डेविड सेलबॉर्न पश्चिमी दुनिया का मशहूर लेखक है, उसने एक किताब लिखी थी the loosing battle with islam,
इस किताब में उसने लिखा के पश्चिमी दुनिया इस्लाम से हार रही है, उसने हार के कई कारण गिनाए हैं, जिसमे इस्लाम के मज़बूत फैमिली सिस्टम को भी एक कारण बताया है,
पश्चिमी दुनिया मे फैमिली सिस्टम तबाह हो चुका है, जिसके नतीजे में पूरा पश्चिमी समाज तबाह होने के कगार पर पहुंच चुका है, पश्चिमी दुनिया मे फैमिली सिस्टम इस बुरी तरह से तबाह हो चुका है के वहां की पोलिटिकल पार्टियां फैमिली सिस्टम को बचाने का वादा अपने इलेक्शन में करती है, ऑस्ट्रेलिया में तो 'फैमिली फर्स्ट' नाम से एक पोलिटिकल पार्टी तक बना ली गयी थी, फैमिली सिस्टम को बचाना वेस्टर्न वर्ल्ड का सबसे बड़ा मुद्दा है क्योंकि अगर फैमिली नही बचेगी तो समाज भी देर सवेर ध्वस्त हो जाएगा,
पश्चिमी विचारक ये बात बहुत अच्छी तरह से जानते है के पूरी दुनिया मे सिर्फ इस्लाम और मुस्लिम सोसाइटी ही ऐसी बची है जहां फैमिली सिस्टम बचा हुआ है और इस्लाम एक ऐसा इको सिस्टम डेवलप करता है जहां फैमिली सिस्टम फलता फूलता है,
यही वजह है के डेविड सेलबॉर्न जैसे लेखक ये कहने पर मजबूर हो जाते हैं के इस्लाम के मज़बूत फैमिली सिस्टम की वजह से पश्चिम देर सवेर इस्लाम से हार जाएगा
मलाला यूसुफजई को वेस्ट ने खड़ा किया है तो अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल भी करेगा, और करता रहता है,
मलाला हों या उसके समर्थक हों, उन सबका टारगेट इस्लाम और मुस्लिम समाज मे मौजूद मज़बूत फैमिली सिस्टम को तोड़ना और खत्म करना है, शादी बियाह पर दिया गया मलाला का हालिया बयान उसी सिलसिले की कड़ी है
मलाला और उनके समर्थक
दरअसल सभ्यताओं की जंग में पश्चिम के प्यादे हैं, उनके एजेंट हैं, जो सभ्यताओं की जंग में पश्चिम की हारती हुई बाज़ी को जीत में बदलने के लिए फड़फड़ा रहे है