेंगे तब तक तबलीग़ का काम नमुकम्मल ही रहेगा।
अल्लाह से दुआ है के हमें सही तरीके से तबलीग़ की तौफीक़ अता फरमाए...आमीन
साभार: Umair Salafi Al Hindi