Saturday, July 24, 2021

हम कहां से नापाक हो रहे हैं ??

 



हम कहां से नापाक हो रहे हैं ??


ये सवाल खुसुसन नफसानी ख्वाहिश शहवत के बारे में पूछा गया था,

अल्लाह ताला ने इंसान को इसी तरह से डिजाइन किया है के ये उसकी जिस्मानी जरूरत है, अल्लाह ताला ने ये ज़रूरत जानवरों में भी रखी है, जानवर इस में किसी भी तरह की तमीज नहीं करता , मगर इंसान को इसे कंट्रोल करने का हुक्म दिया है, इंसान को हुक्म दिया है के वह हलाल तरीके से इस ज़रूरत को पूरा करे, निकाह करे,

लेकिन समाज में अब जानवरों का सा बिगाड़ देखने को मिलता है, हमने ऐसी खबरें भी देखीं जब बेटी बाप से महफूज़ नहीं थी और बहन भाई से ना बच सकी, जब हलाल तरीके से ज़रूरत पूरी करने के बजाए हर औरत को शहवत की नज़र से देखा जाने लगा,इनको हम भेड़िया नहीं कहेंगे क्योंकि भेड़िया वह अकेला जानवर है जो अपनी जोड़ी के इलावा किसी के साथ भी ताल्लुक कायम नहीं करता,

अब ये नापाकी कहां से आ रही है ?? ये बहुत छोटे छोटे सुराखों से दाखिल होकर हमारी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा बनी है, पता है कैसे ??

पहले दिल की समझ नहीं थी तो बुराई देखकर दिल मुंह को भी नहीं आता था , अब ज़रा दिल खुला है तो सोशल मीडिया इस्तेमाल करते हुए किसी लड़की का जिस्म दिखाती तस्वीर भी सामने से गुजरे या बेहयाई फैलाते " खुले ज़ेहन" के लोगों के पोस्ट देखें तो मैं वह पेज या ग्रुप छोड़ देती हूं ,क्योंकि ये ही वो छोटे छोटे सुराख हैं जहां से नापाकी दाखिल होती है,

शहवत वह लावा है जिसे फटने को बस एक जरा सी सहूलियत चाहिए होती है और वह जरूरत इंटरनेट ने पूरी कर दी है, तजससुस इंसान के खमीर में है, जब बारह चौदह साल की बच्ची या बच्चा को मालूम होता है के ये भी कोई लज्जत है तो वह उसे और ज़्यादा जानने की कोशिश करता है और जानते जानते एक दिन वह खुद उसका हिस्सा बन जाता है, फिर ये लावा नेकियां करने से नहीं बुझता ,

क्या आपने कभी सुना है के किसी लावे को बारिश ने बुझा दिया है ?? नहीं सुना होगा , लावे को तो एक दिन फटना ही है,लेकिन अगर फटना ही है तो क्या हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें ?? नहीं बल्कि इसके ऊपर एक मजबूत इमारत बनाए के अगर लावा फट भी जाए तो किरदार की दीवारें ना गिरें, ज़लजले से किरदार तबाह ना हो, समझ रहें हैं ?? यानी अब अगर आपकी शहवत को सहूलियत मयस्सर आ चुकी है तो क्या हम किरदार की इमारतें मज़बूत कर सकते हैं ?? हम सब जानते हैं हमारी जिंदगी में कौन से सुराख हैं जहां से बेहयाई और नापाकि दाखिल हो रही है, तो क्या उनसे बचने के लिए हमने कोई तदबीर की ?? वह ग्रुप, वह पेज ,वह नोवेल , वह ड्रामा, वह फिल्म, वह वेबसाइट, वह साथ, वह दोस्ती, जो आपको गुनाह करने पर मजबूर करती है, क्या आपने उसे छोड़ा ??

अच्छा मुझे बताएं एक सुराख से आपने सांप निकलते देखा तो क्या दोबारा उस पर हाथ रखेंगे ?? नहीं ना !! क्योंकि जान का खतरा लाहक है,

तो प्यारे लोगों ! बेहयाई के ये सुराख भी ऐसे ही खतरनाक सांप लिए हुए हैं जो आपकी ईमान को निगल जाएगी, आपका ईमान बहुत कीमती है, आपकी जान/नफ्स बहुत कीमती है,

वह जान जिसके बदले में जन्नत मिलना थी, जिसके बदले में अल्लाह की मुलाकात और दीदार रब मयस्सर आना है, उस जान की कीमत हमने बहुत थोड़ी पाई, यानी उस कीमती जान के बदले हमने म्यूजिक, शहवत, झूट जैसे गुनाहों को खरीद लिया जिनकी लज़्जत यकीनन फानी है, अल्लाह ताला ख़ुद कहता है,

" जिन्होंने हिदायत के बदले गुमराही खरीदी , उनकी तिजारत उनके लिए नफामंद ना हुई और उन्होंने थोड़ी कीमत पाई"

ये दो आयतों का मफहूम है, यानी हिदायत को छोड़कर गुमराही खरीद लेना इंतेहाई सस्ता सौदा है,

साभार : फाखरा वहीद
तरजुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks