Saturday, January 15, 2022

जब दुआएं राएगा जाएं तो फिर एक मकाम वह भी आता है जब हाथ नहीं उठता

 




जब दुआएं राएगा जाएं तो फिर एक मकाम वह भी आता है जब हाथ नहीं उठता, दिल अफसुर्दा और दिमाग गुस्से में होता है,

क्या फायदा ?? कितने दिल से मांगा... मगर... जब कुबूल ही नहीं होनी तो की भी क्यों जाए ??

मगर !! देने वाले का भला क्या जाता है ?? नुकसान तो उसका है जो भिखारी है... मांगने वाले को ज़रूरत है,वह तो बेनियाज है....उसको क्या ???

तो क्या जरूरी है के अगर तुम दिल से उसको पुकारो तो अब वसूली करना हक है तुम्हारा ?? उसकी मर्जी वह पलट कर जवाब दे या ना दे... तुम बस अपनी बंदगी पर गौर करो और बंदगी का तकाज़ा है के खुलूस से मांगो, जितनी तलब ज्यादा है उतनी ही आजिजी से मांगों,

और जो वो ना अता करे तो भी कहो, " मैं राज़ी हूं अल्लाह ...में राज़ी हूं !!"

वो अता करे तो सजदा शुक्र,
ना अता करे तो भी रज़ा का सजदा !!

साभार : Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks