मुनकरीन ए हदीस कहते है के दीन में फिरके मुहम्मद (sws) की हदीस और फारामीन की वजह से हुए,
उनका अपना हाल देखें तो दर्जनों फिरको में बटे हुए है, बल्कि हर मूंकर अपनी जात में एक अलग फिरका है,
कोई नमाज़ को उठक बैठक कहता है, और तीन और कोई पांच नमाज़ का कायल,
किसी के नजदीक कुत्ता खाना हलाल, किसी के नजदीक मेंडक,
और तो और खतम नुबुव्वत का इनकार, कादयानियों से प्यार, नए नए नबियों के क़दमों में पड़े सख्शियत परस्त फिरके बाज़, फिर भी कहते हैं की हम फिरका नहीं
यही तो हैं जिनसे बच कर रहने का हमें हुकम दिया गया है۔
اِنَّ الَّذِيۡنَ فَرَّقُوۡا دِيۡنَهُمۡ وَكَانُوۡا شِيَـعًا لَّسۡتَ مِنۡهُمۡ فِىۡ شَىۡءٍ ؕ اِنَّمَاۤ اَمۡرُهُمۡ اِلَى اللّٰهِ ثُمَّ يُنَـبِّـئُـهُمۡ بِمَا كَانُوۡا يَفۡعَلُوۡنَ ۞
" बेशक वह लोग जिन्होंने अपने दीन को जुदा जुदा कर लिया और कई गिरोह बन गए, तो किसी चीज में भी उनसे नहीं, उनका मामला तो अल्लाह ही के हवाले है, फिर वह उन्हें बताएगा जो कुछ वह किया करते थे"
(क़ुरआन अल अनाम आयात 159)
साभार: Umair Salafi Al Hindi
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