Thursday, February 3, 2022

मैने बहुत अरसों तक लोगों की पसंद और नापसंद का बोझ खुद पर उठाए रखा है के,





 मैने बहुत अरसों तक लोगों की पसंद और नापसंद का बोझ खुद पर उठाए रखा है के,


फलां को फलां चीज़ बुरी लग जायेगी मगर, अब मुझे खुद के लिए वक्त मिला है, जबसे खुद से मुलाकात करना शुरू किया है तो एहसास हुआ के हमें हर किसी का बोझ खुद पर लेकर जिंदा नहीं रहना खुलूस और प्रेशर को मिक्स अब नहीं करना ,

वरना दूसरों की ख्वामखाह की उम्मीदें मेरा सांस लेना भी मुश्किल कर देंगी, मैने खुद को एहसास दिलाना शुरू किया के अगर मैं लोगों के लिए सिर्फ नियत खालिस कर लूं और जरूरत पड़ने पर मयस्सर रहूं तो यही काफी है मुझे मेरी नज़र में अपने को मोअतबार बनाने के लिए,

लेकिन खुद को बिलावजाह थकाना नहीं है, क्योंकि आखिर में सोचना हर किसी को अपने मनपसंद तरीके से ही है , लिहाजा मुझे खुद को Manipulate नहीं होने देना, मुझे लोगों के इशारों पर नहीं जीना,

मुझे खुद को मारकर नहीं जीना जो मेरा खास होगा वह मिल जायेगा और जिसे जाना होगा चला जायेगा !!

मनकूल

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks