आज कल एक बेतुकी और बिना सर पैर की की अफवाह को जानबूझकर वास्तविक रूप दे कर पेश करने की कोशिश की जा रही हैं अक्सर websites, blogs, facebook तथा twitter आदि के माध्यम से यह अफवाह कुछ लोगो द्वारा फैअलायी जा रही हैं की मुसलमानों का काबा एक शिव मंदिर हैं या फिर उसमे शिवलिंग हैं या यशोदा और कृष्ण की तस्वीरे काबे के अन्दर हैं या कोई दीपक हमेशा जलता रहता हैं और मुसलमान हज के दौरान वहा शिव या कृष्ण उपासना करते हैं यह पूर्ण रूप से बकवास और अफवाह हैं एक तरफ तो यही लोग कहते हैं की मुसलमान बादशाहों ने मंदिर तोड़े क्यूंकि वो उन्हें मानते नहीं थे और फिर कहते हैं मुसलमानों का काबा एक मंदिर हैं जहा मुसलमान शिवलिंग की उपासना करते हैं यदि मुसलमान शिवलिंग की उपासना ही करते हैं तो फिर उन्हें यह बात कहने या बताने में क्या हर्ज हैं?
और क्यूँ फिर वो जिस देवता को मानते हैं उसे उसी के देश भारत में उसकी उपासना क्यों नहीं करते? या फिर तीर्थ पर मक्के के बजाये अमरनाथ या काशी क्यों नहीं जाते?
काबे के शिव मंदिर होने की अफवाह सर्वप्रथम रवि शंकर ने अपनी किताब 'Hindusim & Islam' में प्रस्तुत की थी बिना किसी तर्क और दलील के बस उसने लिख दिया और आम हिन्दुओ ने मान लिया क्या अब तक किसी हिन्दू को पता था की उनका सबसे बड़ा शिव मंदिर काबा हैं?
क्या पुराणों में अरब में किसी शिव मंदिर का वर्णन हैं ? ज़ाहिर हैं नहीं यह सिर्फ रवि शंकर और कुछ हिन्दुओ की उड़ाई हुई अफवाह है जिसका वास्तविकता से कुछ लेना देना नहीं हैं
और वैसे भी हिन्दू धर्म कभी भारतीय उपमहादीप के बहार नहीं गया और ना ही कभी भारतीय उपमहादीप के बहार कोई हिन्दू धर्म के मानने वाला या कोई हिन्दू मंदिर रहा हैं पुरे सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, रोम, टर्की, अमेरिका, अफ्रीका, रूस आदि के इतिहास में वैदिक धर्म का या किसी भारतीय देवता के मंदिर का कोई नामो निशान भी नहीं मिलता हैं और हिन्दू reformer स्वामी दयानद सरस्वती के अनुसार तो यह सभी देवी देवता लोगो के स्वयं के घड़े हुए हैं और प्राचीन भारतीय समाज में सिर्फ एक निराकार ईश्वर की उपासना होती थी तो फिर मक्के में किसी प्राचीन शिव मंदिर का तो कोई मसला ही नहीं बनता हैं और वैसे भी इन लोगो को तो हर खड़ी चीज़ शिवलिंग और हर काली वस्तु महादेव नज़र आते हैं कल को कही यह लोग यह दावा नहीं कर दे के दुनिया में हर काले रंग की इमारत शिव मंदिर हैं और जितने बिजली के खम्बे हैं सब शिवलिंग हैं
लेखक - ज़ीशान अली खान