Friday, July 30, 2021

किसी ने मुहब्बत दी,

 



अस सालामुन अलैकुम!!


किसी ने मुहब्बत दी,
किसी ने धोका,
किसी ने हाथ थाम लिया ,
किसी ने बीच राह में छोड़ दिया,
किसी ने मेरी अच्छाइयों के लंबे पुल बांध दिए,
किसी ने मेरी जात को सिर्फ मैला किया,
किसी ने साथ चलने की हज़ार वजूहात मांगी,
कोई बगैर कुछ पूछे साथ चल दिया ,

मेरे किरदार पर सिर्फ उन्ही लोगों ने उंगली उठाई जिनका खुद का किरदार सवालिया निशान था, दूसरे के बारे में वही गुमान होता है जैसे बंदा खुद होता है,

किसी ने उल्फत भरे अल्फ़ाज़ बरसा दिए मेरी ज़िंदगी में,
हर आने वाले ने अपने अपने ज़र्फ के मुताबिक मुझे कई बातें सिखाई मगर एक बाते जो मुझे सबने सिखाई वह ये के ,

" अल्लाह के सिवा कोई अपना नहीं और मैं आज जिंदगी के उस मकाम पर हूं जहां मेरा यकीन है के , वाकई अल्लाह के सिवा कोई अपना नहीं, लोग सिर्फ तोड़ने वाले होते हैं, मुझे थामने वाला सिर्फ और सिर्फ मेरा अल्लाह मौजूद है, उस अल्लाह के सिवा कुछ याद रखने के लायक नहीं "

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks