वो कहने लगी, ये बताओ मुहब्बत मासूम होती है या चालाक ?? मैं उसके इस सवाल से हैरान रह गया , पता नहीं क्यों वह हर बार मेरा इम्तिहान ले लेती थी,
मैंने बहुत सोच कर जवाब दिया , देखो मुहब्बत बहुत सयानी और चालाक होती है, वह हंसने लगी और बोली, " नहीं सरकार ! मुहब्बत बहुत ही भोली और मासूम होती है , कब किससे हो जाए "
मैंने लंबी सांस ली और बोला ," देखो मुहब्बत के बारे में हर किसी की अजीब मन्तक है, कोई कहता है मुहब्बत एक बार होती है, और कोई कहता है इंसान को भटकने से ही महबूब हासिल होता है, "
पता है , कभी सोचना !!
मुहब्बत किसी यूनिवर्सिटी की लड़की को किसी जमादार से क्यों नहीं होती ?? मुहब्बत कभी किसी पढ़े लिखे लड़के को किसी भिकारन से क्यों नहीं होती ??
अच्छा ये सोचना , मुहब्बत किसी डॉक्टर या किसी अफसर को किसी बेवा या जिस्मफरोश औरत से क्यों नहीं होती जिसका कोई सहारा नहीं होता ?? तुमने कभी देखा है कितने मुहब्बत के दावेदार मुहब्बत को अंजाम तक पहुंचाते हैं,
अच्छा चलो , ये बताओ तुमको कभी किसी अनपढ़ गंवार मजदूर से मुहब्बत क्यों नहीं हुई ??
पता है, हर शख्स देखभाल कर ही अपना महबूब चुनता है , ये अब कहने की बातें हैं के मुझे शक्ल से कोई सरोकार नहीं,
आजकल की मुहब्बत में दर्जे हैं, और ये सच है के मुहब्बत कभी अपना दर्जा छोड़कर किसी दूसरे निचले दर्जे वाले से नहीं होती, हां हालात वा वाकयात का फर्क जरूर आ सकता है, वह ऐसे के एक अमीर लड़का एक खूबसूरत भिकारन से दो नंबरी इश्क करेगा , लेकिन सिर्फ अपने मतलब की हद तक और इस दौर में हर शख्स ही मुहब्बत के नाम पर औरत जात को भिकारन बना देता है लेकिन कुछ लोग सच्ची मुहब्बत करते हैं, लेकिन वहां पर औरत जात धोका दे जाती है,
इसी तरह दूसरी तरफ एक हुस्न परस्त लड़की एक खुबरू नौजवान से बीस नंबरी तक बड़ा महकता इश्क करेगी लेकिन वह इश्क सिर्फ वक्त गुजारी टाइमपास ही होगा, और ये वो हकीकत है जो कभी इश्क आशिकी के फसानों में कम और इस हकीकत में ज्यादा मिलेगी,
ये भी होता है के किसी को बिना देखे उसके लहजे से आवाज से,उसके अंदाज से हो जाती है मुहब्बत लेकिन, ए मेरे इश्क ! ये बात भी सच है के जब परदे उठते हैं तो ये मुहब्बत के नब्बे फीसद केस हवा में तहलील हो जाते हैं,
कहीं अब्बा नहीं मानता तो कहीं मुआशरा !!
बस, ए मेरे इश्क एक बात हमेशा याद रखना , या तो किसी के होना , या फिर किसी के ना होना ,और जिसके होना ,फिर उसके या अपने होने तक बस उसके ही होकर रहना , अगर तुम्हारा चाहने वाला अपना लहजा बदल ले तो उसकी खुशी की खातिर उससे दूर हो जाना ,
क्योंकि जब लहज़ा बदल जाए तो वजाहत कैसी ??
मनकूल
तर्जुमा :Umair Salafi
Har Ibteda Se Pehle Har Inteha Ke Baad, "ZAAT-E-NABI Buland Hai "ZAAT-E-KHUDA" Ke Baad, Dunya Main Ehtraam Ke Qabil Hain Jitne Log, Main Sabko Manta Hun, Magar ,"MUHAMMAD-MUSTAFA{sall’Allaahu ta’aalaa alaihi wa’sallam} Ke Baad..
Thursday, January 27, 2022
वो कहने लगी, ये बताओ मुहब्बत मासूम होती है या चालाक ??
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