Wednesday, July 28, 2021

शब ए बरात को क्या करना चाहिए ??

 



शब ए बरात को क्या करना चाहिए ??


अब सवाल ये है के जो हदीस शाबान की 15वी रात की फजीलत में सही सनद के साथ आई है, क्या उसमे किसी महफिल जमाने का जिक्र है या किसी खास इबादत का , या चरागा और आतिशबाजी करने का जिक्र उस हदीस में किया गया है ??

इसका सही जवाब हर वह सख्स दे सकता है जो खुराफात और मनगढ़त रिवायत पर यकीन करने के बजाए नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की साफ सुथरी शरियत पर ईमान रखता हो,

चुके इस हदीस का अगर गौर से मुताला किया जाए तो साफ तौर पर ये बात मालूम होती है के नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इसमें किसी महफिल का जिक्र नहीं किया है, ना किसी खास इबादत का , और ना चारागा की बात कही गई है, ना आतिशबाजी की,

बल्कि जिस चीज़ का जिक्र किया गया है वह है, " अल्लाह की आम मगफिरत, जिनका मुस्ताहिक नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने हर सख्स को करार दिया है जिसके अकीदे में शिर्क की मिलावट ना हो, और उसके दिल में किसी मुसलमान के मुतल्लिक कीना , कपट और बुग्ज़ ना हो "

तो उस रात को होने वाली आम बख्शीश का मुस्ताहिक बनने के लिए जरूरत इस बात की है के इन्सान अपना अकीदा दुरुस्त करे,

नफा और नुकसान का मालिक सिर्फ अल्लाह को समझे,

मुश्किल कुशा भी सिर्फ़ अल्लाह को तसव्वुर करे, फिर अल्लाह पर भरोसा करे,

अपनी तमाम उम्मीदों का मरकज तमाम दरबारों के बजाए सिर्फ अल्लाह को बनाए,

खौफ पीरों, बुजुर्गों के बजाए सिर्फ अल्लाह से ही हो,

नज़र वा नियाज अल्लाह के लिए माने, और अल्लाह को छोड़कर किसी दूसरे को मदद के लिए मत पुकारे,

और इसके साथ साथ मुसलमानों के मुतल्लिक अपना दिल साफ रखे , और किसी से हसद , कीना, कपट ना रखे,

ये वह चीज़ें हैं जो इंसान की निजात के लिए इंतेहाई ज़रूरी हैं,

रही बात चरागां और आतिशबाजी की, ये महज फिजूल खर्ची है, जिससे हमारे दीन में मना किया गया है, इसलिए उससे परहेज करना हर मुसलमान पर लाज़िम है,

जारी...

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks