मायूसी के अंधेरे में उम्मीद का चिराग़
ज़िन्दगी भी अजीब है, कभी कभी ये इतनी खूबसूरत लगती है के जी चाहता है के हमारा नाता हमेशा के लिए ज़िन्दगी से जुड़ा रहे, कभी भी ये नाता ना टूटे, और कभी जब ज़िन्दगी हमारी उम्मीदें पूरी करने में नाकाम रहती है तो दिल करता है के ये ज़िन्दगी जल्द खतम हो जाए,
मगर ये हकीकत है के दुख और दर्द में वक़्त तावील तर तवील होता है, इसी तवील सफर से इंसान हार कर मायूसी का शिकार हो जाता है, इंसान खुद भी समझ नहीं पाता के आखिर इस सूरतेहाल से कैसे निपटा जाए,
इंसान की फितरत ऐसी है के उसे ज़िन्दगी में सब कुछ अपने मुताबिक चाहिए, लेकिन सब उसकी मर्ज़ी और मंशा के मुताबिक नहीं होता है तो वह नाउम्मीद और मायूस हो जाता है, साथ ही उसे एहसास सताता है के अब मजीद नहीं जीना, इंसान बुनियादी तौर पर बेसब्रा होता है, उसे अगर कुछ हासिल करना हो तो वह उसके लिए बहुत कोशिश वा मशक्कत करता है, दुआएं मांगता है, महनत करता है, मगर जब उसकी मंशा के मुताबिक उसको फल नहीं मिलता तो वह थक जाता है और उसी थकन में वह मायूसी के अंधेरों में अपना वजूद, अपनी उम्मीद और अपना यकीन खो बैठता है, उसे ज़िन्दगी बेरंग लगना शुरू हो जाती है, दूसरे अल्फ़ाज़ में उसकी ज़िन्दगी में दिलचस्पी खतम हो जाती है, मगर याद रखें के कुछ भी हमेशा के लिए नहीं होता है,
वक़्त की एक खूबसूरती ये है के ये कभी भी एक जैसा नहीं रहता, मुश्किल हो तो आसानी भी मिल ही जाती है, हालात चाहे कितने भी कठिन हों, मुश्किलात के बादल चाहे कितने ही काले क्यूं ना हों, आसानी की सुबह का सूरज ज़रूर तुलू होता है, ना दुख सदा रहता है और ना सुख, ऐसे ही कामयाबी और नाकामी भी हमेशा नहीं है, इसलिए सबसे ज़रूरी बात ये है के इंसान को कभी भी मायूस नहीं होना चाहिए बल्कि मुश्किलात के आने पर, मायूसी के अंधेरों में भी उम्मीद और यकीन का चिराग जलाते रहना चाहिए, क्यूंकि अगर इंसान मायूसी के अंधेरे में उम्मीद का चिराग जलाता है तो उसकी रोशनी इंसान के वजूद को मुनव्वर कर देती है, उसी रोशनी से इंसान बातिनि और ज़ाहिरी तरीके से मजीद मजबूत हो जाता है, वह समझ जाता है के है नाकामियां और मुश्किल वक़्त सब आरज़ी है, वह उस हकीकत से रूबरू हो जाता है के ये जवाल, ये मुश्किलात सब इंसान कि हिम्मत को जांचने के लिए कुदरत ने पैमाने बनाए हुए हैं, क्यूंकि ये भी हकीकत है के इंसान अपनी फतह और कामयाबी से इतना मजबूत नहीं होता जितना वो अपने जवाल और नाकामी से मजबूत होता है,
हकीकत में मुश्किल और नपसंदीदा हालात में इंसान को अपनी खुद की पहचान होती है, और इसी अमल में उस अपने वजूद का अद्राक होता है, इंसान अपनी छुपी हुई खूबियों को जांचने के लिए मजीद मजबूत होता जाता है, उसे अपने से वाबस्ता रिश्तों की पहचान भी होती जाती है, वह आसानी से जान लेता है के कौन उसके साथ मुख्लिस है और कौन नहीं, इंसान के लिए मुश्किल वक़्त गुजारना बहुत मुश्किल होता है, और उस वक़्त को मजीद मुश्किल इंसान के अपने मनफी खयालात बनाते हैं, इंसान हकीकत में अपने खयालात के जरिए ही यरगमाल बन जाता है, और वह समझता है कि वो ज़िन्दगी की दौड़ से बाहर हो गया है, उसके दीगर साथी बहुत आगे निकल चुके हैं और वह सबसे पीछे और सब कुछ हार गया है,
मनफी खयालात सूरतेहाल को मजीद पेचीदा कर देती है और इंसान की सोच को मजीद उलझा देते है, इसलिए अगर मुश्किल हालात आ जाएं तो सबसे पहले अपने खयालात को काबू में रखें, यही कोशिश करनी चाहिए के जो कुछ ज़िन्दगी में बेहतर हासिल किया उसको याद रखा जाए, ताकि ये महसूस किया जा सके के ज़िन्दगी आप पर कितनी महरबान रही है, और इसी सोच से उम्मीद पैदा होगी के इस बार भी ज़िन्दगी मेहरबानी ही करेगी, साथ में ये सोच भी मजबूत रखनी चाहिए कि
" हर तूफ़ान आपकी ज़िन्दगी को तबाह करने के लिए नहीं आता, कुछ तूफ़ान आपके रास्ते साफ करने के लिए भी आते हैं "
उम्मीद के साथ साथ यकीन भी होना चाहिए के जिस रब ने इस दुनिया में भेजा है वह कभी भी हमसे गाफिल नहीं होता, रब ने क़ुरआन में भी इंसान से कुछ वादे किए है, और बेशक उसके सब वादे सच हैं क़ुरआन में है के
" हर मुश्किल के बाद आसानी है "
फिर फरमाया के
" इंसान की ताकत से ज़्यादा उस पर बोझ नहीं डाला जाता "
इसलिए इंसान जब उम्मीद और यकीन का दामन थाम लेता है तो ये एहसास उसके वजूद में घर कर जाता है के उम्मीद और यकीन ही वह वाहिद सहारे है जिनके जरिए वह अपने मुश्किल और नपसंदीदा हालात से बाहर हो सकता है,
हकीकत में उम्मीद और यकीन का चिराग बहुत ही खूबसूरत और कीमती चीज है, यकीन जानिए ये चिराग़ ऐसा है के जो किसी भी मुर्दा वजूद और बेजान ख्वाहिशात के अंदर एक नई रूह फूंक देता है, इस चिराग़ की रोशनी इतनी खूबसूरत और मोत्मर है के इंसान उसकी खुशबू से खुद को पुरनूर महसूस करता है, क्यूंकि उसकी रोशनी अपने अंदर एक ख़ास जादुई ताकत रखती है और उसी जादुई ताकत के जरिए इंसान कि सब परेशानी और मायूसी खतम हो जाती है, इसलिए मुश्किल हालत को अपने रवैए से और मुश्किल ना बनाएं, बल्कि उम्मीद और यकीन को थामकर रखेंगे तो हर मुश्किल सफर बा आसानी कर सकेंगे
साभार: Umair Shaukat
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks.com