Wednesday, June 16, 2021

मुनकीरुल हदीस ( Hadith Rejectors) के बातिल तावीलात के खिलाफ अहले ईमान का क्या रवैया होना चाहिए

 



मुनकीरुल हदीस ( Hadith Rejectors) के बातिल तावीलात के खिलाफ अहले ईमान का क्या रवैया होना चाहिए


लम्हा ए फिक्रिया है उन लोगो के लिए जिनके सामने अल्लाह के रसूल की सही हदीस आ जाती है तो वो उसको मानने के बजाए उसमे छेड़छाड़ और हीले बाजी करते हैं और बातिल तावीलात करते हैं,

हज़रत अबू सईद अल हसन बिन अहमद बिन यजीद रहिमहुल्लाह (328 हिजरी) के पास एक आदमी आया और पूछा , " क्या हड्डी से इस्तिंजा जाएज है ??"

उन्होंने फरमाया," नहीं"

उसने पूछा ," क्यों ?"

उन्होंने फरमाया," क्योंकि अल्लाह के रसूल ने फरमाया है की ये तुम्हारे भाई जिन्नों की खुराक है"

उसने पूछा ," इंसान अफ़ज़ल है या जिन्न?"

उन्होंने फरमाया," इंसान !"

उसने कहा," पानी के साथ इस्तिंजा क्यों जाएज़ है जबकि वो इंसान की खुराक है"

रावी (अबू अल हुसैन अल तिब्सी) कहते हैं के अबू सईद रहिमहुल्लाह ने हमला करके उस आदमी की गर्दन दबोच ली और उसका गला घोंटते हुए फरमाने लगे,

" जिनदीक (बेदीन, गुमराह) ! तू अल्लाह के रसूल का रद करता है"

अगर मैं उस आदमी को ना बचाता तो वो उसे कत्ल कर देते ,

(जिम्मुल कलाम वा अहलाहु 1258 सनद सही)

(मकालात शैख जुबैर अली जई रहिमहुल्लाह जिल्द 2 पेज 557-568)

उस इंसान ने शरियत का मजाक उड़ाना चाहा था इसी लिए हज़रत अबू सईद रहिमहुल्लाह इतना गुस्सा हो गए थे,

वो कहना चाहता था के जिन्न जो के इंसानों से कम अफ़ज़ल है उनकी खुराक से इस्तिंजा जायज नहीं है लेकिन इंसान जो जिन्न से अफ़ज़ल है उनकी खुराक (पानी) से इस्तिंजा जायेज़ कैसे हुआ???

ये अमल सिर्फ मुनकिरीन ए हदीस लोगों का ही हो सकता है, अहले ईमान का तर्ज़ ए अमल तो ये होता है के जब उसके सामने सही हदीस आ जाती है तो वो कहता है

" आमन्ना सद्दकना" ( हमने सुना और इताअत्त की) चाहे वो बात उनके अकल में आए या नहीं ना आए"

अल्लाह हम सबको कुरआन वा हदीस से मुहब्बत करने वाला बना से...आमीन

अल्लाह ताला फरमाता है के ," ईमान वालों का कौल तो ये है के जब उनको इस लिए बुलाया जाता है के अल्लाह और उसके रसूल उनमें फैसला कर दें तो वो कहते हैं के हमने सुना और मान लिया , यही लोग कामयाब होने वाले हैं"

(कुरआन सूरह अल नूर आयत 51)

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks