मेरा तजुर्बा है के हिंदुस्तान के तहरीकी मुजाहिदीन जिसके लिए भी नारे बाज़ी करते हैं उसे खतम करके ही दम लेते हैं,
जैसे सद्दाम हुसैन, खलीजी जंग में ये लोग सद्दाम हुसैन के लिए आवाज़ बुलंद कर रहे थे बाद में उसकी लुटिया डुबो दी,
लीबिया का साथ दिया , उसे भी बरबाद कर दिया ,
मुर्सी के हक में नारे बाजी की वह अल्लाह को प्यारे हो गए ,
सीरिया की आवाम के हक में बोलने लगे , उन्हे मुल्क छोड़कर दरबदर होना पड़ा,
इस लिए अच्छा है ये लोग सऊदी अरब के खिलाफ ही रहें,
साभार: शैख अब्दुल्लाह मुस्ताक
नोट : जो दिन रात अरबों की तबाही की तमन्ना और आरज़ूये करते हैं उन लोगों को भी फलस्तीन की फिक्र हो रहा है,
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