Friday, March 13, 2020

तुम्हारी मस्जिदें तड़प रही हैं





तुम्हारी मस्जिदें तड़प रही हैं अगर तुम को आंखें दी गई थी तो इसीलिए ताकि तुम उसको देखो अगर तुमको दिल गया था तो इसीलिए ताकि सिर्फ उसी को प्यार करो अगर तुमको आंसू दिए गए थे तो इसीलिए ताके सिर्फ उसी की याद में बहाव, और अगर तुम्हारी पेशानी बुलंद की गई थी तो इसीलिए ताकि उसी के आगे झुकाओ,

पर आह !  तुम्हारी जबाने उसकी हम्द  से महरूम हो गई तुम्हारे दिल उसकी मोहब्बत के ना होने से उजड़ गए तुम्हारी रूह में उसकी चाहत की जगह गैरों की चाहते भर गई , तुम्हारे कदम उसकी तरफ बढ़ने से बोझल हो गए और तुम्हारी आंखों में  उसके इश्क के दर्दो गम के लिए एक कतरा अश्क भी ना रहा


तुम्हारी मस्जिदें तड़प रही है कि रास्ता बाजो की तड़पती हुई और मुस्तराब नमाजे उन के नसीब हो मगर हैवानो और चौपायों के  खड़े रहने और औंधे हो जाने के सिवा वहां कुछ नहीं होता,


हालांकि तुम्हारा खुदा तुम्हारे खड़े रहने और औंधे गिरने का भूखा नहीं और अगर पांव पर खड़ा रहना ही इबादत होता है तो जंगलों के दरख़्तों से ज्यादा तुम खड़े नहीं रह सकते,


बहुत हो चुका ! अब भी छोड़ दो , बहुत सो चुके अब भी चौंक उठे बहुत गुम हो चुके अब भी अपने आप को पा लो,  खुदा ने तुमको वह मोहलत दी है जिस से बढ़कर आज तक जमीन की किसी मखलूक को भी मोहलत ना दी गई , फिर ऐसा ना हो के वह तुमसे अपना रास्ता काट ले और तुम्हारी जगह किसी और को अपनी चाहतों की शहंशाही और अपनी मोहब्बत का ताज वा
तख्त दे दे जैसा के उसी ने हमेशा किया है


अगर तुमको अपना माल व मता खुदा से ज्यादा महबूब है कि उसे ना दोगे और अपनी जानो को उसकी मोहब्बत से ज्यादा प्यारा समझते हो कि उसके लिए दुख में ना डालोगे और अगर तुम्हारे दिलों की आहें तुम्हारे जिगर की टीस और तुम्हारी आंखों के आंसू अब उसके लिए नहीं रहे बल्कि दूसरों का माल हो गए हैं तो यकीन करो कि वह भी तुम्हारा मोहताज नहीं है और उसकी कायनात इंसानों से भरी पड़ी है वह अगर चाहेगा तो अपने कलमा ए हक की खिदमत के लिए दरख्तों को चला देगा पहाड़ों को मुतहैरिक कर देगा कंकरो और खाक के ज़र्रों के अंदर से सदाएं उठने लगेंगी पर वह फासिक और नाफरमान इंसानों से कभी भी काम ना लेगा और अपने कलाम पाक की इज्जत को नापाकियों की गंदगी से कभी भी आलुदा ना होने देगा और फिर भी तुम मानो या ना मानो मगर मैंने सचमुच देखा कि जब तुम्हारे अंदर से उसकी पुकार का जवाब ना मिला तो वह दूसरों को प्यार और मोहब्बत के हाथों से इशारा कर रहा है


+(तंजिया ए आजाद, अबुल कलाम आज़ाद पेज १०८-१०९)