Tuesday, February 8, 2022

" तुम्हारा हश्र यजीद के साथ हो "




 " तुम्हारा हश्र यजीद के साथ हो "

एक तबका आपको ये कहते हुए नज़र आता है के अल्लाह तुम्हारा हश्र यजीद के साथ करे और हमारा हुसैन के साथ,
बंदा पूछे अगर कयामत के दिन यजीद भी हुसैन के साथ हुआ तो तुम्हारा क्या होगा ??
एक बड़े आलिम थे शेख अब्दुल मुगीस अल हंबली रहमतुल्लाह उन्होंने यजीद बिन मुआवियां के फजायेल पर किताब लिखी जिसका नाम था "فضل یزید" इस किताब के रद्द पर इमाम इब्न जौजी रहमतुल्लाह ने किताब लिखी "الرد المتعصب العنید المانع من ذم یزید " इन दोनों उलेमाओं का आपस में रद्द वा क़द आखिर वक्त तक चलता रहा ,
अब आप यूं समझ लें के इब्न जौजी आज के हालात में बन गए हुसैनी और शैख मुगीस बन गए यजीदी
तो उस यजीदी के बारे जिसने यजीद के फजाएल पर किताब लिखी इमाम इब्न जौजी रहमतुल्लाह अलैह आखिरकार फरमाते हैं ," मैं उम्मीद करता हूं के अब्दुल मुगीस और मैं जन्नत में एक साथ होंगे "
इमाम ज़ौजी रहमतुल्लाह एक यजीदी के जन्नत में अपने साथ होने की उम्मीद का इज़हार फरमा रहें हैं, जबकि आजके नाम निहाद हुसैनी जब जवाब देने से आजिज आ जाते हैं तो आखिरी हथियार ये इस्तेमाल करते हैं,
" अल्लाह तुम्हारा हश्र यजीद के साथ करे और हमारा हुसैन के साथ"
तो हम पूछते हैं के यजीद भी अगर सय्येदना हुसैन के साथ हुआ तो तुम लोग कहां होगे ??
साभार: डॉक्टर अजमल मंजूर मदनी
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks