Thursday, October 8, 2020

रसूल अल्लाह मुहम्मद (sws) के साथ ऐसी मुहब्बत करना अहले ईमान पर फ़र्ज़ है जो अल्लाह के इलावा बाक़ी तमाम मुहब्बतआे पर भारी हो,

 



रसूल अल्लाह मुहम्मद (sws) के साथ ऐसी मुहब्बत करना अहले ईमान पर फ़र्ज़ है जो अल्लाह के इलावा बाक़ी तमाम मुहब्बतआे पर भारी हो,


क्यूंकि अल्लाह ताला ने फरमाया:

" ए नबी ! कह दो कि अगर तुम्हारे बाप, तुम्हारे बेटे , तुम्हारे भाई, तुम्हारी बीवी, तुम्हारे रिश्तेदार, तुम्हारा वह माल जो तुमने कमाया है, तुम्हारा कारोबार जिसके मंदा पड़ जाने का तुम्हे डर है, तुम्हे अल्लाह और उसके रसूल (sws) और अल्लाह की राह में जिहाद से ज़्यादा महबूब है तो फिर इंतज़ार करो यहां तक की अल्लाह का फैसला आ जाए (और याद रखो) अल्लाह ताला ऐसे ना फरमानों को राह नहीं दिखाता "

(क़ुरआन अल तौबा आयत 24)

साभार: Umair Salafi Al Hindi