Saturday, February 6, 2021

JAZBA E JIHAD

 



इसाइयों का वफद जब गरनाता पहुंचा तो क्या देखता है, एक बच्चा हाथ में तीर कमान लेकर खड़ा है और उदास है, पूछने पर पता चला के अब मैं तीर के साथ उड़ते हुए परिंदों को शिकार करते करते बोर हो गया हूं, अब मेरा मशगला तीर के साथ दरिया में मौजूद मच्छली का शिकार करना है,
इसाई वफद सुनकर दंग रह गया के जिस कौम का बच्चा इतना अच्छा तीर अंदाज़ है वह कौम मैदान ए जंग में शिकस्त नहीं खा सकती, वह वफद वापस गया और बड़ी सोच विचार के बाद नौजवान लड़कियों के वफद दोस्ती वा सिकाफत के नाम पर मुसलमान मुल्क में भेजने शुरू कर दिए ,
कुछ साल गुज़रा इस बेहयाई ने काम दिखाया और मुसलमानों की गैरत को दीमक की तरह चाट लिया, अब वही ईसाई वफद दोबारा आया,साहिल समुंदर पर उतरा तो क्या देखता है, एक नौजवान उदास होकर सर झुकाए बैठा हुआ था,
पूछने पर पता चला कि उसकी महबूबा ने मिलने का वादा किया हुआ था , लेकिन वो बेवफा निकली और मिलने ना पहुंची,
इसाई वफद समझ गया !! अब ये टूटे दिल, नाकाम आशिक, तलवार का बोझ नहीं उठा सकते
उन्होंने मुसलमानों से जंग की और उन्हें उंदुलस (स्पेन) की ज़मीन से मिटा कर रख दिया ,
अब गरनाता (Granada), अशबिलिया (Seville), तलीतला (Toledo) वगेरह में सिर्फ बोशीदा इमारतें रह गईं हैं, और दास्तान तक नहीं दास्तानों में ,
उम्मत के नौजवानों को सबसे ज़्यादा तबाह वा बर्बाद ऐश वा इशरत, फहाशी और जिस्म की नाजायज मुहब्बत ने पहुंचाया है,
साभार: Umair Salafi Al Hindi