कुछ लोग अरबो की बर्बादी चाहते है।
लेकिन अरबो के बारे मे नहीं पढ़ते
एक महान इंसान :
डाक्टर अब्दुर्रहमान अल सुमैइत
मायूसी की नदी पर आशा का पुल
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15 अक्तूबर 1947 को कुवैत में जन्म लेने वाले डाक्टर अब्दुर्रहमान अल सुमैइत पेशे से डॉक्टर थे बगदाद , कनाडा व ब्रिटेन की युनिवर्सिटिज में शिक्षा पाई थी और कनाडा, लंदन व कुवैत के अस्पतालों में काम किया था एक धनी परिवार से उनका संबंध था जिंदगी बेहतरीन गुज़र रही थी अच्छी जाब थी समाज में इज्ज़त व मर्तबा सब कुछ था
बचपन से ही समाज सेवा का भी जज्बा था अभी स्कूल में ही थे कि चार पांच दोस्तों ने अपनी पाकेट मनी को बचा कर एक बस खरीद ली थी जिसे लेकर वह निकलते और रास्ते में फंसे हुए अप्रवासी मजदूरों को उनके कैम्प पहुंचा देते डाक्टर बनने के बाद समाज सेवा का काफ़ी मौका मिल गया था और कुवैत की कई चैरिटी सुसाइटीज से जुड़ गए थे
यानी सब कुछ उनके पास था हर चीज़ सेट थी कि उन्हें अफ्रीका जाना पड़ा वह मोजांबिक समेत कई देशों में गएं वहां की ग़रीबी , सुविधाओं की कमी , कुपोषण का शिकार शिक्षा से दूर बच्चों को देखा , दिल तड़प गया , कुवैत वापस आए जाब से इस्तीफा दिया और अफ्रीका निकल पड़े , ऐश व इशरत में पले बढ़े यह डॉक्टर अफ्रीका के उन इलाकों में पहुंचे जहां मच्छर तो दूर की बात है कई बार सांपों ने डंसा जंगली जानवरों ने हमला किया लेकिन यह न रुके आंतकवादी गुटों की मदद के आरोप में जेल जाना पड़ा सब कुछ बर्दाश्त किया पर अपने काम में डटे रहे लोगों की सेवा में लगे रहे
आखिर दुनिया ने उन्हें तस्लीम किया कल तक जो सरकारें उन्हें शक से देखती थीं आज उनकी बातों को मानने लगीं काफी इज्ज़त व सम्मान मिला शाह फैसल अवार्ड से सम्मानित किया गया उन्हें अफ्रीका में किसी हीरो की तरह चाहा गया
लोगों की मदद की उनके भोजन इलाज व शिक्षा का इंतजाम किया अफ्रीका में उन्होंने देखा कि बहुत से मुस्लिम बहुल इलाके ऐसे भी हैं कि उन में एक भी मुसलमान नहीं बचा था सब इसाई मिशनरियों की मदद पाने की आशा में ईसाई हो गए थे उन्होंने इस पर भी काम किया लोगों को समझाया उनकी मदद की जिस से प्रभावित होकर लोग वापस इस्लाम धर्म स्वीकार करने लगे
29 वर्ष अफ्रीका में रहे इस बीच इतने काम किए कि 50 आदमी नहीं अगर 50 संगठन भी करते तो उन्हें गर्व करने के लिए पर्याप्त होता उनके कामों की एक झलकी :__
-- इनके हाथ एक करोड़ बारह लाख लोगों ने इस्लाम में वापसी की
-- 5700 मस्जिदें बनवाईं
-- 9500 कुआं खोदवाए
-- 15000 यतीमों का पालन-पोषण किया
-- 860 स्कूल व कालेज खोले
-- 4 युनिवर्सिटी बनाई
-- 204 अस्पताल व हेल्थ सेंटर्स बनाएं
यह अपने आप में एक अंजुमन थे एक अकेले सब पर भारी थे पर मौत पर भारी कोई नहीं हो सकता 15 अगस्त 2013 में इन का इंतेकाल हो गया अल्लाह ताला मगफिरत फरमाए और नेकियों को कबूल करे आमीन
ऐसे लोगों के बारे में हमें जानना चाहिए और इन का अनुसरण करना चाहिए लेकिन अफसोस हम इन्हें न जानते हैं न जानने की कोशिश करते हैं हीनभावना से ग्रस्त हो कर दूसरों के कामों के गुणगान में लगे रहते हैं
Khursheeid Ahmad