उस्मानी हुकूमत और मूवाहेदा लोज़ान (Treaty Of Laussane)
तुर्की में जब हुकूमत खत्म करने की कोशिश जारी थी, उस वक़्त भी सबसे ज़्यादा दर्द हिन्दुस्तानियों के सीने में उठ रहा था , किस तरह अलीगढ़ यूनिवर्सिटी को ज़बरदस्ती बंद करवाया गया, अदालतों पर ताले डाले गए, इलेक्शन का बॉयकॉट किया गया,
मुहम्मद अली जौहर कि कयादत में वफद ने कैसे इंगलिश्तान , इटली और फ्रांस के दौरे किए, हिन्दुस्तान में तोड़ फोड की गई, हज़ारों की तादाद में हिन्दू मुसलमानों ने गिरफ्तारी दी, गांधी ,आज़ाद, जौहर वगेरह ने गिरफ्तारियां दी,
आखिर में हुकूमत का खात्मा खुद तुर्कियों के हाथो अंजाम पाया,
बेगानी शादी के दीवाने ठंडे होकर जेलों में बैठ गए,
हमारी अवाम को शायद समझ नहीं है के " उर्तुगुल जैसे ड्रामे के जरिए उनकी ऐसी ज़ेहन शाज़ी की जाती है के उनके दिमाग नकारा होकर सोचने समझने कि सलाहियत छोड़ जाते हैं,
नतीजे के तौर पर तुर्की, हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर एक झूट फैलाया जा रहा है जिसे हम मूवाहेदा लोज़ान के तौर पर जानते हैं,
तुर्की के नकारा दिमाग़ सोचते हैं के 2023 में लोज़ान के खात्मे के बाद तुर्की एक अज़ीम सल्तनत के तौर पर उबरेगा और हिन्दुस्तान वा पाकिस्तान के नकारा दिमाग़ उस झूट को सच तस्लीम करके सोशल मीडिया पर हर तरफ फैलाना दीनी फारीजा समझ कर अंजाम देते हैं,
किताब या इल्म नामी किसी भी शए से कोसों दूर , मजहबी जमातों से ताल्लुक रखने वाले फातिरुल अक्ल अफ़राद इस झूट पर बिना सोचे समझे ईमान ले आते हैं के 2023 में मूवाहेदा लोज़ान एक्सपायर होने के बाद खिलाफत या हुकूमत की तर्ज पर एक सुपर पॉवर तुर्क हुकूमत कायम होगी,
मूवाहेदा लोज़ान ने जो तेल निकालने की पाबंदी आयद की है , उसके खत्म होते ही तुर्की तेल निकाल कर दुनिया भर को बेचकर सुपर पॉवर बन जाएगा,
मूवाहेदा लोज़ान की एक शर्त सेक्युलर निज़ाम का निफाज़ भी है, लिहाज़ा तुर्की सेक्युलरिज्म खत्म करके इस्लामी रियासत बन जाएगा जहां शराब खानो, क्लब, और न्यूड बीचेज (Nude Beaches) पर पाबंदी लगा दी जाएगी,
तुर्की अबनाय बास्फोरस (Strait Of Bosphorus) से गुजरने वाले जहाज़ों से भारी फीस वसूल करके अमीर तरीन होता जाएगा,
इस ज़हनी बीमार कौम को खुदा भी आकर नहीं समझा सकता के मूवाहेदा लोज़ान के पहले सफे से आखिरी सफे तक कहीं मामूली सा ज़िक्र भी नहीं है के मूवाहेदा लोज़ान कभी खत्म होगा,
मूवाहेदा सिर्फ एक ही सूरत में खत्म हो सकता है जब तुर्की मूवाहेदा लोज़ान से पीछे हटे और दूसरे फरीक बमबारी करके पूरे तुर्की को कब्रस्तान बना डालें,
अगर उर्दुगान ने कभी ये सोचा के वह मूवाहेदा लोज़ान से इन्हेराफ़ करेगा तो तुर्की पर वैसी ही जंग मुसल्लत हो सकती है जैसे हिटलर की मुवाहेदा वर्सा की खिलाफवर्जी करने पर जर्मनी पर मुसल्लत हुई थी,
ये बात तय है कि मुवाहेदे सिर्फ जंग की सूरत में खत्म होते हैं, मूवाहेदा लोज़ान भी एक अमन मूवाहेदा है जिसका खात्मा सिर्फ जंग की सूरत में हो सकता है,
मूवाहेदा सेवरे (Treaty Of Sevres) से जब तुर्की ने इंहेराफ किया तो उसके बाद के हालात सबको मालूम है , निहायत कलील अरसे में तुर्की को मूवाहेदा लोज़ान पर दस्तखत करने पड़े थे,
मूवाहेदा लोज़ान तो सिर्फ एक सदी पुराना है, तुर्की तो सफवी ईरानी सल्तनत और हुकूमत उस्मानी के दरमियान होने वाले 1639 ईसवी के मुवाहेदे को ना सिर्फ तस्लीम करता है बल्कि उस पर अमल पैरा भी है,
असल में मूवाहेदा लोज़ान के मंसूख होने का झूट तुर्की की मौजूदा हुकूमत की तरफ से फैलाया गया है, नरेंद्र मोदी की तरह तुर्क हुकूमत ने भी नए तुर्की का ख्वाब देख रखा है जो तुर्की की 100वे सालगिरह पर पूरा हो जाएगा, अलबत्ता नरेंद्र मोदी की तरह उन्हें भी मालूम नहीं के पूरा कैसे होगा,
सिर्फ यही नहीं एक हज़ार साल पहले 1071ईसवी में टर्कों ने बाजिंटिनी सल्तनत को बहुत बुरी शिकस्त दी थी लिहाज़ा 2071 ईसवी के लिए भी, हज़ार साला फतह के जश्न के तौर पर उर्दुगान ने कुछ टारगेट्स सेट करके अपने हामियों को पकड़ा दिए हैं,
मूवाहेदा लोज़ान तुर्की के तेल निकालने पर कोई पाबंदी आयद नहीं करता ये भी सिर्फ एक झूट ही है के तुर्की तेल निकाल रहा, तुर्की के पास वह वसायेल नहीं के वह खुद तेल निकाल सके, लेकिन छोटे पैमाने पर तुर्की कई सालों से तेल निकाल रहा है,
हकीकत ये है के इराक़, शाम और जॉर्डन जैसे तेल और कुदरती वसायेल से माला माल इलाके फ्रांस और ब्रिटेन ने अपने कब्जे में ले लिए थे जिन्हें बाद में आज़ाद मुल्क बना दिया गया,
उर्तगुरुल देखने वाले समझते हैं के 2023ईसवी में तुर्की दोबारा शाम और इराक़ , और यूरोप में थ्रेस (Thrace) और इटली वा यूनान (Greece) के कुछ टापू पर कब्ज़ा कर लेगा,
मूवाहेदा लोज़ान में तुर्की के असलहा बनाने पर भी कोई पाबंदी नहीं है,
मूवाहेदा लोज़ान में तुर्की को बावर काराया गया है के वह तुर्की में मौजूद गैर मुस्लिमो/गैर टर्कों को मुकम्मल सियासी, मजहबी, और समाजी आजादी फराहाम करेगा, बाद में तुर्की ने आइनी (Constitution) तौर पर ये तय कर दिया के रियासत का कोई मजहब नहीं होगा और हर सख्स को हर किस्म की मजहबी वा सियासी आज़ादी हासिल होगी,
इसलिए अक्सर लोगों का ख्याल ये है के मूवाहेदा लोज़ान से निकलने के बाद तुर्की पाबंद नहीं होगा के वह हर फर्द को आज़ादी दे, लिहाज़ा वहां उर्दुगान (ऊर्तगुरुल) की सरपरस्ती में इस्लाम नाफिज करके सबकी आज़ादी छीन ली जाएगी और शराब वा ज़िना वगेरह पर पाबंदी लगा दी जाएगी,
लेकिन मुजाहीदीन का उत्तगुरुल देखना सिर्फ इसलिए बर्बाद चला जाएगा क्यूंकि तुर्क रियासत का वजूद मूवाहेदा लोज़ान से जुड़ा है, अगर तुर्की मूवाहेदा लोज़ान को खत्म करेगा तो गोया वह अपने ही हाथों से तुर्क रियासत खत्म कर देगा, दुनिया तुर्की को सिर्फ एक जम्हूरी रियासत (Democratic State) के तौर पर सिर्फ उस वक़्त तक तस्लीम करेगी जब तक तुर्की इस मुवाहेदे पर पाबंद रहेगा,
क्या लॉर्ड कर्ज़न या अस्मत अनुनो (ismet inonu) ने ख्वाब में आकर उर्तुग्रुल देखने वालों को बताया के
" हम सिर्फ 100 साल के लिए सेक्युलरिज्म लाना चाहते हैं , 2023 में मूवाहेदा लोज़ान खतम हो जाएगा और तुम उर्तुग्रुल की कयादत में खिलाफत कायम कर लेना ??"
मूवाहेदा लोज़ान की ना तो कोई एक्सपायरी डेट है ना ही कोई सिक्रेट है, ये मूवाहेदा हमेशा हमेशा के लिए है, उर्दुगान या कोई हिन्दुस्तानी या पाकिस्तानी भक्त उठ कर तुर्की को दोबारा यूरोप का मर्द ए बीमार नहीं बना सकेगा,
साभार: Umair Salafi Al Hindi