Sunday, January 16, 2022

वह हर रिश्ते से बा आसानी दस्ताबरदार हो जाते हैं

 



कहने लगा , " जो लोग जिंदगी में खसारे बर्दाश्त करने के आदी हो जाएं ना तो,

वह हर रिश्ते से बा आसानी दस्ताबरदार हो जाते हैं, तुम क्या कहते हो ?

मैंने लंबी सांस ली और बोला , पता है कोई भी इंसान बा आसानी किसी रिश्ते से दस्ताबरदार हो ही नहीं सकता , कभी उजड़े हुए लोगों की आंखों को देखना , वह कभी शिकवे करते नज़र नहीं आयेंगे ,

उन लोगों के रवैए बता देते हैं के कौन साथ चल सकता है और कौन बीच राह में छोड़ जायेगा , ऐसे लोग दुख वा दर्द के तमाम मनाजिल तय कर चुके होते हैं, वह ना किसी से झूट बोलते नज़र आएंगे और ना ख्वाब दिखाते हुए,

पता है जब उनके सवालों के जवाबात, जी, अच्छा, और ह्म में तब्दील हो जाते हैं तो वो रिश्तों को मजीद नहीं घसीटते बल्कि उनको आजाद कर देते हैं , ऐसा नहीं है के वह जान बूझकर किसी खास रिश्ते से दस्ताबरदार होते हैं बल्कि वह हर चीज का इलज़ाम खुद पर लेकर खामोशी के समुंदर में चुपचाप गरक हो जाते हैं, और जाने वाला ये समझता है के बहुत ही ज्यादा अनापरस्त और खुदगर्ज इंसान था,

जबकि हकीकत उसके मुख्तलिफ होती है क्योंकि बेपनाह मुहब्बत से बनाए गए रिश्तों से दस्ताबरदार होना सब से मुश्किल तरीन और तकलीफदेह काम होता है, ये हुनर ऐसे नहीं आता ,

इंसान को अपनी जात तक खत्म करनी पड़ती है, जब इंसान अजियातों और तकलीफों से गुजरता है तो एक वक्त ऐसा आता है के उसे आम इंसान से ज्यादा बर्दाश्त आ जाती है, उसके आंसू कभी आंखों में नज़र नहीं आयेंगे , बल्कि अंदर ही अंदर कहीं दिल के परदे पर गिर रहे होते हैं,

उसको तकलीफ भी होती है और अजीयत भी लेकिन वह दूसरे इंसान के जाने में आसानी के लिए खुद मुहब्बत से बनाए गए रिश्तों से दस्ताबरदार हो जाता है,

वो ये सब इसलिए करता है के दूसरा इंसान बा आसानी Move On कर जाए, और जिस अजीयत से वह गुजरा है दूसरा ना गुजरे

मनकूल

तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi