Saturday, July 10, 2021

औरत सहरी में सबसे पहले जागती है, और सब घरवालों के लिए सहरी तैयार करती है

 



औरत सहरी में सबसे पहले जागती है, और सब घरवालों के लिए सहरी तैयार करती है ,लेकिन सबसे आखिर में खाती है,


रोज़ा रखने के बाद दोपहर में बच्चों को खाना खिलाती है, फिर चार बजे के बाद से इफ्तारी तक अपने खानदान वालों के लिए अफ्तारी तैयार करने में लग जाती है,

चावल, पालक, गोश्त, चटनी, वगेरह वगेरह तैयार करती है और साथ में ये डर भी रहता है के पता नहीं कैसा पकाया होगा,

सास और ससुर के लिए अलग चीज पकाती है, और साथ साथ में इफतारी से पहले शौहर के गुस्से को सब्र से झेलना भी पड़ता है,

अज़ान से पहले दस्तरख्वान लगाना,तारीफ तो दूर की बात दो दो रोटियां खाने के बाद एक ठंडा ग्लास लस्सी मांगना और फिर कहना के," नमक कम है और ज्यादा ठंडा नहीं है" और इफ्तारी पूरी कर ली जनाब ने,

इसके बाद चिपके से किसी कमरे में इफतारी कर लेती है, तरावीह के बाद फिर से हजरात के लिए चाय तैयार करती है, और फिर से सहरी में सबसे पहले जागती है, अगर वो ना जागी दो बजे या सेहरी लेट हुई तो सब लोगों का नजला बुखार बेचारी औरत पर गिरता है सारा दिन,

आपसे दरख्वास्त है के , घर की सारी औरतें चाहे वह मां हो, बीवी हो, बेटी हो , बहन हो या कोई और रिश्ता हो उनका लाज़िमी ख्याल रखना चाहिए, आखिर वह भी हमारी तरह इंसान हैं,

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks