Sunday, April 11, 2021

ज़मीन को उज्लत, हवा को फुर्सत, खला को लुकनत मिली हुई है।


 


ज़मीन को उज्लत, हवा को फुर्सत, खला को लुकनत मिली हुई है।


हम एहतेजाजन ही जी रहें हैं, या फिर इजाज़त मिली हुई है,

हमारी औकात के मुताबिक...हमारे दर्जे बनें हुए हैं,
किसी को कुदरत ,किसी को हसरत, किसी को किस्मत मिली हुई है,

Umair Salafi Al Hindi