हज़रत नोमान बिन बशीर कहते हैं के हज़रत अबू बक्र आए और उन्होंने नबी ए अकरम मुहम्मद (sws) से इजाजत तलब करने लगे ,
उन्होंने हज़रत आयशा की आवाज़ सुनी जो रसूल अल्लाह मुहम्मद (sws) से ऊंची आवाज़ में बात कर रहीं थीं,
आपने इजाज़त दे दी वह अंदर दाखिल हुए और कहा :-' ए ऊम्म रुम्मान की बेटी !! क्या तुम रसूल अल्लाह मुहम्मद (sws) के सामने आवाज़ बुलंद कर रही हो ??
रसूल अल्लाह मुहम्मद (sws) हज़रत अबू बक्र और हज़रत आयशा के दरमियान आ गए ,
जब हज़रत अबू बक्र बाहर निकल गए तो रसूल अल्लाह मुहम्मद (sws) उन्हें राज़ी करने के लिए कहने लगे :-
" क्या तुमने देखा नहीं के मैं उस आदमी और तुम्हारे दरमियान आ गया था "
फिर हज़रत अबू बक्र वापस आए और आपसे इजाज़त तलब करने लगे , हज़रत अबू बक्र ने देखा के आप हज़रत आयशा को हंसा रहें हैं , रसूल अल्लाह मुहम्मद (sws) ने उन्हें इजाज़त दे दी,
हजरत अबू बक्र अंदर आए तो हज़रत अबू बक्र ने उनसे कहा :- " ए अल्लाह के रसूल !! अपनी सुलह में मुझे भी शरीक कर लीजिए जिस तरह आपने मुझे अपने झगड़े में शरीक किया था "
( अस सिलसिला अस साहीहा हदीस 1912)
साभार: Umair Salafi Al Hindi
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