Sunday, February 20, 2022

अमीरुल मोमिनीन खलीफा अब्दुल मालिक इब्ने मरवान -

 



अमीरुल मोमिनीन खलीफा अब्दुल मालिक इब्ने मरवान -


"हज़रत अमीर मुआविया रज़ि० की औलाद में यज़ीद के सिवा कोई खलीफा नहीं हुआ। लेकिन वो तमाम खलीफा जो यज़ीद के बाद तख़्त नशीं हुए अमीर मुआविया रज़ि० के खानदान बनी उमैया से ही ताल्लूक रखते थे,(बाप के बाद बेटे वाला झूठ हज़रत मोआविया र०अ० के दुश्मन ख़ारजी राफ़ज़ियों ने फैलाया)

अब्दुल मालिक 39 साल की उम्र में तख़्त पर बैठा, वो मदीने के बड़े आलिमों में गिना जाता था।

अब्दुल मालिक एक बहादुर शख्स था, उसे शुरुआत में कई बगावतों का सामना करना पड़ा। इन बग़ावतों में सबसे बड़ी बग़ावत खारज़ियों ने की जिनका मरकज़ इराक और ईरान था।

खारज़ियों ने कई साल तक बग़ावत को ज़ारी रखा, और आख़िर में मुहल्लब बिन अबी सफ़रह की कोशिशों से, जो अपने ज़माने के सबसे बड़े सिपहसालार थे, ये बग़ावतें कुचल दी गई और पूरी सल्तनत में अमन क़ायम किया।
अपने इन्हीं कामों की वजह से अब्दुल मालिक खानदान बनी उमैया का बानी समझा जाता है।

शुमाली अफ्रीका को भी अब्दुल मालिक के ही दौर में दोबारा फतह किया गया।

ये काम एक सिपहसालार "मूसा बिन नासिर" ने अंजाम दिया, जो 79 हिज़री में शुमाली अफ्रीका के हाकिम (गवर्नर) बनाए गए थे।

मूसा ने न सिर्फ शुमाली अफ्रीका को फतह किया बल्कि उन्होंने वहां इस्लाम की तब्लीक़ भी की।

उनके दौर में पूरा शुमाली अफ्रीका मुसलमान हो गया।
अब्दुल मालिक के ही दौर में इस्लामी समुंद्री फ़ौज़ की तरक्की हुई और उन्होंने तूनीस में एक जहाज बनाने का कारखाना क़ायम करवाया।

अब्दुल मालिक के दौर का सबसे बड़ा काम येरुशलम में कुब्बतुस - सखरा (गोल्डन गुम्बद) की तामीर करवाना है।"
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