Monday, July 12, 2021

अल्लाह के एहकामात की पैरवी करनी चाहिए

 



शराबी एक आलिम ए दीन से ," जनाब! अगर मैं खजूरें खाऊं तो आपको कोई ऐतराज़ है ??"


आलिम: बिल्कुल कोई ऐतराज़ नहीं "

शराबी," अगर उसके साथ कुछ जड़ी बूटियां खा लूं ??

आलिम," कोई रुकावट नहीं "

शराबी," अगर मैं उनमें पानी शामिल कर लूं ?"

आलिम," बड़े शौक से पियो"

शराबी," जब ये सारी चीज़ें जायेज़ और हलाल हैं तो फ़िर आप शराब को क्यों हराम कहते हैं ? हालांकि उसमे यही चीज़ें तो हैं, यानी खजूरे, पानी और जड़ी बूटियां,

आलिम ने शराबी से ," अगर तुम्हारे ऊपर पानी फेंका जाए तो इस पर तुम्हे कोई ऐतराज होगा ??"

शराबी: हरगिज़ नहीं, पानी से क्या फर्क पड़ता है,

आलिम," अच्छा , अगर उस पानी में मिट्टी घोल दी जाए तो तुम उससे मर जाओगे ??"

शराबी," मिट्टी से मैने किसी को मरते नहीं देखा ,

आलिम," अगर मैं मिट्टी और पानी लूं और उनको गूंध कर ईंट बना लूं और इसे सुखा कर तुम्हे दे मारूं तो फिर ??

शराबी," जनाब इससे तो आप मुझे कत्ल कर देंगे "

आलिम ने कहा," शराब का भी यही हाल है, अल्लाह ने हमको जिस बात से भी रोका है उसमे कोई ना कोई मसलेहत है "

हमको अपनी तरफ से तावीलें नहीं गढ़नी चाहिए बल्कि अल्लाह के एहकामात की पैरवी करनी चाहिए...

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks