अपनी वजह से किसी को ये कहने की नौबत ना आने दीजिएगा के,
"وَاُفَوّضُ اَمْرِیْ اِلَی اللّٰہ"
" मैं अपना मुकद्दमा अल्लाह के यहां पेश करता हूं"
याद रखिए !!
किसी के ये कहने से पहले मामला सुलझा लीजिएगा , क्यूंकि उस रब के यहां ना जज बिकते हैं ना ही गवाह खरीदे जा सकते हैं और ना ही वकील...!!!
क्यूंकि वह खुद ही गवाह, खुद ही वकील और खुद ही जज है..!!!
उसके फैसले फिर टलते नहीं और वहां तराज़ू भी इन्साफ के तुलते हैं...!!!
साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks