फारस (ईरान) शिया का मुकद्दस मुल्क
ईरान की ज़मीन पर हज़रत उमर फारूख की हुकूमत मुबारक में परचम तौहीद बुलंद हुआ,
हजरत उमर फारूख ने ईरानियों की ताकत वा शुजाअत को पारा पारा किया
उन्हें उन्हीं की ज़मीन पर शिकस्त दी, वहां से मजूसियत का सफाया किया और सदियों से हुकूमत करते हुए फिरौनियत के दावेदार सासानी खानदान (Sassani Empire) का खात्मा किया,
इसी वजह से मजूसियत के पैरोंकार हज़रत उमर के खिलाफ हो गए और उन्हें अपना सबसे बड़ा दुश्मन जानने लगे,
चुनंचे यहूदियों ने अपने नापाक अकाएद के प्रचार और इस्लामी हुकूमत के खिलाफ फित्ना वा फसाद के बीज बोने के लिए ईरान कि सर ज़मीन ख्याल किया,
फिर इत्तेफाक़ से ईरानी शहंशाह खुसरू परवेज़ की बेटी शहरबानू हज़रत हुसैन के अकद (निकाह) में आ गई,
क्यूंकि हज़रत उमर फारूख ने फतह ईरान के बाद ईरानी कैदियों के साथ आने वाली किसरा परवेज़ की बेटी शहरबानूं हज़रत हुसैन को हिबा कर दी, और हज़रत हुसैन ने उससे शादी कर ली थी,
ईरानियों ने जब देखा के हज़रत हुसैन के बेटे , शिया के 4थे इमाम हज़रत इमाम अली जैनुल आबिदीन शहरबानु के बतन से पैदा हुए हैं और इस ऐतबार से मां की तरफ से उनकी रगों में ईरानी खून गर्दिश कर रहा है,
चुनंचे उन्होंने शिया मजहब कुबूल करने में जरा सी भी देर नहीं की और हज़रत उमर बिन खत्ताब के खिलाफ इंतेकामी जज्बात को तस्कीन देने और सासानी खून की तकदीस के लिए फौरन इब्न सबा यहूदी के हमनवा बन गए,
इब्न सबा ने ईरानी शहर कूफा को अपनी सरगर्मियों का मरकज बना कर मजूसियो की मदद से खुलेफा ए रशिदीन और दीगर सहाबा किराम के खिलाफ महाज़ बना लिया और यहूदी वा माजूसी अकायद का प्रचार शुरू कर दिया,
अंग्रेज़ स्कॉलर वा रिसर्चर जिसने ईरान में लंबा अरसा गुज़ार कर वहां की शफाकत वा तारीख का गहरा मुताअला किया वह अपनी किताब में लिखता है,
" ईरानियों की तरफ से मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रत उमर बिन खत्ताब की मुखालिफत वा मुजम्मत का सबब इसके सिवा कुछ ना था के उन्होंने फारस को फतह किया और उनकी ताकत वा शौकत को कमजोर करके वहां इस्लाम का परचम बुलंद किया था, अलबत्ता ईरानी खुल कर हज़रत उमर बिन खत्ताब की मुखालिफत नहीं कर सके और उन्होने इस मजहबी रंग देकर और कुछ खुद बनाए अकीदों का सहारा लेकर उनसे बग्स वा अदावत का इजहार किया "
(तारीख ईरान , डॉक्टर ब्राउन पेज 217, उर्दू तर्जुमा इंडिया)
एक दूसरी जगह लिखते हैं
" अहले ईरान की तरफ से हज़रत उमर बिन खत्ताब की मुजम्मत का सबब ये ना था के उन्होंने हज़रत अली और हज़रत फातिमा के हुकूक ग़ज़ब किए थे, बल्कि असल वजह ये थी के हज़रत उमर बिन खत्ताब ने ईरान को फतह करके सासानी खानदान का खात्मा किया था "
अंग्रेज़ मूसन्निफ डॉक्टर ब्राउन ने यहां एक ईरानी शायर का फारसी अशआर भी नकल किए है,
" उमर ने ईरानियों की कमरतोड़ दी और आल ए जमशेद ( शहंशाह ए फारस का नाम) की बेखकनी की,
अली से खिलाफत का ग़ज़ब करना तो एक बहाना है,
उमर की खिलाफत का असल सबब तो उन अजमिओं ( गैर अरब) का वह कीना वा हसद है जो ज़माना कदीम से चला आ रहा है "
और
" जब ईरानियों ने देखा कि अली बिन हुसैन ज़ैनुल आबीदीन में ईरानी खून की अमेजिश है तो ये बात उनके अकायड की पुख्तगी की वजह बनी के मुलूकियत इसी खानदान का हक है "
(तारीख अदबियत ईरान जिल्द 2 पेज 49)
साभार: हज़रत अल्लामा एहसान इलाही ज़हीर शहीद
हिंदी तर्जुमा : Umair Salafi Al Hindi
Blog : Islamicleaks.com