Sunday, February 13, 2022

जानते हैं !!

 



जानते हैं !!

अल्लाह से मुहब्बत को भी Revive करने की जरूरत रहती है, उस मुहब्बत को अगर बढ़ाने की कोशिश नहीं की जाए अगर उसका तजकिरा ना किया जाए,
अगर इसको दूसरों में ना बांटा जाए,
अगर उसके खातिर खुद को थकाया ना जाए,
अगर उसको पाने के लिए अपनी मर्ज़ीयां, अपनी अना , अपनी तरजीहात कुर्बान ना की जाए तो....
तो ये मुहब्बत उसी मक़ाम पर नहीं रहती फिर ये रफ्ता रफ्ता घटने लगती है, फिर ये आदत सी बनने लगती है, फिर ये फीकी पढ़ने लगती है, इसमें वो पहले की सी तड़प वा शिद्दत नहीं रहती, फिर अमाल भी बेदिल से होने लगते हैं, फिर दिल मे वो करार ,चेहरे पर वो मुहब्बत भरी मुस्कुराहट, अखलाक में वो गर्मजोशी, कोशिशों में वो इखलास बाकी नहीं रहता ,
साभार: सबा यूसुफजई
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks