Monday, August 2, 2021

कहानी हम सबकी !!

 



कहानी हम सबकी !!


मैंने ख्वाहिश की के मैं शादी करूं, और मैने शादी कर भी ली, औलाद की नेमत से महरूमी की वजह से जिंदगी में वहशत सी थी, फिर मैने ख्वाहिश की मेरे आंगन में भी फूल खिले , मेरे घर में भी बच्चों की नन्ही आवाजें सुनाई दें,

मुझे अल्लाह ताला ने औलाद की नेमत से नवाजा भी, अब मेरे घर की दीवारें तंगी की शिकायत करने लगीं, फिर मैने ख्वाहिश की के मेरा अपना घर हो, उसके साथ में एक बगीचा हो, कुछ अरसा बाद मेरे पास घर भी था और बगीचा भी मगर औलाद बड़ी हो चुकी थी

फिर मैने ख्वाहिश की बच्चों की शादियां करूं, मैं इस फरीजे से भी सुबकदोश हुआ , मगर अब मशक्कत भरे काम और जॉब से थक गया था,

फिर मैने ख्वाहिश की के रिटायरमेंट लेकर बाकी जिंदगी आराम करूं, मैंने रिटायरमेंट ली, बच्चे शादियां करके अपने घर बसा चुके थे, मैं तन्हा हो चुका था बिल्कुल उसी तरह जिस तरह मैं यूनिवर्सिटी और स्टूडेंट लाइफ से फारिग हुआ था मगर फर्क ये था के उस वक्त मैं जिंदगी की तरफ बड़ रहा था और अब वापस लौट रहा हूं,

लेकिन ख्वाहिशात थी के खत्म नहीं हो रही थी, फिर मैने ख्वाहिश की के कुरआन मजीद हिफ्ज करूं लेकिन मेरा कुव्वात ए हाफिजा जवाब दे चुका था,

फिर मैने ख्वाहिश की अल्लाह के लिए रोजे रखूं मगर सेहत साथ छोड़ चुकी थी,

फिर मैने ख्वाहिश की रात उठ कर तहज्जुद पढूं मगर मेरे कमज़ोर पांव मेरे जिस्म का बोझ उठाने से इनकारी थे,

सच फरमाया था अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्लालाहू अलैहि वसल्लम ने के ," पांच चीज़ों को पांच चीज़ों को आने से पहले गनीमत समझो

जवानी को बुढ़ापे से
सेहत को बीमारी से
अमीरी को फकीरी से
फारिग से मसरूफियत से
जिंदगी को मौत से,"

अल्लाह ! अपने जिक्र, शुक्र और इबादत की बजावरी में हमारी मदद फरमा,

ऐ मेरे मुसलमान भाई और बहन !

अगर आपके रोज़ाना के शेड्यूल में , चास्त की दो रकात, कुरआन मजीद का कोई रुकु, रात की वितर, कोई अच्छी बात, कोई सदका, जो रब की नाराज़गी को खुशनूदी में बदल दे,

कोई ऐसी नेकी जो आप और आपके रब के दरमियान हो,

अगर नहीं है तो...!

फिर जिंदगी का क्या लुत्फ ??!

और रोज़ ए हसरत के आने से पहले ,
बुढ़ापे का जवानी को खोने से पहले
बीमारी का सेहत को चाट जाने से पहले , अमल करें,

खुद को बदलें...

मंकूल

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks