मेरी वालिदा लोबिया बहुत शौक से बनाती है मगर पकाने से पहले उनको साफ करती और गंदे और खराब दानों को पीछे सेहन में फेंक देती थी सिर्फ अच्छे दानों को पकाती हैं
मगर जैसे ही बारिश आती, ये गंदे और खराब दाने बीज बन जाते और फूट पड़ते थे और सेहन हरियाली से भर जाता था और ये बहुत खूबसूरत एहसास होता था ,
किस क़दर दिलचस्प बात है के अगर वही इन्सान जिसने उनको खराब जानकर फेंका था, वह उनको देखकर खुश हो जाता और उनकी देखभाल के बाद उनका खूब फायदा उठाता,
अब मेरी सुनिए,
ग़म और रोना नहीं है जब आपको सेहन में अकेला फेंक दिया जाए ,
उस वक्त भी अफसोस नहीं करना है जब आपको रिजेक्ट कर दिया जाए ,
उस वक्त भी रोना नहीं है जब लोग आपको कमतर साबित कर रहें हो,
कोई बोझ समझे,
कोई बहुत गया गुज़रा जाने ,
भले से कोई एहसास दिलाए के ये माजी की गलतियों का भुगतान है,
घबराना नहीं है।!!
बारिश आएगी!!
सब्र करने वालों के लिए अजर है और ये अल्लाह ताला का वादा है,
याद रखना !!!
वह लोग जिन्होंने आपका इनकार किया था खुद आपको बुलाने आएंगे ,
अल्लाह ताला अपने बंदों से बहुत मुहब्बत करता है वह रहमत करेगा , बस उससे जुड़े रहना , बेशक जल्दी ही सब देख लेंगे की आप किस क़दर कीमती और अनमोल थे,
मुश्किल में खुद को संभालिए और दूसरों का सहारा बनने की कोशिश करें,
साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks