पंडित जवाहरलाल नेहरू की दावत पर 4 दिसंबर 1955 में शाह सऊद भारत आए, बनारस आने का भी उनका प्रोग्राम था,
हुकूमत ए हिन्द ने उनके लिए खुसूसी रेलवे कोच तैयार कराया, बनारस की सरकारी वा गैर सरकारी इमारतों पर कालिमा तैयबा वाले झंडे नसब किए गए,
यहां महाराजा बनारस के वह महमान हुए, जिन रास्तों से वह गुजरने वाले थे वहां के बुत खाने पर्दे से ढक दिए गए थे,
उस मौके पर नज़ीर बनारसी ने एक अशआर कहा था जो अक्सर यहां अवाम वा ख़ास पर रहता है
" अदना सा गुलाम आ गुजरा था बनारस से
मुंह छुपाते थे काशी के सनम खाने "
(तारीख आसार ए बनारस में इस वाक्ए का ज़िक्र किया गया है )
तहरीर: अबू साईद
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
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