आजकल सबसे ज़्यादा धोका और फरेब इन एहसासों ने दिया है के
" मुझे कोई चाहे "
" मुझे कोई मुहब्बत करे "
" कोई अपना हो "
अपने चाहे जाने की ख्वाहिश सबको होती है लेकिन इसे हासिल करने के पीछे झूठी तारीफ़, खुशनुमा अल्फ़ाज़, और दोहरे रवैए होते हैं, इन ख्वाहिशात को छोड़ दें,
हम लोगों को कायल करते हैं के हमसे मुहब्बत करे, क्योंकि हमें मुहब्बत चाहिए होती है,
यूं लोगों के पीछे मुहब्बत का काशकोल लेकर फिरने से बेहतर है के अपने वजूद को खुदसे मुकम्मल करे,
इतनी बमकसद ज़िन्दगी गुजारें की कभी तन्हाई ना हो, खुद के साथ जिएं, खुद से मुहब्बत करें, फिर आपको कभी किसी से मुहब्बत की भीख मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी,
बहन अजरा नफीस