Friday, October 23, 2020

BABRI NAMA



 बात ये नहीं के हम में कोई अय्यूबी नहीं बात ये है के हम में कोई नूरुद्दीन नहीं,

बात ये नहीं के हम में कोई तारिक नहीं बात ये है के हम लोगों में कोई मंसूर नहीं।
नूरुद्दीन होगा तो अय्यूबी पैदा होंगे, मंसूर होगा तो ही तारिक पैदा होंगे,
सारी ज़िन्दगी जुस्तजू काविशों के बाद इंसान इधर ही आकर रुक जाता है अब क्या करना चाहिए ??
क्या वजह बनी के अल्लाह रूठ गया ?? हम से क्यूं अल्लाह की महरबानी हमसे उठ गई ??
मुसलमानों के जवाल के बाद एक ही चीज सामने अाई वह था फलसफा
" जिहाद और अपने नफस का मुहास्बा वा अल्लाह के साथ गैर को शरीक करना, "
मुसलमानों कि पस्तियों का वाहिद जामिन है, मुसलमानों में जब तक ये खैर रही अल्लाह ताला मुसलमानों का हर जगह मुहाफिज रहा, जब यह खैर हमसे जाती रही अल्लाह भी दूर हो गया और हालात ये के अब हमारा क़िब्ला ए अव्वल को शहीद वा बाबरी मस्जिद पर मंदिर बनाया जा रहा है और हम तमाशाई की तरह चुप है,
साभार: Umair Salafi Al Hindi