Thursday, June 17, 2021

काफिर के हुकूक (Rights)

 



काफिर के हुकूक (Rights)


जो लोग काफिर का मतलब नहीं जानते वो काफिर लफ्ज़ को गाली समझते हैं, इसकी सच्चाई को जानने के लिए जरूरी है के हम इसके मतलब को जाने ,

काफिर लफ्ज़ कुफ्र से बना है जिसका माना है:

" छिपाना, इंकार करना, क्योंकि काफिर या मुर्तद अपनी अक्सरियत को छिपाता है और उसका इंकार करता है इसलिए उसे काफिर कहा जाता है"

हदीस में आया है,

" हर शख्स अपनी अक्सरियत पर पैदा किया जाता है,फिर उसके मां बाप उसको ईसाई बना देते है या यहूदी बना देते हैं या मजूसी बना लेते हैं"

(बुखारी 1359, मुस्लिम 2658)

यहां अक्सरियत से मुराद तौहीद ( अल्लाह को एक जानना) है जिसकी तरफ इस्लाम बुलाता है, बल्कि इस्लाम ही वह चीज है जिसपर बच्चा पैदा होता है, फिर उसके मां बाप अलग अलग धर्म या अफकार के होते हैं वैसा ही बच्चा बन जाता है,

काफिर या तो मुसलमानो के मुल्क में होगा या मुसलमान उस मुल्क में होंगे जहां ज्यादातर लोग गैर मुस्लिम होंगे , दोनो हालातों में काफिर की जान उसके माल और उसके माल की हिफाजत करना मुसलमानों पर जरूरी है,

एक सही हदीस में आता है,

" जिसने किसी जिम्मी ( काफिर जो मुस्लिम मुल्क में रह रहा हो) को कत्ल किया जन्नत उसके लिए हराम है"

बल्कि कुरआन में भी बता दिया गया है

" अल्लाह तुमको इससे नहीं रोकता की तुम उन लोगों के साथ अच्छा सुलूक करो,और उनके साथ हक बात करो जिन्होंने तुमसे दीन के मामले में जंग नहीं किया , और ना तुम्हे तुम्हारे घर से निकाला, बेशक अल्लाह हक का फैसला करनेवालों को पसंद करता है"

(कुरआन सुरह मुम्ताहिना आयत 


इसलिए की मुसलमान ना तो काफिर के दुश्मन हैं और ना सारे काफिर मुसलमानो के दुश्मन है, मुसलमानों का फर्ज है की वे जिस मुल्क में रहें उसकी तरक्की की तरफ पूरा ध्यान दें और बड़ चढ़कर हिस्सा लें और सबसे बड़ी बात ये है की मुसलमान अल्लाह के दीन इस्लाम के पैरोकार हैं, इसलिए उनको चाहिए के अपने बर्ताओ से और अपनी जबान से वे इस्लाम का सही इल्म पेश करें,

कुरआन में है,

" तुम एक बेहतर उम्मत हो, तुमको लोगों के सामने लाया गया है, तुम भलाई का हुक्म देते हो और बुराई से रोकते हो और अल्लाह पर ईमान लाते हो"

(कुरआन सूरह आल ए इमरान आयत 110)

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks