सोचिए अगर आप चाय का कप हाथ में लेकर खड़े हैं और कोई आपको धक्का दे देता है, तो क्या होता है ?? आपके कप से चाय छलक जाती है, अगर आपसे पूछा जाए के आपके कप से चाय क्यूं छलकी ??
तो आपका जवाब होगा : क्यूंकि फलां ने मुझे धक्का दिया ,
गलत जवाब:
दुरुस्त जवाब ये है के आपके कप में चाय थी इसलिए छलकी , आपके कप से वही छलकेगा जो उसमे है,
इस तरह जब हमें ज़िन्दगी में धक्के लगते हैं लोगों के रवैए से , तो उस वक़्त हमारी असलियत ही छलकती है, आपका असल उस वक़्त तक सामने नहीं आता जब तक आपको धक्का ना लगे
तो देखना ये है के जब आपको धक्का लगा तो क्या छलका ??
सब्र, खामोशी, शुक्रगुजारी , रवादारी, सुकून, इंसानियत, वकार,
या
घुस्सा, कड़वाहट, जुनून, हसद, नफरत, हिकारत,
चुन लीजिए के हमें अपने किरदार को किस चीज़ से भरना है, फैसला हमारे इख्तियार में है
साभार: बहन उरवातुल वुस्का
ब्लॉग: islamicleaks.com